भाव 2025: आधुनिकता और परंपरा का महाकुंभ है भाव फेस्टिवल, जाने-माने दिग्गजों से बनेगी इसकी शोभा अलौकिक, जानें कब होगा आयोजन

भाव 2025: भाव, भारत का सबसे भव्य सांस्कृतिक सम्मेलन है जहां परंपरा और आधुनिकता को जोड़ते हुए कला और अध्यात्म का अद्भुत और अनूठा संगम प्रस्तुत किया जाता है। ये तीन दिवसीय आयोजन 23 से 26 जनवरी 2025 के बीच आर्ट ऑफ लिविंग इंटरनेशनल सेंटर, नोएडा में होगा। इस महोत्सव में 600 से अधि‍क कलाकार भाग लेंगे और यहां 70 से अधिक पारंपरिक प्रस्तुतियां होंगी। चलिए भाव 2025 से जुड़ी मान्यताओं के विषय में जानते हैं।

Bhaav 2025 in Noida

Bhaav 2025: आध्तामिक गुरु श्री श्री रविशंकर के दृष्टिकोण ने इस सांस्कृतिक महा कुंभ को दिशा दी है और उनके द्वारा अगर एक भी संस्कृति, धर्म या सभ्यता खत्म हो जाए तो दुनिया निर्धन हो जाएगी। हर संस्कृति विश्व की धरोहर का हिस्सा रही है, और हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें संजोकर रखें। वर्ष भाव 2025 में समावेशित को विशेष रूप से केंद्रित किया गया है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास में ट्रांसजेंडर समाज के लोगों के योगदान को सम्मान देते हुए, ये फेस्टिवल उनके अनोखे सफर को मंच प्रदान करेगा। पद्मश्री मंजम्मा जोगथी, जो जोगथी नृत्य का नेतृत्व करने वाली और कर्नाटक जनपद अकादमी की पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष हैं यहां अपनी प्रेरणादायक जीवन यात्रा को साझा करेंगी। वहीं, सुशांत दिवगीकर अपने जोशीले प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने को उत्साहित हैं। कोलकाता से रात्रि दास के नेतृत्व में 10 ट्रांसजेंडर कलाकार भारतनाट्यम की प्रस्तुति ‘सप्त मातृका’ देंगे, जिसे नारी शक्ति का माना जाता है। संस्कृति और पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में इस आयोजन को और भी खास बनाएगी। अभिनेत्री प्राजक्ता माली अपने अनोखे अंदाज में दर्शकों अपनी कला को कला को पेश करेंगी।

सितारों से सजी शाम

भाव 2025 में देश के जाने-माने कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करने आते हैं। पद्मविभूषण सोनल मानसिंह, वीणा वादक आर. विश्वेश्वरन, और मृदंग वादक ए.वी. आनंद जैसे दिग्गज कलाकार इस बार भाव 2025 की शोभा बढ़ाएंगे। इनके अलावा, कथक नृत्य में मनीषा साठे और कर्नाटक से प्रसिद्ध संगीतकार राजम शंकर अपनी प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर देंगे। आधुनिकता और परंपरा के संगम को दर्शाते हुए अदिति मंगालदास भी कथक नृत्य का अनोखी प्रस्तुतिकरण करेंगी।

लुप्त परंपराओं का पुनर्जागरण

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