Apara Ekadashi 2023 Vrat Katha: विष्णु जी का ये व्रत करने से होंगी सभी मनोकामनाएं पूरी, हिंदी में पढ़ें अपरा एकादशी की व्रत कथा

Apara Ekadashi 2023 Vrat katha: श्री विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन कर घर और जीवन में आ जाएगी सुख, शांति और समृद्धि की लहर। यहां देखें सभी दुखों का निवारण और जातकों की मनोकामनाएं पूरी करने वाली अपरा एकादशी की व्रत कथा। जिसका विधिपूर्वक पाठ करने से विष्णु भगवान प्रसन्न आपका हर बिगड़ा काम बना देंगे।

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Apara Ekadashi 2023 Vrat Katha: ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अपरा एकादशी की पावन बेला का उत्सव मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल अपरा एकादशी 15 मई 2023 की सोमवार की तिथि पर पड़ रही है। सनातन धर्म में विष्णु भगवान का पूजन अर्चन करने का विशेष महत्व होता है। वैसे तो साल में 24 एकादशी आती है, लेकिन ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का बहुत महत्व होता है। मान्यता है कि श्री हरी को ये तिथि प्रिय होती है, एकादशी के दिन पूजन के साथ साथ व्रत और कथा का पाठ करने से भी बहुत लाभ मिलता है। यहां देखें अपरा एकादशी की व्रत कथा, जिसका दिल से पाठ करने पर हर जातक के दुखों का निवारण होगा अथवा संतान प्राप्ति से लेकर सुख की प्राप्ति तक सब हो जाएगी।

अपरा एकादशी 2023 व्रत कथा, Apara Ekadashi 2023 Vrat Katha

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक बहुत ही धर्मात्मा राजा राज करता था। महीध्वज राजा का छोटा भाई वज्रध्वज उससे जलता था और द्वेष रखता था। फिर उसने एक दिन चालाकी से मौका पाकर महीध्वज की निर्दयपूर्ण तरीके से हत्या कर दी और एक पीपल के पेड़ के नीचे राजा के मृत शव को गाड़ दिया। अकाल मृत्यु होने के कारण राजा की आत्मा वहीं प्रेत बनकर पीपल के पेड़ पर रहने लगी थी। राजा महीध्वज की आत्मा वहीं उस मार्ग से आने जाने वाले हर व्यक्ति को परेशान करती थी। तभी एक दिन एक ऋषि उस रास्ते से गुजर रहे थे। राजा की प्रेत आत्मा उन्हें भी परेशान करने के उद्देश्य से पेड़ से नीचे उतरकर आई। तभी उस महान ऋषि ने अपने तपोबल से राजा के प्रेत बनने का कारण जान लिया।

महान ऋषि ने राजा महीध्वज के प्रेत को योनी से मुक्ति दिलाने के लिए स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा था। जिस व्रत को विधिपूर्वक पूरा करने से श्री हरी जातकों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं, तथा उन्हें हर कष्ट और संकट से बचाते हैं। राजा को मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने पर व्रत का पुण्य प्रेत को दे दिया था। एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त करके राजा प्रेतयोनी से मुक्त हो गया और स्वर्ग चले गए थे।

श्री विष्णु के इस सिद्ध व्रत को करने से जैसे राजा प्रेतयोनी से मुक्ति पाकर वैकुंठ धाम को सिधार गए थे। उसी प्रकार विधि विधान और सच्चे मन से जो कोई जातक विष्णु पति के नाम का व्रत रखा इस कथा का पाठ करता है। भगवान उसके दिल की सारी बातें जान, उसके कष्ट, परेशानी, दर्द का निवारण कर देते हैं। तो अगर आप भी चाहते हैं कि, श्री विष्णु का हाथ सदा आपके और आपके परिवार तथा प्रियजनों पर बना रहे, तो आपको भी अपरा या अचला एकादशी का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए।

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अवनि बागरोला author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें

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