Basant Panchami Shlok In Sanskrit: बसंत पंचमी के श्लोक हिंदी और संस्कृत में देखें यहां

Basant Panchami Shlok In Hindi And Sanskrit: बसंत पंचमी के त्योहार को वसंत पंचमी (Vasant Panchami) और सरस्वती पूजा (Saraswat Puja) के नाम से भी जाना जाता है। यहां आप देखेंगे बसंत पंचमी सरस्वती पूजा के श्लोक।

basant panchami shlok

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा श्लोक

Basant Panchami Shlok In Hindi And Sanskrit: बसंत पंचमी का पर्व पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। क्योंकि ये पर्व विद्या की देवी मां सरस्वती से जुड़ा है इसलिए स्कूलों में इस दिन तरह-तरह के कार्यक्रम किये जाते हैं। बच्चों को मां सरस्वती के बारे में बताया और इनके श्लोकों का उच्चारण किया जाता है। अगर आप मां सरस्वती के सरल और प्रसिद्ध श्लोकों के बारे में जानना चाहते हैं तो बने रहिए हमारे इस आर्टिकल पर। यहां आप जानेंगे बसंत पंचमी के श्लोक हिंदी और संस्कृत दोनों भाषाओं में।

बसंत पंचमी सरस्वती पूजा श्लोक 1. आसुरमिति च ब्रह्मविष्यवीशानेन्द्रादीनामैश्वर्यकामनया

निरशनजपाग्निहोत्रादि-ष्वन्तरात्मानं संतापयति

चात्युग्ररागद्वेषविहिंसादम्भाद्यपेक्षितं तप आसुरम्।।

भावार्थः जो ब्रह्मा, विष्णु, ईशान और इन्द्र आदि देवों के ऐश्वर्य की कामनापूर्वक व्रत, जप, यज्ञ आदि में अन्तरात्मा को तपाये तथा अत्युग्र राग-द्वेष, हिंसा, दम्भ आदि दुर्गुणों से युक्त होकर जो तप करे, वह आसुरी तप कहलाता है।

2. वीणाधरे विपुलमङ्गलदानशीले भक्तार्तिनाशिनि विरिञ्चिहरीशवन्द्ये।

कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे विद्याप्रदायिनि सरस्वतिनौमि नित्यम्।।

भावार्थः हे वीणा धारण करने वाली, अपार मंगल देने वाली, भक्तों के दुःख छुड़ाने वाली, ब्रह्मा, विष्णु और शिव से वन्दित होने वाली कीर्ति तथा मनोरथ देने वाली, पूज्यवरा और विद्या देने वाली सरस्वती! आपको नित्य प्रणाम करता हूँ।

3. लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टि: प्रभा धृति:।

एताभि: पाहि तनुभिरष्टाभिर्मां सरस्वति।।

भावार्थः हे मां सरस्वती! लक्ष्मी, धरा, गौरी, तुष्टि, धृति, मेघा, पुष्टि, प्रभा – इन आठ मूर्तियों से मेरी रक्षा करो।

4. या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।

या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

भावार्थः जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।

5. पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती।

प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या।।

भावार्थः बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती है, हमलोगों का पालन करें।

6. सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।

विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते।।

भावार्थः हे महा भाग्यवती, ज्ञानदात्री, ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली सरस्वती! मुझे विद्या दो, मैं आपको नमस्कार करता हूँ।

7. सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्।

देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:।।

भावार्थः मेरा वाणी की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती को नमस्कार! इनकी कृपा से मानव देवता जैसा बन जाता है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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