22 जनवरी 2024 को अयोध्या में होगी रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा, जानिए क्या रहेगा मुहूर्त

Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha Date: अयोध्या में रामलला की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 का दिन चुना गया है। इस दिन मृगशीर्ष नक्षत्र रहेगा जो अपने आप में बहुत खास माना जाता है। जानिए 22 जनवरी को ग्रह-नक्षत्रों का क्या शुभ संयोग बन रहा है।

Ramlala murti

Ayodhya Pran Pratishtha Date

Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha Date in 2024: 22 जनवरी, 2024 को भगवान श्री रामजन्मभूमि अयोध्या में रामलला मूर्ति की मुख्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा लेकिन उससे पहले ही कई तरीके के पूजा-पाठ और अनुष्ठान शुरू हो जाएंगे। 15 जनवरी को रामलला के विग्रह को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। सूर्य उस समय मकर राशि में होंगे।प्राण प्रतिष्ठा के पहले विग्रह का अधिवास होता है। 16 जनवरी से विग्रह के अधिवास का अनुष्ठान भी शुरू हो जाएगा, जो कि प्राण प्रतिष्ठा का पहला कार्यक्रम है। फिर 17 जनवरी को रामलला के विग्रह को नगर भ्रमण के लिए निकाला जाएगा। इसके बाद 18 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा की विधि प्रारंभ होगी और 19 जनवरी को यज्ञ अग्नि की स्थापना की जाएगी। 20 जनवरी को गर्भगृह को 81 कलश सरयू जल से धोने के बाद वास्तु की पूजा होगी। 21 जनवरी को रामलला को तीर्थों के 125 कलशों के जल से स्नान कराया जाएगा। आखिर में 22 जनवरी को मध्यान्ह मृगशिरा नक्षत्र में भगवान रामलला मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

प्राण प्रतिष्ठा के लिए मुहूर्त

22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 84 सेकंड का अति सूक्ष्म मुहूर्त होगा, जिसमें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने ये मुहूर्त चुना है। ये शुभ मुहूर्त का यह क्षण 84 सेकंड का मात्र होगा जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक होगा।

22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के समय ग्रह स्थिति

उस समय मेष लग्न होगा। गुरु मेष, चन्द्रमा वृष, केतु कन्या, मंगल, बुध, शुक्र धनु,सूर्य मकर, तथा शनि कुम्भ राशि में रहेंगे। गुरु केंद्र व लग्नेश मंगल गुरु के घर मे धनु में गोचर करेंगे। ग्रह स्थितियां बहुत ही धार्मिक व आध्यात्मिक हैं। साथ ही इस दिन मृगशीर्ष नक्षत्र रहेगा जो बेहद शुभ माना जाता है। भगवान राम के बाल रूप के विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा का यह बहुत मंगलमय दिवस है।

प्राण प्रतिष्ठा के होते हैं कई चरण

किसी भी मन्दिर में भगवान की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के कई चरण होते हैं। वह विग्रह लाने, उसके स्नान यहां तक कि नगर भृमण के बाद तब वह बहुत ही शुभ समय मे प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। हर देवता व भगवान के विग्रह के अलग अलग मुहूर्त होते हैं। शिवलिंग का अलग नियम है। इसीलिए सनातन धर्म मे कई संत मूर्ति से संवाद तक करते थे। स्वामी रामकृष्ण परमहंस माता काली से बात चीत करते थे, व उनकी मृत्यु के बाद उनका शरीर भी माता काली अपने साथ धाम को ले गई। परमहंस का शरीर नहीं मिला। यही मूर्ति पूजा तो हिन्दू धर्म की आत्मा है।

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सुजीत जी महाराज author

सुजीत जी महाराज ज्योतिष और वास्तु विज्ञान एक्सपर्ट हैं जिन्हें 20 वर्षों का ज्योतिष, तंत्र विज्ञान का अनुभव हासिल हैं। 25000 से ऊपर लेख देश के कई बड़...और देखें

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