Attukal Pongala 2025 Date: साल 2025 में अट्टुकल पोंगल कब मनाया जाएगा, जानिए तिथि और महत्व

Attukal Pongala 2025 Date: अट्टुकल पोंगल का त्योहार केरल के त्रिवेंद्रम में बहुत ही उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानें साल 2025 में अट्टुकल पोंगल का पर्व कब मनाया जाएगा।

Attukal Pongala 2025 Date

Attukal Pongala 2025 Date

Attukal Pongala 2025 Date: अट्टुकल पोंगल का पर्व दक्षिण भारत केरल में खासतौर पर मनाया जाता है। अट्टुकल पोंगल केरल के मंदिरों में बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन केरल के मंदिर में बहुत सारे भक्त दर्शन के लिए आते हैं और अटुकल भगवती की पूजा की जाती है। ये त्योहार फरवरी और मार्च के महीने में मनाया जाता है। ये त्योहार पूरे 10 दिनों तक चलता है। इस पर्व की शुरुआत मलयालम महीने मकरम या कुंभम के कार्तिगई नक्षत्र पर होती है और इसका समापन कुरुथिथारपनम के दिन बलिदान के साथ होता है। ऐसे में आइए जानें साल 2025 में अट्टुकल पोंगल का त्योहार कब मनाया जाएगा।

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Attukal Pongala 2025 Date (साल 2025 में अट्टुकल पोंगल कब है)

अट्टुकल पोंगल का त्योहार हर साल मार्च और अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। मलयालम कैलेंडर के अनुसार साल 2025 में पूरम नक्षत्र की शुरुआत 13 मार्च 2025 को सुबह 4 बजकर 5 मिनट पर होगी और इसका समापन 14 मार्च को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार साल 2025 में अट्टुकल पोंगल 13 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।

Attukal Pongala 2025 Puja Vidhi (अट्टुकल पोंगल की पूजा विधि)

  • अट्टुकल पोंगल के दिन सुबह स्नान के बाद साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • इस दिन केरल की महिलाओं के द्वारा अट्टुकल देवी के मंदिर में भोजन बनाया जाता है।
  • अट्टुकल पोंगल के दिन इंद्र देव और सूर्य की पूजा- अर्चना की जाती है।
  • इस दिन मंदिर परिसर में ही मिट्टी के बर्तन में चावल और गुड़ का भोग बनाया जाता है।

Attukal Pongala Importance (अट्टुकल पोंगल महत्व)

अट्टुकल पोंगाला केरल के अटुकल भगवती मंदिर में महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। यह पर्व मलयालम महीने मकरम या कुंभम में कार्तिकक्षत्र पर आरंभ होता है। इसके साथ ही ये पर्व रात में कुरुथिथारपनम नामक बलि चढ़ाने के साथ पूरा होता है। ये पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है। इस दिन लाखों की संख्या में खुले मैदान में महिलाएं इकट्ठा होकर देवी के लिए प्रसाद बनाती हैं। ये त्योहार महिलाओं के लिए बहुत ही खास माना जाता है। अटुकल भगवती मंदिर में इस पर्व का आयोजन किया जाता है।

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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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