Amla Navami Vrat Katha: आंवला नवमी की व्रत कथा, जानिए क्यों और कैसे हुए इस पर्व को मनाने की शुरुआत

Amla Navami Katha: आंवला नवमी का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इसे कई जगह अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है। वहीं बंगाल में इस दिन जगद्धात्री पूजा का त्योहार मनाया जाता है। चलिए आपको बताते हैं आंवला नवमी की पौराणिक कथा।

Amla Navami Katha

Amla Navami Katha In Hindi: इस साल आंवला नवमी का त्योहार 10 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा का विधान है। इसके अलावा अक्षय नवमी पर स्नान, दान का भी विशेष महत्व माना जाता है। कहते हैं इस दिन जो कोई भी इंसान आंवले का सेवन करता है उसका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इस दिन पानी में आंवले का रस मिलाकर नहाने की परंपरा बताई गई है। चलिए आपको बताते हैं आंवला नवमी क्यों मनाई जाती है, इसकी पौराणिक कथा क्या है।

आंवला नवमी कथा (Amla Navami Katha In Hindi)

आंवला नवमी के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है और इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे जुड़ी एक कहानी है...एक बार माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं और रास्ते में उन्होंने भगवान विष्णु और शिव जी की एक साथ पूजा करने की कामना की। तब माता लक्ष्मी ने महसूस किया कि भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी और शिव जी के प्रिय बेल पत्र की गुणवत्ता एक साथ आंवले के पेड़ में ही पाई जाती है।

तब माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ को ही विष्णु और शिव का प्रतीक मानकर उसकी विधि विधान पूदा की। माता की पूजा से प्रसन्न होकर शिव जी और विष्णु जी प्रकट हुए। कहते हैं इसके बाद माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ के नीचे ही भोजन तैयार किया और भगवान विष्णु और शिव शंकर जी को परोसा। बाद में माता ने खुद इस भोजन को प्रसाद रूप में स्वयं ग्रहण किया। कहते हैं जिस दिन ये घटना हुई उस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी थी। कहते हैं तभी से इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने और इसके नीचे बैठकर भोजन करने की परंपरा चली आ रही है।

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