Types of Moksh in Bhagavad Gita: ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग होता है मोक्ष, भगवद्गीता में बताए गए हैं इसके 4 प्रकार

Types of Moksh in Bhagavad Gita (भगवद्गीता में मोक्ष के प्रकार): हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मोक्ष का अर्थ है जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति होना और ईश्वर की शरण पाना। भगवान श्री कृष्ण ने गीता कहते समय 4 तरह के मोक्ष का वर्णन किया है। आइये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।

what are the different types of moksh in bhagavad gita

Types of Moksh in Bhagavad Gita (भगवद्गीता में मोक्ष के प्रकार): भगवद्गीता भारतीय संस्कृति का मूल ग्रंथ है। भगवद्गीता वेद व्यास द्वारा रचित महाभारत महाकाव्य का ही एक हिस्सा है जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्म, भक्ति, ज्ञान और योग के बारे में बताया है। मोक्ष की कामना के साथ लोग पूजा—पाठ और दान-पुण्य करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोक्ष कितने प्रकार का होता है? चलिए जानते हैं।

भगवद्गीता

मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में महाभारत युद्ध के आरम्भ होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया था उसे श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जाना जाता है। ये महाभारत के भीष्मपर्व का ही भाग है। गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं जो युगों से लोगों का मार्गदर्शन करते आ रहे हैं।

मोक्ष क्या है ?

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मोक्ष का अर्थ है जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति होना और ईश्वर की शरण पाना। ये पुरुषार्थ का अंतिम अंतिम लक्ष्य है जिससे पहले धर्म, अर्थ और काम आते हैं। मोक्ष को निर्वाण भी कहा जाता है क्योंकि इसमें इंसान अपनी माया से मुक्त हो जाता है।

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