Badrinath Closing Date 2024: नवंबर के महीने में कब होंगे बद्रीनाथ के कपाट, यहां जानिए तिथि महत्व

Badrinath Closing Date 2024: नवंबर के महीने में बद्रीनाथ के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। ये मंदिर 6 महीने के लिए बंद किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं बद्रीनाथ के कपाट कब बंद होंदे।

Badrinath Closing Date 2024

Badrinath Closing Date 2024

Badrinath Closing Date 2024: बद्रीनाथ धाम चारधाम से एक मुख्य धाम है। हर साल बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद और खुलने का समय पहले से ही तय किया जाता है। हर साल अक्षय तृतीया पर बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तारीख तय होती है और कपाट बंद करने की तारीख दशहरा के दिन किया जाता है। केदारनाथ धाम के कपाट दीवाली के बाद बंद होते हैं। इस साल केदारनाथ और यमुनोत्री के कपाट 3 नवंबर को बंद होंगे। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की तारीख 12 अक्तूबर 2024 को ही तय कर दिया गया था। आइए जानें इस साल बद्रीनाथ के कपाट कब बंद होंगे।

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Badrinath Closing Date 2024 (बद्रीनाथ के कपाट कब बंद होंगे 2024)

इस साल बद्रीनाथ का कपाट 17 नवंबर 2024 को बंद होगा। इस दिन ही तुंगनाथ धाम के कपाट भी बंद होंगे। बद्रीनाथ के कपाट र 17 नवंबर 2024 को रात के 9 बजकर 07 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो जाएगा।

Badrinath Dham History (बद्रीनाथ धाम का इतिहास)

बद्रीनाथ धाम का इतिहास बहुत पुराना है। बद्रीनाथ धाम चारधाम में से सबसे प्रमुख धाम है। ये धाम उतरराखंड के चमोली मे स्थित है। यहां पर मां अलकनंदा बहती है। मां अलकनंदा बद्री विशाल के पांव अपने पावन चरणों से धोती हैं। भगवान विष्णु ने अपनी तपस्या के लिए ये स्थान खोजा था। भगवान विष्णु से पहले ये माता पार्वती और भगवान शिव की भूमि थी। शिव जी से ये स्थान लेने के लिए भगवान विष्णु ने बालक का रूप धारण किया और रोने लगे। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर माता पार्वती और शिव जी उसके पास आए। उसके बाद बालक रूप विष्णु ने ध्यान करने के लिए शिव जी से ये स्थान मांग लिया। तब से ही इस पवित्र स्थान का नाम बद्री विशाल और बद्रीनाथ पड़ गया।

Badrinath Mandir Importance (बद्रीनाथ मंदिर का महत्व)

हिंदू धर्म में बद्रीनाथ मंदिर का खास महत्व है। भगवान विष्णु ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी। एक बार भगवान विष्णु जब तपस्या कर रहे थे। तब माता लक्ष्मी वहां गई और विष्णु जी की तपस्या देखकर परेशान हो गई। तपस्या वाली स्थान पर ही मां लक्ष्मी बेरी के पेड़ का रूप धारण कर लिया। पेड़ का रूप धारण करके मां लक्ष्मी ने तपस्या के दौरान भगवान विष्णु की हर परिस्थिति में रक्षा की।

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जयंती झा author

बिहार के मधुबनी जिले से की रहने वाली हूं, लेकिन शिक्षा की शुरुआत उत्तर प्रदेश की गजियाबाद जिले से हुई। दिल्ली विश्वविद्यायलय से हिंदी ऑनर्स से ग्रेजुए...और देखें

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