Ashok Ashtami 2024 Date And Muhurat: आज है अशोक अष्टमी, नोट कर लें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Ashok Ashtami (Ashokastami) 2024 Date, Time And Puja Vidhi: अशोक अष्टमी पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन अशोक वृक्ष और भगवान शिव की पूजा की जाती है। यहां जानिए अशोक अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, महत्व सबकुछ।

Ashok Ashtami (Ashokastami) 2024 Date

Ashok Ashtami (Ashokastami) 2024 Date, Time And Puja Vidhi: अशोक अष्टमी का पर्व चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस साल ये पर्व 16 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन अशोक वृक्ष और भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यताओं अनुसार अशोक वृक्ष भगवान शिव से ही उत्पन्न हुआ था। इसलिए इस वृक्ष का पूजन करने से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है। कहते हैं इस व्रत को करने से व्यक्ति हमेशा शोकमुक्त रहता है। यहां जानिए अशोक अष्टमी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।

अशोकाष्टमी पूजा विधि (Ashokastami Puja Vidhi)

  • अशोका अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर शुद्ध जल से स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • इसके बाद शिवलिंग का अभिषेक करें। साथ में अशोक के पत्ते जरूर चढ़ाएं।
  • इस दिन शिव जी की पूजा के बाद अशोक वृक्ष पर जल भी जरूर अर्पित करना चाहिए।
  • कच्चे दूध में गंगाजल मिलाकर अशोक वृक्ष की जड़ में डालें।
  • फिर सूत और लाल धागे को सात बार अशोक वृक्ष में लपेटें।
  • इसके बाद अशोक वृक्ष की परिक्रमा करें।
  • फिर कुमकुम और अक्षत पेड़ पर लगाएं।
  • साथ में पेड़ के समक्ष घी का चौमुखी दीपक भी जरूर जलाएं।
  • फिर वृक्ष की धूप दीप से आरती उतारें।
  • संभव हो तो पेड़ के समक्ष बैठ कर रामायण के एक अध्याय का पाठ भी करें।
  • इसके बाद अशोक वृक्ष पर थोड़ा सा मिष्ठान भी अर्पित करें।
  • कहते हैं इस दिन पानी में अशोक के पत्ते डालकर पीने से शरीर के सभी रोग खत्म हो जाते हैं।
  • इस तरह से अशोका अष्टमी का व्रत-पूजन करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
अशोकाष्टमी व्रत कथा (Ashokastami Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं अनुसार अशोक वृक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू से हुई है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रावण ने जब अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्त्रोत गाया तब शिव भगवान ने तांडव आरंभ किया। शिव के तांडव से सृष्टि पर कोई संकट न आ पड़े इसके लिए सभी देव भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। कहते हैं उस समय भगवान शिव की आंखों से दो आंसू गिरते हैं एक आंसू से रुद्राक्ष तो दूसरे से अशोक वृक्ष की उत्पत्ति होती है।

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