Bhado Purnima 2023 Date: जानिए कब रखा जाएगा भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत, नोट कर लें सही डेट और पूजा विधि

Bhado Purnima 2023 Date: भाद्रपद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग गंगा यमुना और नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति भाद्रपद पूर्णिमा पर स्नान करता है उसे भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। कब है भाद्रपद पूर्णिमा। इसकी पूजा विधि। यहां जानें सारी जानकारी।

Bhado Purnima 2023

Bhado Purnima 2023

Bhado Purnima 2023 Date: भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा या भाद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्नान और दान का बहुत महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इस दिन के बाद से आपको हमेशा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए और ऐसा माना जाता है कि अगर आप इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को खाना खिलाते हैं तो आपको पुण्य की प्राप्ति होती है और आप किसी भी काम में सफल होते हैं। जानिए पूर्णिमा की शुभ तिथियां और समय।

कब रखा जाएगा भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत ( Bhado Purnima 2023 Date)हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन भाद्रपद पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस बार ये व्रत 29, 2023 को रखा जाएगा। इस व्रत का आरंभ 28 सितंबर शाम के 6 बजे शुरू होगा और इसका समापन 29 सितंबर दोपहर में 3 बजकर 30 मिनट पर होगा। उदयातिथि के कारण ये व्रत 29 सितंबर को रखा जाएगा।

भाद्रपद पूर्णिमा पूजा विधि ( Bhado Purnima Puja Vidhi)

धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:

  • पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी सरोवर या तालाब में स्नान करें।
  • इसके बाद भगवान सत्यनारायण की विधिपूर्वक पूजा करें और उन्हें प्रसाद फल और फूल चढ़ाएं।
  • सेवा के बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुननी चाहिए। इसके बाद पंचामृत और चूरमा का प्रसाद बांटना चाहिए.
  • इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना चाहिए।

भाद्रपद पूर्णिमा महत्व ( Bhado Purnima Importance)

हिंदू धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन, गणेश उत्सव समाप्त होता है और पूर्वजों के स्मरण के लिए श्राद्ध शुरू होता है। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व माना जाता है। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा करने की भी परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि इस कथा को पढ़ने से लोगों के घर में सुख-दुख दूर हो जाते हैं और समृद्धि आती है।

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