Baikunth Chatudashi Ki Katha: भगवान विष्णु और शिव जी से जुड़ी है बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा

Baikunth Chaturdashi Katha In Hindi (बैकुंठ चतुर्दशी की कथा pdf): बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक पूर्णिमा से एक दिन पहले मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ भोलेनाथ की भी पूजा की जाती है। यहां आप जानेंगे बैकुंठ चतुर्दशी की कथा।

Baikunth Chatudashi Ki Katha

Baikunth Chatudashi Ki Katha

Baikunth Chaturdashi Katha In Hindi (बैकुंठ चतुर्दशी की कथा pdf): बैकुंठ चतुर्दशी का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव और श्री हरि विष्णु भगवान दोनों की पूजा होती है। शिवपुराण के अनुसार कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को श्री विष्णु भगवान शिव शंकर भगवान की पूजा करने के लिए वाराणसी गए थे। बैकुंठ चतुर्दशी पर, भगवान विष्णु की पूजा निशीथकाल में की जाती है तो वहीं भगवान शिव की पूजा प्रातःकाल में होती है। इस दिन वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अरुणोदयकाल में स्नान करना बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस स्नान को मणिकर्णिका स्नान के नाम से जाना जाता है। चलिए जानते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की कथा।

Kartik Purnima Ganga Snan Date

बैकुंठ चतुर्दशी की कथा (Baikunth Chaturdashi Ki Katha)

बैकुंठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा अनुसार एक बार भगवान विष्णु महादेव का पूजन करने के लिए काशी आए। वहां मणिकर्णिका घाट पर उन्होंने स्नान करके एक हजार कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ की पूजन करने का संकल्प किया। अभिषेक के बाद जब वे पूजन करने लगे तो भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए एक कमल पुष्प कम कर दिया। भगवान श्रीहरि को ये पूजन 1000 कमल पुष्प से करना था। एक पुष्प की कमी हुई को वो सोचने लगे कि मेरी आंखें भी तो कमल के ही समान हैं। इसलिए मुझे कमल नयन कहा जाता है। यह विचार कर भगवान विष्णु अपनी कमल समान आंख चढ़ाने को प्रस्तुत हुए।

विष्णु जी की भक्ति से प्रसन्न होकर देवाधिदेव महादेव प्रकट हुए और बोले: हे विष्णु! आपके समान संसार में दूसरा कोई मेरा भक्त नहीं है। आज से ये कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी बैकुंठ चतुर्दशी के नाम से जानी जाएगी और इस दिन जो विधि पूर्वक आपका पूजन करेगा, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी। कहते हैं भगवान शिव ने इसी बैकुंठ चतुर्दशी को सुदर्शन चक्र, विष्णु जी को प्रदान किया था। साथ ही शिवजी और विष्णुजी कहते हैं कि इस चतुर्दशी पर स्वर्ग के द्वार खुले रहेंगें। धरती पर रहना वाला कोई भी व्यक्ति इस व्रत को करेगा उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति अवश्य होगी।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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