Bach Baras 2024 Images, Puja Vidhi, Muhurat: बछ बारस की फोटो, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, कथा और महत्व

Bach Baras 2024 Puja Vidhi, Muhurat: बछ बारस का त्योहार का खास महत्व होता है। इसे गोवत्स द्वादशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां जानिए बछ बारस की पूजा विधि, सामग्री लिस्ट, मुहूर्त और महत्व।

Bach Baras Puja Vidhi

Bach Baras 2024 Puja Vidhi, Muhurat (बछ बारस की पूजा विधि): बछ बारस के दिन माताएं अपने बेटे की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस त्योहार का संबंध माता यशोदा और भगवान कृष्ण से है। कहते हैं इस व्रत को रखने से संतान के जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। ये व्रत पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। चलिए जानते हैं बछ बारस की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, पूजा सामग्री और महत्व।

Bach Baras Photo (बछ बारस फोटो)

Bach Baras photo

बछ बारस पूजा सामग्री (Bachh Baras Puja Samagri)

  • पूजा के लिए भैंस का दूध और दही
  • पूजा मे उगे हुए मोठ बाजरी और बाजरी के आटे की चार पिंडिया लेते हैं
  • भीगा हुआ चना और मोठ
  • मोठ-बाजरे में घी और चीनी मिला लें
  • चने की दाल का लड्डू, कच्चा दूध,
  • मेहंदी, मोली, चावल,
  • गुड़, सुपारी, पैसे, ब्लाउस पीस
  • फूल माला
बछ बारस पूजा विधि (Bach Baras Puja Vidhi In Hindi)

  • इस दिन महिलाएं निराहार व्रत रखती हैं।
  • सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं।
  • इसके बाद गाय और उसके बछड़ों को स्नान कराने के बाद उन्हें नए वस्त्र पहनाती हैं।
  • अगर आपके घर के पास गाय नहीं है तो इसकी जगह आप गाय की मूर्ति की पूजा करें या मिट्टी से गाय और उसका बछड़ा बना लें।
  • फिर गाय और बछड़े को फूल माला पहनाएं।
  • फिर गाय के माथे पर चंदन का तिलक लगाएं और गाय के सींग को सजाएं।
  • इस दिन गाय को रोली का टीका लगाकर चावल के स्थान पर बाजरा लगाया जाता है।
  • फिर गाय और बछड़े को भीगे हुए अंकुरित चने, बाजरे, मटर; मूंग, मोठ, चने के बिरवे, जौ की रोटी खिलाई जाती है।
  • फिर गौ माता के पैरों की धूल से खुद के माथे पर तिलक लगाएं। इसके बाद कुए की पूजा करें।
  • अगर पास में कुआ नहीं है तब घरों के बाहर ही गोबर से घेरा बनाकर उसमे पानी भरकर एक प्रतिकात्मक कुआ तैयार कर लिया जाता है। फिर इसकी विधि विधान पूजा होती है।
  • यदि गोबर ना मिल पाए तब फिर उसकी जगह पर एक पाटे पर मिटटी से बछबारस बनाते हैं और उसके बीच में एक मिटटी की एक गोल बावडी बनाई जाती है। फिर उसमें थोडा दूध, दही, पानी से डाल दिया जाता है। फिर इसकी पूजा की जाती है।
  • इसके बाद रोली और दक्षिणा चढ़ाई जाती है।
  • फिर खुद के लिए तिलक निकालते हैं और इसके बाद घर के सभी बच्चों चाहे छोटे हों या बड़े उन्हें आओ रे म्हारा हंसराज…बछराज… कहकर पूजन स्थल पर आमंत्रित किया जाता है।
  • पूजा के समय बच्चे अपनी मां का पल्लू थामकर पूजन थाल से लड्डू उठाकर और गाय माता के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
  • इसके बाद माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर उन्हें लड्डू खिलाने के बाद नारियल देकर उनकी लंबी उम्र की कामना करते हुए उन्हें आशीर्वाद देती हैं।
  • इस दिन हाथ में मोठ और बाजरे के कुछ दाने लेकर बछ बारस की कथा सुनी जाती है।
  • इसके बाद घर के बड़े लोगों का पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
  • इस दिन मोठ या बाजरा का दान भी जरूर करें।
  • अपनी सासु मां को बयाना जरूर दें। बायने में एक कटोरी भीगा चना, बाजरा, मोठ और कुछ पैसे दिए जाते हैं।
  • पूरा दिन व्रत रखें और रात में गौ माता की पूजा के बाद अपना व्रत खोलें। ध्यान रखें कि इस दिन अंकुरित अनाज ही ग्रहण करें।
बछ बारस पूजा मंत्र (Bach Baras Puja Mantra)

एक बर्तन में चावल, तिल, जल, सुगंधित पदार्थ मिलाकर ये मंत्र बोलते हुए गाय के पैर धोए जाते हैं...

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