Annaprashan Sanskar: कैसे किया जाता है अन्नप्राशन संस्कार, जानिए बच्चे को पहली बार अन्न कब और कैसे खिलाएं
Annaprashan Sanskar Vidhi: जब नवजात शिशु को पहली बार अनाज खिलाया जाता है तब अन्नप्राशन संस्कार की रस्म निभायी जाती है। जानिए कैसे किया जाता है अन्नप्राशन संस्कार और क्या है इसका महत्व।
कैसे किया जाता है अन्नप्राशन संस्कार
Annaprashan Sanskar: सनातन धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व बताया गया है। जिनमें से सप्तम संस्कार है अन्नप्राशन संस्कार। ये संस्कार शिशु के जन्म के 6-7 महीने बाद किया जाता है। दरअसल लगभग 6 महीने तक बच्चे मां के दूध पर निर्भर रहते हैं और इसके छठे महीने बाद बच्चे को अन्न खिलाना शुरू किया जाता है। बच्चे को पहली बार अन्न खिलाने के लिए अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। इसके लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है। यहां आप जानेंगे अन्नप्राशन संस्कार क्यों और कैसे किया जाता है।
कब किया जाना चाहिए अन्नप्राशन संस्कार?
अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के जन्म के छठे या सातवें महीने में शुभ मुहूर्त देखकर करना चाहिए। क्योंकि इस समय में अधिकतर बच्चों के दांत निकलने शुरू हो जाते हैं जिससे बच्चा हल्का भोजन खाना पचाने में सक्षम हो पाता है।
अन्नप्राशन संस्कार का महत्व
व्यक्ति के जीवन में अन्न का सर्वाधिक महत्व होता है। जब बच्चे को पहली बार अन्न ग्रहण करवाया जाता है तब अन्नप्राशन संस्कार किया जाता है। इस दौरान नवजात शिशु को सबसे पहले अनाज जैसे चावल से बनी कोई चीज खिलाई जाती है। अधिकतर लोग चावल की खीर बच्चे को खिलाते हैं। ये खीर शिशु द्वारा लिए जाने वाले ठोस आहार की शुरुआत का प्रतीक मानी जाती है। अन्नप्राशन अनुष्ठान के बाद बच्चे को दूध के अलावा अन्य खाद्य पदार्थों को खिलाने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
अन्नप्राशन संस्कार करने का सही तरीका
अन्नप्राशन संस्कार के लिए एक नई कटोरी और चम्मच चाहिए। बेहतर होगा कि इस दौरान चांदी की कटोरी-चम्मच का प्रयोग करें। कई जगह अन्नप्राशन संस्कार में सबसे पहले अन्न बच्चे के मामा द्वारा खिलाया जाता है। इसके बाद ही घर के अन्य सदस्य बच्चे को अन्न खिलाते हैं। इस दौरान एक मजेदार रस्म भी निभाई जाती है।
बच्चे के सामने कलम, किताबें, सोने के गहने, भोजन और मिट्टी का पात्र रखा जाता है। कहते हैं बच्चा इनमें से जिस चीज को पहले छूता है उसका प्रभाव उसके जीवन पर हमेशा रहता है। इस रस्म के पीछे मुख्य वजह ये है कि इसमें बच्चे की पसंद देखी जाती है। अगर बच्चा सोना चुनता है तो इसका मतलब है कि उसके जीवन में अपार धन रहेगा, वहीं अगर कलम चुनता है तो इसका अर्थ है कि वो पढ़ाई-लिखाई में आगे रहेगा। मिट्टी चुनता है तो उसके जीवन में संपत्ति खूब रहेगी और अगर किताब चुनता है तो वो जीवन में बहुत कुछ सीखेगा।
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लवीना शर्मा author
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 सा...और देखें
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