भागवत गीता संस्कृत श्लोक: यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
Bhagwat Shlok In Sanskrit: श्लोकों के माध्यम से भागवत गीता में दी गई शिक्षाएं अमृत तुल्य मानी जाती हैं। कहते हैं जो गीता में कही गई बातों को अपने जीवन में अपना लेता है उसे किसी प्रकार का दुख नहीं होता। यहां हम आपको बताएंगे गीता के उन प्रसिद्ध श्लोकों के बारे में जो आपके जीवन जीने का नजरिया बदल देंगे।
Bhagawat Geeta Shlok In Sanskrit
Bhagwat Geeta Shlok In Sanskrit: भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को महाभारत युद्ध के समय दिए गए उपदेशों को ही श्रीमद्भगवदगीता के नाम से जाना जाता है। गीता में दी गई शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी प्राचीन काल में थीं। इन शिक्षाओं से जीवन को सही तरीके से जीने की सीख मिलती है। गीता में कर्मयोग, ज्ञान योग और भक्ति योग के बारे में विस्तार से बताया गया है। संसार में रहकर के सांसारिक मोहमाया से कैसे मुक्ति पाई जा सकती है गीता में इस बात का भी उल्लेख मिलता है। यहां हम आपको गीता के कुछ लोकप्रिय श्लोकों के बारे में बताने जा रहे हैं।
गीता श्लोक इन संस्कृत अर्थ सहित (Geeta Shlok In Sanskrit With Meaning)
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तरमादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
अर्थ: काम, क्रोध व लोभ ये तीनों प्रकार के नरक के द्वार आत्मा का नाश करने वाले हैं इसलिए इन तीनों को त्याग देना चाहिए।
यदा यदा हि धर्मस्य हिंदी अनुवाद (Yada Yada Hi Dharmasya Shlok With Meaning)
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
भावार्थ- भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि इस धरती पर जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म का बढ़ने लगता है तब-तब वे अवतरित होते हैं।
गीता के श्लोक (Geeta Ke Shlok)
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
अर्थ: हे धनंजय (अर्जुन)। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योगयुक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।
भगवत गीता संस्कृत श्लोक (Bhagvat Slokas)
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।।
अर्थ: योगरहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और उसके मन में भावना भी नहीं होती। ऐसे भावनारहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।
भागवत गीता के श्लोक अर्थ सहित (Bhagwad Geeta Shlok In Karma)
विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:।
निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।।
अर्थ: जो मनुष्य सभी इच्छाओं व कामनाओं को त्याग कर ममता रहित और अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, उसे ही शांति प्राप्त होती है।
भगवत गीता श्लोक (Bhagwat Gita Shlok)
तानि सर्वाणि संयम्य युक्त आसीत मत्परः
वशे हि यस्येन्द्रियाणि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
अर्थ: श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि मनुष्यों को चाहिए कि वह संपूर्ण इंद्रियों को वश में करके समाहितचित्त हुआ मेरे परायण स्थित होवे, क्योंकि जिस पुरुष की इंद्रियां वश में होती हैं, उसकी ही बुद्धि स्थिर होती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
अध्यात्म और ज्योतिष की दुनिया बेहद दिलचस्प है। यहां हर समय कुछ नया सिखने और जानने को मिलता है। अगर आपकी अध्यात्म और ज्योतिष में गहरी रुचि है और आप इस ...और देखें
Engagement Muhurat 2025: सगाई मुहूर्त 2025, जानिए जनवरी से दिसंबर तक की डेट्स
Utpanna Ekadashi 2024 Date: एकादशी व्रत की करना चाहते हैं शुरुआत, तो नवंबर की ये एकादशी है खास
Mahashivratri 2025 Date: 2025 में कब रखा जाएगा महाशिवरात्रि का व्रत, अभी से ही जान लें डेट और शुभ मुहूर्त
Vinayak Chaturthi 2024: दिसंबर में कब रखा जाएगा विनायक चतुर्थी का व्रत, यहां जानिए डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व
Rahu Gochar 2025: कुंभ राशि में राहु के गोचर से 4 राशि वालों को खतरा, हो सकता है बड़ा नुकसान, रहें सावधान!
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited