Annapurna Jayanti Vrat Katha In Hindi: अन्नपूर्णा जयंती क्यों मनाई जाती है? जानिए इसकी पौराणिक कथा
Annapurna Jayanti Vrat Katha In Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस दिन माता अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। जानिए अन्नपूर्णा जयंती का महत्व और व्रत कथा।
Annapurna Jayanti Vrat Katha In Hindi
Annapurna Jayanti Vrat Katha In Hindi: इस साल अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर, मंगलवार के दिन मनाई जा रही है। इस दिन देवी पार्वती के अन्नपूर्णा रूप की पूजा की जाती है। अन्नपूर्णा जयंती पर मुख्य रूप से अन्न की पूजा की जाती है। जो कोई भी इस दिन माता पार्वती की विधि विधान पूजा करता है उसके घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। इस दिन चावल से कुछ मीठी चीज बनाकर माता को भोग लगाना चाहिए। यहां जानिए अन्नपूर्णा जयंती की व्रत कथा।
अन्नपूर्णा जयंती व्रत कथा (Annapurna Jayanti Vrat Katha In Hindi)
अन्नपूर्णा जयंती की पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय जब पूरी पृथ्वी पर सूखा पड़ने लगा था। अन्न और जल की कमी होने लगी थी। हर वस्तु का अकाल पड़ने लगा था और चारों ओर त्राहि त्राहि होने लगी थी। जमीन बंजर हो गई थीं और फसलें सूखने लगी थीं। हर तरफ अन्न और जल का अभाव हो गया था। इंसान से लेकर पशु-पक्षी तक सभी का जीवन संकट में आ गया था।
तब लोगों ने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिवजी की पूजा-अर्चना की और। भगवान विष्णु ने अपने भक्तों की पुकार सुनी और शिव जी को योग निद्रा से जगाया। तब सभी के कल्याण के लिए शिवजी ने भिक्षुक का रूप धरा और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। भगवान शिव ने भिक्षुक के रूप में देवी अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी और माता ने भिक्षा में अन्न दिया।
दान में मिले इस अन्न को भगवान शिव ने पृथ्वी के सभी प्राणियों में बांट दिया। इस तरह से एक बार फिर से पृथ्वी धन-धान्य से भर गई। कहते हैं इस घटना के बाद से ही मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि पर प्रत्येक वर्ष अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाने लगी।
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