Balram Jayanti 2023: जानिए कब मनाई जाएगी बलराम जयंती, जानें पूजा विधि और महत्व
Balram Jayanti 2023: सनातन शास्त्रों में कहा गया है कि बलराम का जन्म भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हुआ था। इसीलिए इस दिन बलराम जयंती मनाई जाती है। जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को बलदाऊजी भी कहा जाता है। कब मनाई जाएगी बलराम जयंती। बलराम जयंती की पूजा विधि क्या है। यहां जानें सबकुछ
Balram Jayanti 2023
Balram Jayanti 2023: सनातन पंचाग के अनुसार, बलराम जयंती हर साल भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। इस साल , 2023 में, बलराम जयंती 5 सितंबर मंगलवार को मनाई जाएगी । इसे'हल छठ' के नाम से भी जाना जाता है। सनातन शास्त्र के अनुसार बलराम का जन्म भाद्रपद माह में कृष्ण पक्षष की षष्ठी तिथि को हुआ था। जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण के भाई बलराम को बलदाऊ भी कहा जाता है। इस दिन कृष्ण कन्हैया के साथ बलरामजी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की चिंताएं और परेशानियां दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं बलराम जयंती के दिन किस विधि से पूजा करनी चाहिए।
बलराम जयंती पूजा विधिबलराम जयंती के ब्रह्म बेला में जागकर जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु सहित शेषनाग को प्रणाम करें। शास्त्रों में निहित है कि द्वापर युग में शेषनाग ने बलराम के रूप में अवतार लिया था। रोज के काम से निवृत होकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें और भगवान का ध्यान करें। फिर कपड़े पहनें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। - अब भगवान श्रीकृष्ण के साथ बलराम जी की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के अंत में आरती करके सौभाग्य और समृद्धि की प्रार्थना करें। आप चाहें तो इस दिन उपवास भी कर सकते हैं। शाम के समय में श्री कृष्ण और बलराम जी की आरती करें और प्रणाम कर के फलहार करें। अगले दिन सबरे उठकर स्नान पूजा के बाद व्रत का पारण करें।
बलराम जयंती महत्वधार्मिक मान्यता के अनुसार श्री कृष्ण की भांति बलराम जयंती का बहुत महत्व है। इस दिन जगत के पालनहार श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। ये व्रत भादव महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। बलराम को शेष नाग का अवतार माना जाता है। बलराम जयंती के दिन हल की भी पूजा की जाती है, इसलिए इसे हलषष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। हल भगवान बलराम को बेहद ही प्रिय है। इसका उपयोग करने के कारण उन्हें हलधर के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खेती में प्रयोग होने वाले सामान की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
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