ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के अद्भुत हैं ये रहस्य।
तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
- रहस्यों से भरा है ठाकुर बांके बिहारी मंदिर
- मंगला आरती होती है वर्ष में सिर्फ एक बार
- चरणाें के भी होते हैं साल में एक ही बार दर्शन
Vrindavan Banke Bihari Temple: ब्रजधाम निराला और निराला ब्रजधाम को बसाने वाला। ब्रज क्षेत्र यानी उत्तर प्रदेश का मथुरा जिला और उसके आसपास का क्षेत्र। दुनिया जिसे श्रीकृष्ण भगवान के रूप में पूजती है उन्हीं श्रीकृष्ण को कान्हा, लल्ला के रूप में पूजने वाला क्षेत्र। श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा से महज दस किमी की दूरी पर बसा है वृंदावन। जिसे कान्हा की क्रीड़ा स्थली के रूप में जाना जाता है। वृंदावन की पहचान देश दुनिया में बांके बिहारी मंदिर के नाम से भी है।
जैसे ठाकुर बिहारी जी बांके हैं, वैसे ही उनका ये मंदिर भी बांका ही है। यदि आप सनातन धर्म के अनुयायी हैं तो बांके बिहारी मंदिर के दर्शन करने कम से कम एक बार जरूर गए होंगे। यदि नहीं तो इस खबर को पढ़ने के बाद ये माैका आप नहीं चूकेंगे। गर्मियों में मंदिर सुबह 7:30 बजे से 12:00 बजे तक खुलता है। वहीं शाम को 5:30 बजे से रात को 9:30 बजे तक दर्शन होते हैं। वहीं सर्दियों में मंदिर 8:45 बजे से 1:00 बजे तक भक्तों के लिए खुलता है। शाम को 4:30 से 8:30 बजे तक दर्शन होते हैं।
रहस्यों से भरा है बांके बिहारी जी का मंदिर
दुनिया की तमाम ऐतिहासिक इमारतों के बारे में आपने पढ़ा होगा, उनकी अनोखी बनावट की शैली के बारे में लेकिन वृंदावन का ठाकुर बांके बिहारी मंदिर इन तमाम शैलियों से अलग है। यहां जो बिहारी जी का विग्रह है उसमें राधा और कृष्ण की युगल छवि है। जैसे ही चरण इस मंदिर की चौखट के भीतर आते हैं, मन हल्का और आंखें भीग जाती हैं। हर दो पल में बिहारी जी के विग्रह के आगे पर्दा डलता रहता है लेकिन इन पलों में यदि आपने एक बार भी बिहारी जी से नजरें मिला लीं तो आपकी आत्मा तक आंसुओं से भीग जाती है।
इस मंदिर से जुड़े 10 रहस्य जो आप शायद ही जानते हैं
1- सनातन धर्म के मंदिरों में मंगला आरती का बहुत अधिक महत्व होता है लेकिन आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती नहीं होती। वर्ष में सिर्फ एक बार जन्माष्टमी पर भक्तों को मंगला आरती देखने का सौभाग्य मिलता है।
2- मंदिर में बिहारी जी के विग्रह के चरणाें के दर्शन भी वर्ष में सिर्फ एक ही बार होते हैं। वैशाख मास की अक्षय तृतीया पर बिहारी जी के चरणाें के दर्शन किये जा सकते हैं।
3- हर दो पल में पर्दा डालने के पीछे कारण है कि भक्त उनकी भक्ति में इतने विभाेर हो जाते हैं कि बिहारी जी ही उनकी भक्ति से वशीभूत होकर साथ चलने लगते हैं।
4- माना जाता है कि बिहारी जी आज भी रात्रिकाल में अपनी प्राकट्य स्थली निधिवन जाते हैं और यहां हर रात रास रचाते हैं। इसलिए निधिवन में आज तक कोई भी रात नहीं बिता सका है। जो रुका वो या तो सुबह तक अपना मानसिक संतुलन खो बैठा या फिर देह त्याग दी।
5- बांके बिहारी जी का काले रंग का विग्रह है। मान्यता है कि इस विग्रह में राधा और कृष्ण दोनों की ही छवि है।
6- बांके बिहारी जी का श्रृंगार राधा और कृष्ण यानी आधी स्त्री और आधे पुरुष रूप में किया जाता है।
7- माना जाता है कि भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर बांके बिहारी जी कई बार भक्तों को साक्षात दर्शन भी देते हैं।
8- बिहारी जी की छवि देखते ही भक्तों की आंखाें से आंसू की निर्झर झरते हैं।
9- बांके बिहारी जी के मंदिर में भक्त आंखें बंद कर दर्शन या ध्यान नहीं करते। आंखें खाेलकर बिहारी जी के दर्शन करते हैं और अपलक उन्हें निहारते ही रहते हैं।
10- बिहारी जी के विग्रह के पास हर रात लड्डू रखा जाता है। क्योंकि बिहारी जी के बाल रूप की पूजा यहां की जाती है। कहा जाता है कि रात में भगवान को भूख भी लगती होगी। हैरान करने वाली बात है कि सुबह वो लड्डू फूटे हुए मिलते हैं।
आपको बता दें कि बांके बिहारी मंदिर की प्रसिद्धि देश विदेश में है। यहां प्रतिदिन हजाराें भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। विशेष अवसरों पर ये संख्या लाखाें में पहुंच जाती है। संकरी गली में मंदिर होने के कारण यहां जाना आसान नहीं है लेकिन भक्त आस्था के वशीभूत हो हर असुविधा को नजरअंदाज कर मंदिर पहुंचते हैं।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)