Ashadha Gupt Navratri 2023: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 कब से कब तक रहेगी, जानिए घटस्थापना मुहूर्त
Ashadha Gupt Navratri 2023 Puja Vidhi And Muhurat: गुप्त नवरात्र थोड़ी कठिन साधना का पर्व है। किसी विशेष उद्देश्य या सिद्धि को प्राप्त करने के लिए माता काली से लेकर कमला देवी तक कि आराधना का महान उत्सव एवं पुनीत अवसर है। जानिए गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि, घटस्थापना मुहूर्त और महत्व।
Ashadha Gupt Navratri 2023 Puja Vidhi And Muhurat: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 पूजा विधि और मुहूर्त
Weekly Horoscope 19 June To 25 June 2023 In Hindi
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 डेट और घटस्थापना मुहूर्त (Ashadha Gupta Navratri 2023 Date and Ghatasthapana Muhurta)
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 प्रारंभ और समापन तिथि | 19 जून से 28 जून 2023 |
आषाढ़ घटस्थापना 2023 | 19 जून 2023, सोमवार |
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त 2023 | 05:23 AM से 07:27 AM |
अवधि | 02 घण्टे 04 मिनट |
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त | 11:55 AM से 12:50 PM |
अवधि | 00 घण्टे 56 मिनट |
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ | 18 जून 2023 को 10:06 AM बजे |
प्रतिपदा तिथि समाप्त | 19 जून 2023 को 11:25 AM बजे |
मिथुन लग्न प्रारम्भ | 19 जून 2023 05:23 AM बजे |
मिथुन लग्न समाप्त | 19 जून 2023 07:27 AM बजे |
- गुप्त नवरात्रि वाले दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
- पूजा की थाल सजाएं।
- मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल वस्त्र अर्पित करें।
- अब एक मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक इन पर थोड़ा पानी का छिड़काव करते रहें।
- पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें।
- कलश को गंगा जल से भरें। उसके मुख को आम की पत्तियों से सजाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा से उसे बांधें। नारिलय को कलश के ऊपर रख दें।
- फिर फूल, कपूर, अगरबत्ती आदि के साथ पंचोपचार पूजा करें।
- फिर नौ दिनों तक मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
- अष्टमी या नवमी के दिन दुर्गा पूजा करके नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें पूड़ी, चना, हलवा का भोग लगाएं।
गुप्त नवरात्रि का रहस्य (What Is Gupt Navratri)
सुजीत जी महाराज अनुसार गुप्त मतलब गोपनीय, छुपी हुयी। एक ऐसी आराधना जिसमें माता के एक अलग तरह की तांत्रिक पूजा की जाती है। मुख्य नवरात्र में शैलपुत्री से सिद्धिदात्री तक की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि में काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्तिका, भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, माता मातंगी और कमला की पूजा की जाती है। मुख्य नवरात्र में पूजा का समय सामान्यतया दिन में होता है वहीं गुप्त नवरात्र में रात्रि में तांत्रिक साधनाएं की जाती हैं। बंगलामुखी उपासना के लिए गुप्त नवरात्र का समय सर्वश्रेष्ठ होता है। इस उपासना में पीले वस्त्रों में एकांत स्थान में बंगलामुखी पूजा बहुत ही नियम पूर्वक और कठोर अनुशासन में की जाती है। प्रायः मुख्य नवरात्र एक गृहस्थ पूजा है। कोई भी आसानी से नियमित सरल तरीके से माता की पूजा कर सकता है लेकिन गुप्त नवरात्र में किसी विशेष सिद्धि की प्राप्ति माता की पूजा की जाती है। इसको नियम से पालन करना और रात्रि जागरण और विभिन्न तांत्रिक साधनाएं बहुत ही अनुष्ठान पूर्वक किये जाते हैं जिसकी साधना आम साधना से कठिन होती है।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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