Basant Panchami Shloka In Sanskrit: सरस्वती माता के श्लोक मंत्र इन हिंदी और संस्कृत
Basant Panchami Shloka In Sanskrit: बसंत पंचमी का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। इस साल बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जा रहा है। यहां देखें सरस्वती पूजा के श्लोक।
Basant Panchami Saraswati Puja Shlok in Sanskrit
Basant Panchami 2024 Saraswati Puja Shlok In Hindi And Sanskrit: हिंदू कैलेंडर के अनुसार सरस्वती पूजा का त्योहार माघ महीने के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार सर्दियों के अंत और वसंत की शुरुआत का प्रतीक होता है। बंगाल, पंजाब, हरियाणा, असम, ओडिशा सहित अन्य शहरों में इस त्योहार को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। स्कूल-कॉलेजों में इस दिन मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यहां देखें सरस्वती पूजा यानी बसंत पंचमी के श्लोक संस्कृत में हिंदी अर्थ सहित।
Sanskrit Shlok on Basant Panchami (बसंत पंचमी सरस्वती पूजा संस्कृत श्लोक)
ओउम या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता ,
या वीणावरदण्डमण्डित करा या श्वेत पद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता ,
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
अर्थात- विद्या की देवी मां सरस्वती जी कुन्द-पुष्प के समान, शशि, बर्फ़ की माला की तरह सफेद रंग की हैं। श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। जिनके हाथ में वीणा-दण्ड है। जो सफेद कमल पर बैठी हैं! जिनकी त्रिदेव वंदना करते हैं। वह समस्त मूर्खता को समाप्त करने वाली और ज्ञान को देने वाली मां सरस्वती मेरा पालन करें।
शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे।
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥”
अर्थात- शरत ऋतु में उत्पन्न कमल का आसन ग्रहण करने वाली। समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मां सरस्वती जी... सदैव मेरे मुख में सब सम्पत्तियों के साथ विराजमान रहें।
Saraswati Puja Shlok In Sanskrit (सरस्वती पूजा श्लोक इन संस्कृत)
सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारंभं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥”
अर्थ – हे मां सरस्वती..! हे वर देने वाली मां, कामरूपिणी। मैं विद्या आरम्भ करने जा रहा हूं। मुझे सफल बनाना।
वीणाधरे विपुलमङ्गलदानशीले भक्तार्तिनाशिनि विरिञ्चिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे विद्याप्रदायिनि सरस्वतिनौमि नित्यम्।।
भावार्थः हे वीणा धारण करने वाली, अपार मंगल देने वाली, भक्तों के दुख हरने वाली, ब्रह्मा, विष्णु और शिव से वन्दित होने वाली कीर्ति तथा मनोरथ देने वाली, पूज्यवरा और विद्या देने वाली सरस्वती! आपको नित्य प्रणाम करता हूं या करती हूं।
Basant Panchami Shlok In Sanskrit (बसंत पंचमी श्लोक इन संस्कृत)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
भावार्थः जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे ताम् परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।
भावार्थः जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देने वाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूं या करती हूं।
Saraswati Mata Shlok In Hindi (सरस्वती माता श्लोक इन हिंदी)
पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती।
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या।।
भावार्थः बुद्धिरूपी सोने के लिए कसौटी के समान सरस्वती जी, जो केवल वचन से ही विद्धान् और मूर्खों की परीक्षा कर देती है, हमलोगों का पालन करें।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने।
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते।।
भावार्थः हे महा भाग्यवती, ज्ञानदात्री, ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली सरस्वती! मुझे विद्या दो, मैं आपको नमस्कार करता हूं या करती हूं।
Saraswati Puja Shlok In Hindi (सरस्वती पूजा श्लोक इन हिंदी)
वसंतपञ्चमी आशास्महे नूतनहायनागमे भद्राणि पश्यन्तु जनाः सुशान्ताः।
निरामयाः क्षोभविवर्जितास्सदा मुदा रमन्तां भगवत्कृपाश्रयाः।।
भावार्थः आप सब को और आप के परिवार को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये। मैं ईश्वर से आपके उज्जवल भविष्य और हमारे सम्बन्धो में वृद्धि की कामना करता हूँ या करती हूं।
सरस्वति नमौ नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:।
वेदवेदान्तवेदाङ्गविद्यास्थानेभ्य एव च।।
भावार्थः मां सरस्वती को मेरा नित्य प्रणाम! भद्रकाली को मेरा नमस्कार है। वेद, वेदान्त, वेदांग तथा विद्याओं के स्थानों को नमस्कार।
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