नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में जिस तरह से शक्ति की देवी मां दुर्गा की उपासना की जाती है ठीक उसी तरह मां काली की भी पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि मां काली अपने भक्तों की रक्षा कर शत्रुओं का नाश करती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार 'ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' यह मंत्र मां काली को समर्पित है। इस मंत्र के उच्चारण से सभी ग्रह नियंत्रित में रहता है। नित्य इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मां काली की पूजा से भय दूर होता है। रोग से भी मुक्ति मिलती है। मां काली के चार रूप होते हैं। दक्षिणा काली, श्मशान काली, मातृ काली और महाकाली।
ऐसे करें मां काली को प्रसन्न
मां काली की पूजा में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व होता है।
घर में देवी काली की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें।
स्नान करके साफ कपड़े पहनकर मां की प्रतिमा के सामने दीप जलाएं।
लाल गुड़हल के फूल समर्पित करें।
'ओम् ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' मंत्र का 108 बार जाप करें।
मां को भोग अर्पण करें।
मां काली के समक्ष दीपक और गुग्गल की धूप जलाएं।
मां को प्रसाद में पेड़े और लौंग चढ़ाएं।
मां काली की पूजा के साथ-साथ इस दिन तंत्र पूजा का भी बड़ा महत्व है।
मंत्र जाप के बाद 15 मिनट तक पानी नहीं छुएं।
पूजा का उचित समय मध्य रात्रि का होता है।
मां काली की पूजा खासकर पूर्वी भारत में की जाती है। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक प्रचलित है। दिवाली की रात कार्तिक अमावस्या को मां काली की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्याता है कि इसी दिन मां काली 64 हजार योगिनियों के साथ प्रकट हुई थीं। इस दिन पूरे भारत में दीपावली का पर्व मनाया जाता है और लक्ष्मी पूजा जाती है।
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