Annapurna Jayanti 2022: अन्नपूर्णा जयंती पर जरूर पढ़ें शिवजी-माता पार्वती से जुड़ी ये कथा
Annapurna Jayanti 2022: अन्नपूर्णा जयंती हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है, जोकि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस साल अन्नपूर्णा जयंती गुरुवार 08 दिसंबर 2022 को पड़ेगी। इस दिन देवी अन्नपूर्णा की पूजा से घर पर धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
अन्नपूर्णा जयंती 2022
- गुरुवार 08 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी अन्नपूर्णा जयंती
- अन्नपूर्णा जयंती पर देवी अन्नपूर्णा की होती है पूजा
- पृथ्वी के कल्याण के लिए भगवान शिव ने धारण किया भिक्षु अवतार
अन्नापूर्णा जयंती मनाने के पीछे पौराणिक कथा जुड़ी है, जिसके अनुसार इस दिन भगवान शिव ने भिक्षुक का रूप धारण कर माता पार्वती से भिक्षा मांगी थी, जिस कारण पृथ्वी पर प्राणियों की रक्षा हो सकी। जानते हैं भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी अन्नपूर्णा जयंती की यह पौराणिक कथा।
अन्नपूर्णा जयंती कथा (
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्वी पर सूखा पड़ गया तो धरती बंजर हो गई और फसलें सूख गई। पृथ्वी पर अन्न और जल का अभाव हो गया और चारों तरफ हाहाकार मच गया। सभी प्राणियों का जीवन अन्न-जल की कमी के कारण संकट में आ गया। पृथ्वी पर प्राणियों रक्षा के लिए तब लोगों ने त्रिदेवों यानी भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की पूजा की।
पृथ्वीवासियों के प्राण की रक्षा के लिए तब शिवजी ने भिक्षुक का रूप धारण किया और माता पार्वती देवी अन्नपूर्णा के रूप में पृथ्वी अवतरित हुईं। भगवान शिव ने भिक्षुक के रूप देवी अन्नपूर्णा यानी माता पार्वती से भिक्षा में अन्ना मांग।
देवी अन्नपूर्णा से मिले दान में अन्न को शिवजी ने पृथ्वीवासियों में बांट दिया। इस तरह से फिर से पृथ्वी धन-धान्य से भर गया। इसलिए मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है।
अन्नपूर्णा जयंती पूजा विधि (
अन्नपूर्णा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और रसोई घर को साफ-सुथरा करें। इसके बाद गंगाजल छिड़कें। रसोईघर के पूर्व दिशा में एक लाल कपड़ा बिछाकर नव धान्य की ढ़ेरी बनाएं और मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखें। एक तांबे के कलश में जल भरकर आम पत्ता और नारियल रखें। इस दिन गैस, स्टोव, चूल्हा आदि की पूजा करें और घी का दीपक जलाएं। देवी अन्नपूर्णा का तिलक करें और लाल फूल चढ़ाएं। फिर चूल्हे की भी पूज करें। इस दिन चावल की खीर बनाना शुभ होता है। खीर का भोग लगाएं और फिर प्रसाद के रूप में सपरिवार ग्रहण करें।
डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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