Ram Mandir Aarti: अयोध्या राम मंदिर आरती लिरिक्स, भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी...
Ayodhya Ram Mandir Aarti Time: अयोध्या राम मंदिर में कौन सी आरती की जाएगी, किस समय की जाएगी। जानिए अयोध्या आरती के लिरिक्स।
Ayodhya Ram Mandir Aarti Time
Ayodhya Ram Mandir Aarti Time Live: अयोध्या राम मंदिर में हर दिन तीन बार आरती होगी। सुबह 6.30 बजे शृंगार या जागरण आरती होगी। दोपहर 12 बजे भोग आरती और शाम साढ़े 7 बजे संध्या आरती की जाएगी। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार बिना आरती के कोई भी पूजा पूरी नहीं होती। इसलिए पूजा-पाठ के समय आरती करना जरूरी माना गया है। कहते हैं भगवान राम की आरती करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। यहां देखें अयोध्या राम आरती के लिरिक्स।
भए प्रगट कृपाला दीनदयाला (Bhaye Pragat Kripala Din Dayala)
- भए प्रगट कृपाला दीनदयाला, कौसल्या हितकारी ।
- हरषित महतारी, मुनि मन हारी, अद्भुत रूप बिचारी ॥
- लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा, निज आयुध भुजचारी ।
- भूषन बनमाला, नयन बिसाला, सोभासिंधु खरारी ॥
- कह दुइ कर जोरी, अस्तुति तोरी, केहि बिधि करूं अनंता ।
- माया गुन ग्यानातीत अमाना, वेद पुरान भनंता ॥
- करुना सुख सागर, सब गुन आगर, जेहि गावहिं श्रुति संता ।
- सो मम हित लागी, जन अनुरागी, भयउ प्रगट श्रीकंता ॥
- ब्रह्मांड निकाया, निर्मित माया, रोम रोम प्रति बेद कहै ।
- मम उर सो बासी, यह उपहासी, सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
- उपजा जब ग्याना, प्रभु मुसुकाना, चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै ।
- कहि कथा सुहाई, मातु बुझाई, जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
- माता पुनि बोली, सो मति डोली, तजहु तात यह रूपा ।
- कीजै सिसुलीला, अति प्रियसीला, यह सुख परम अनूपा ॥
- सुनि बचन सुजाना, रोदन ठाना, होइ बालक सुरभूपा ।
- यह चरित जे गावहिं, हरिपद पावहिं, ते न परहिं भवकूपा ॥
- बिप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार ।
- निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुन गो पार ॥
रामलला की आरती (Ram Lalla Ki Aarti)
- आरती कीजे श्रीरामलला की, पूण निपुण धनुवेद कला की ॥
- धनुष वान कर सोहत नीके, शोभा कोटि मदन मद फीके ॥
- सुभग सिंहासन आप बिराजैं, वाम भाग वैदेही राजैं ॥
- कर जोरे रिपुहन हनुमाना, भरत लखन सेवत बिधि नाना ॥
- शिव अज नारद गुन गन गावैं, निगम नेति कह पार न पावैं ॥
- नाम प्रभाव सकल जग जानैं, शेष महेश गनेस बखानैं ॥
- भगत कामतरु पूरणकामा, दया क्षमा करुना गुन धामा ॥
- सुग्रीवहुँ को कपिपति कीन्हा, राज विभीषन को प्रभु दीन्हा ॥
- खेल खेल महु सिंधु बधाये, लोक सकल अनुपम यश छाये ॥
- दुर्गम गढ़ लंका पति मारे, सुर नर मुनि सबके भय टारे ॥
- देवन थापि सुजस विस्तारे, कोटिक दीन मलीन उधारे ॥
- कपि केवट खग निसचर केरे, करि करुना दुःख दोष निवेरे ॥
- देत सदा दासन्ह को माना, जगतपूज भे कपि हनुमाना ॥
- आरत दीन सदा सत्कारे, तिहुपुर होत राम जयकारे ॥
- कौसल्यादि सकल महतारी, दशरथ आदि भगत प्रभु झारी ॥
- सुर नर मुनि प्रभु गुन गन गाई, आरति करत बहुत सुख पाई ॥
- धूप दीप चन्दन नैवेदा, मन दृढ़ करि नहि कवनव भेदा ॥
- राम लला की आरती गावै, राम कृपा अभिमत फल पावै ॥
भगवान श्री राम की आरती (Ram Ji Ki Aarti)
- श्री राम चंद्र कृपालु भजमन हरण भाव भय दारुणम्, नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्।।
- कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्, पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
- भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्, रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।।
- सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं, आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं।।
- इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्, मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्।।
- मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों, करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो।।
- एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली, तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली।।
- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि, मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे।।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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