Bajrang Baan Lyrics: हनुमान जयंती पर जरूर करें बजरंग बाण का पाठ, बनेगा हर काम

Bajrang Baan Lyrics: जब किसी विशेष कार्य को सिद्ध करना हो तो बजरण बाण का पाठ करना चाहिए। ये पाठ बेहद शक्तिशाली माना गया है। यहां देखें बजरंग बाण के लिरिक्स।

Bajrang Baan Lyrics

Bajrang Baan Lyrics

Bajrang Baan Lyrics: आज हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) का पावन पर्व मनाया जाता रहा है। हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। कहते हैं विपदा के समय जो कोई भी भगवान हनुमान को याद करता है तो संकटमोचन बजरंगबली रक्षा के लिए जरूर आते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए जहां एक तरफ हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Lyrics) और सुंदरकांड का पाठ सबसे उत्तम माना जाता है। तो वहीं बजरंग बाण का पाठ करने से बजरंगबली की कृपा से विशेष कार्य सिद्ध हो जाते हैं। कहते हैं जो श्रद्धा से इस पाठ को करता है उसकी हर मुराद पूरी हो जाती है। यहां देखें बजरंग बाण के लिरिक्स।

श्री बजरंग बाण पाठ (Shri Bajrang Baan Lyrics)

॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमंत संत हितकारी ।
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥
जन के काज बिलंब न कीजै ।
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥
जैसे कूदि सिंधु महिपारा ।
सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ॥
आगे जाय लंकिनी रोका ।
मारेहु लात गई सुरलोका ॥
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा ।
सीता निरखि परमपद लीन्हा ॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा ।
अति आतुर जमकातर तोरा ॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ।
लूम लपेटि लंक को जारा ॥
लाह समान लंक जरि गई ।
जय जय धुनि सुरपुर नभ भई ॥
अब बिलंब केहि कारन स्वामी ।
कृपा करहु उर अंतरयामी ॥
जय जय लखन प्रान के दाता ।
आतुर ह्वै दुख करहु निपाता ॥
जै हनुमान जयति बल-सागर ।
सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीशा ।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीशा ॥
जय अंजनि कुमार बलवंता ।
शंकरसुवन बीर हनुमंता ॥
बदन कराल काल-कुल-घालक ।
राम सहाय सदा प्रतिपालक ॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर ।
अगिन बेताल काल मारी मर ॥
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की ।
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै ।
राम दूत धरु मारु धाइ कै ॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ।
दुख पावत जन केहि अपराधा ॥
पूजा जप तप नेम अचारा ।
नहिं जानत कछु दास तुम्हारा ॥
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं ।
तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं ॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ।
ताकी सपथ बिलंब न लावौ ॥
जै जै जै धुनि होत अकासा ।
सुमिरत होय दुसह दुख नासा ॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं ।
यहि औसर अब केहि गोहरावौं ॥
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई ।
पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ।
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल ।
ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल ॥
अपने जन को तुरत उबारौ ।
सुमिरत होय आनंद हमारौ ॥
यह बजरंग-बाण जेहि मारै ।
ताहि कहौ फिरि कवन उबारै ॥
पाठ करै बजरंग-बाण की ।
हनुमत रक्षा करै प्रान की ॥
यह बजरंग बाण जो जापैं ।
तासों भूत-प्रेत सब कापैं ॥
धूप देय जो जपै हमेसा ।
ताके तन नहिं रहै कलेसा ॥
॥ दोहा ॥
उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान ।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान ॥

बजरंग बाण किसने और क्यों लिखा

हनुमान चालीसा की तरह ही बजरंग बाण भी गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है। धार्मिक मान्यताओँ अनुसार एक बार तुलसीदास जी पर एक तांत्रिक ने मारण मंत्र का प्रयोग किया जिससे तुलसीदास जी के शरीर पर बड़े-बड़े फोड़े निकल आए थे। तब तुलसीदास जी ने बजरंग बाण का पाठ करके बजरंगबली से रक्षा की गुहार लगाई। कहते हैं इस पाठ को करने से तुलसीदास जी ठीक हो गए थे। तभी से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए ये पाठ सबसे शक्तिशाली माना जाने लगा।
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