Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurat, Mantra, Puja Vidhi Live Updates: भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त कितने बजे से शुरू हो रहा है, यहां जानें भाई दूज का महत्व
Bhai Dooj 2023 Timings, Puja Vidhi, Muhurat, Time, Samagri in Hindi Live Updates: भाई दूज का त्योहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल भाई दूज 15 नवंबर को मनाई जा रही है। यहां जानिए भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने का शुभ मुहूर्त और विधि।
Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurat, Mantra, Puja Vidhi Live Updates: भाई दूज पूजा का शुभ मुहूर्त कितने बजे से शुरू हो रहा है, यहां जानें भाई दूज का महत्व
Bhai Dooj 2023 Shubh Muhurat, Samagri List, Vrat katha in Hindi Live Updates: भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को टीका लगाकर उनकी लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। भाई दूज को भैय्या दूज, भाऊ बीज, भात्र द्वितीया और भतरु द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है भाई दूज की शुरुआत यम की बहन यमुना ने की थी। इस साल भाई दूज 14 नवंबर की दोपहर 02:36 से 15 नवंबर की दोपहर 01:47 तक रहेगी।
15 November 2023 Bhai Dooj Tilak Muhurat (15 नवंबर 2023 को भाई को तिलक लगाने का मुहूर्त)
15 नवंबर के दिन भाई को तिलक करने का शुभ समय 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। इस दिन भाई दूज दोपहर 01:47 पर खत्म होगी।
Bhai Dooj Puja Vidhi 2023 (भाई दूज 2023 पूजा विधि)
-भाई दूज के दिन बहन-भाई को सुबह-सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
-इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई दूज मनानी चाहिए।
-अगर बहन शादीशुदा है तो इस दिन भाई को अपनी बहन के ससुराल में जाकर ये पर्व मनाना चाहिए।
-वहीं जो लड़कियां अविवाहित हैं वह घर पर ही भाई को तिलक करती हैं।
-भाई दूज के दिन बहन-भाई सुबह साथ में गणेश जी की पूजा करें।
-फिर शुभ मुहूर्त में बहन भाई को रोली और अक्षत का तिलक लगाए।
-इस दिन मुख्य रूप से भाई को तिलक के बाद सूखा गोला दिया जाता है।
-तो कई जगह भाई दूज पर भाईयों को फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भी दिए जाते हैं।
-इसके बाद बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती है और भाई अपनी बहन को उनकी रक्षा का वचन देते हैं।
-इसके बाद बहनें अपने भाई को भोजन कराती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं।
भाई दूज क्यों मनाते हैं, इस दिन भाई को तिलक कैसे किया जाता है, भाई दूज की कहानी क्या है...इस पर्व के बारे में सबकुछ जानने के लिए बने रहिए हमारे इस लाइव ब्लॉग पर।
Bhai Dooj Ki Kahani In Hindi (भाई दूज की कहानी लिखी हुई)
सूर्य की अपनी पत्नी संज्ञा से 2 संतानें थीं, एक पुत्र यमराज तथा दूसरी पुत्री यमुना। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज के यहां जाती रहती थी और उनके सुख-दुःख की बातें पूछा करती थी। साथ ही यमुना, यमराज को हमेशा अपने घर पर आने के लिए आमंत्रित भी करतीं थीं। किंतु व्यस्तता और अत्यधिक दायित्व की वजह से यमराज अपनी बहन के घर न जा पाते थे।एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अचानक से अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए। बहन के घर जाते हुए यमराज ने नरक में निवास करने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया। बहन यमुना अपनी भाई को देखकर खुश हो गई और उन्होंने अपने भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। कई तरह के व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया तथा उन्हें तिलक लगाया। जब यमराज वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया।यमुना ने उनसें आग्रह किया यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो मुझे यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे घर आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। इसी प्रकार जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करेगा तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका लगाकर उसे अपने हाथ का बना भोजन खिलायेगी, उसे आपका भय नहीं रहे। यमराज ने यमुना के आग्रह को स्वीकार कर लिया साथ ही ये भी कहा कि इस दिन जो भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बचे रहेंगे।कहते हैं तभी से बहन-भाई का यह त्यौहार मनाया जाने लगा। इस दिन अगर अपनी बहन न हो तो ममेरी, फुफेरी या मौसेरी बहनों को भी उपहार देकर ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं।भाई दूज के दिन भूलकर भी भाई-बहन न करें ये काम
भाई दूज के दिन किसी भी समय तिलक न करें। इस दिन शुभ मुहूर्त का ध्यान अवश्य रखें। इस दिन भाई और बहन दोनों ही काले रंग के वस्त्र न पहनें। भाई को तिलक करने तक बहनों को कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए।भाई दूज के दिन भाई-बहन को एक-दूसरे से झूठ नहीं बोलना चाहिए।इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से यम के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।Bhai Dooj Par Kya Karte Hai (भाई दूज पर क्या करते हैं)
हिंदू धर्म में भाई दूज के त्यौहार का विशेष महत्व माना गया है। इस त्यौहार को कहीं यम द्वितीया तो कहीं भ्राता द्वितीया भी कहते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्यौहार को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। इस दिन बहन-भाई का एक साथ यमुना नदी में स्नान करना बेहद शुभ होता है। इस दिन भाई को अपने हाथ से भोजन जरूर कराना चाहिए। भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने से पहले यमराज, यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की भी पूजा करनी चाहिए। फिर शुभ मुहूर्त में भाई को टीका लगाकर उन्हें गोला देना चाहिए।तिलक करते समय ध्यान रखें ये बातें
भाई दूज के दिन बहनें तिलक करते समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व में होना चाहिए।भाईदूज कथा ( Bhai Dooj Katha)
सूर्य भगवान की पत्नी का नाम संज्ञादेवी था, इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज था कन्या यमुना थी। संज्ञा रानी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बनकर रहने लगी। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ। इसी छाया से अश्विनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है जो देवताओं के वैद्य (भेषज) माने जाते हैं। इधर छाया का यम तथा यमुना से व्यवहार खराब होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का काम संपादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गौ लोक चली आई तो उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना को बहुत खोजवाया, मगर मिल न सकीं। फिर स्वयं ही गोलोक गए जहां विश्राम घाट पर यमुनाजी से भेंट हुई। भाई को देखते ही यमुना ने हर्ष विभोर हो स्वागत सत्कार के साथ भोजन करवाया। इससे प्रसन्न हो यम ने वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा- 'हे भैया! मैं आपसे यह वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी यमपुरी न जाएं? प्रश्न बड़ा कठिन था यम के ऐसा वर देने से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त जाता अतः भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली- आप चिन्ता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वह तुम्हारे लोक न जाएं।' इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया इस तिथि को जो सज्जन बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मैं बांधकर यमपुरी को ले जाऊंगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वालों को स्वर्ग प्राप्त होगा। तभी से भाई-बहन के रिश्ते का यह त्योहार मनाया जाने लगा।Bhai Dooj Par Kya Karte Hai (भाई दूज पर क्या करते हैं)
हिंदू धर्म में भाई दूज के त्यौहार का विशेष महत्व माना गया है। इस त्यौहार को कहीं यम द्वितीया तो कहीं भ्राता द्वितीया भी कहते हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस त्यौहार को अलग-अलग तरह से मनाया जाता है। इस दिन बहन-भाई का एक साथ यमुना नदी में स्नान करना बेहद शुभ होता है। इस दिन भाई को अपने हाथ से भोजन जरूर कराना चाहिए। भाई दूज पर भाई को तिलक लगाने से पहले यमराज, यमुना, चित्रगुप्त और यमदूतों की भी पूजा करनी चाहिए। फिर शुभ मुहूर्त में भाई को टीका लगाकर उन्हें गोला देना चाहिए।Bhai Dooj Ki Kahani In Hindi (भाई दूज की कहानी लिखी हुई)
सूर्य की अपनी पत्नी संज्ञा से 2 संतानें थीं, एक पुत्र यमराज तथा दूसरी पुत्री यमुना। यमुना अक्सर अपने भाई यमराज के यहां जाती रहती थी और उनके सुख-दुःख की बातें पूछा करती थी। साथ ही यमुना, यमराज को हमेशा अपने घर पर आने के लिए आमंत्रित भी करतीं थीं। किंतु व्यस्तता और अत्यधिक दायित्व की वजह से यमराज अपनी बहन के घर न जा पाते थे।एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अचानक से अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए। बहन के घर जाते हुए यमराज ने नरक में निवास करने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया। बहन यमुना अपनी भाई को देखकर खुश हो गई और उन्होंने अपने भाई का बड़ा आदर-सत्कार किया। कई तरह के व्यंजन बनाकर उन्हें भोजन कराया तथा उन्हें तिलक लगाया। जब यमराज वहां से चलने लगे, तब उन्होंने यमुना से मनोवांछित वर मांगने का अनुरोध किया।यमुना ने उनसें आग्रह किया यदि आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो मुझे यही वर दीजिए कि आज के दिन प्रतिवर्ष आप मेरे घर आया करेंगे और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे। इसी प्रकार जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उसका आतिथ्य स्वीकार करेगा तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका लगाकर उसे अपने हाथ का बना भोजन खिलायेगी, उसे आपका भय नहीं रहे। यमराज ने यमुना के आग्रह को स्वीकार कर लिया साथ ही ये भी कहा कि इस दिन जो भाई-बहन यमुना नदी में डुबकी लगाएंगे तो वे यमराज के प्रकोप से बचे रहेंगे।कहते हैं तभी से बहन-भाई का यह त्यौहार मनाया जाने लगा। इस दिन अगर अपनी बहन न हो तो ममेरी, फुफेरी या मौसेरी बहनों को भी उपहार देकर ईश्वर का आर्शीवाद प्राप्त कर सकते हैं।तिलक करने की विधि ( Tilak Lagane Ke Vidhi)
कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। ऐसे में भाईयों को अपनी बहन के ससुराल जाना चाहिए। वहीं कुंवारी लड़कियां घर पर ही भाई का तिलक करें। भाई दूज के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा करें। वहीं भाई का तिलक करने के लिए पहले थाली तैयार करें उसमें रोली, अक्षत और गोला रखें। तत्पश्चात भाई का तिलक करें और नारियल का गोला भाई को दें। फिर प्रेमपूर्वक भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। उसके बाद भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार जरूर दें।तिलक करते समय ध्यान रखें ये बातें
भाई दूज के दिन बहनें तिलक करते समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में से किसी एक दिशा में होना चाहिए और बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व में होना चाहिए।भाईदूज कथा ( Bhai Dooj Katha)
सूर्य भगवान की पत्नी का नाम संज्ञादेवी था, इनकी दो संतानें, पुत्र यमराज था कन्या यमुना थी। संज्ञा रानी पति सूर्य की उद्दीप्त किरणों को न सह सकने के कारण उत्तरी ध्रुव प्रदेश में छाया बनकर रहने लगी। उसी छाया से ताप्ती नदी तथा शनिश्चर का जन्म हुआ। इसी छाया से अश्विनी कुमारों का भी जन्म बताया जाता है जो देवताओं के वैद्य (भेषज) माने जाते हैं। इधर छाया का यम तथा यमुना से व्यवहार खराब होने लगा। इससे खिन्न होकर यम ने अपनी एक नई नगरी यमपुरी बसाई, यमपुरी में पापियों को दण्ड देने का काम संपादित करते भाई को देखकर यमुनाजी गौ लोक चली आई तो उन्होंने दूतों को भेजकर यमुना को बहुत खोजवाया, मगर मिल न सकीं। फिर स्वयं ही गोलोक गए जहां विश्राम घाट पर यमुनाजी से भेंट हुई। भाई को देखते ही यमुना ने हर्ष विभोर हो स्वागत सत्कार के साथ भोजन करवाया। इससे प्रसन्न हो यम ने वर मांगने को कहा। यमुना ने कहा- 'हे भैया! मैं आपसे यह वरदान मांगना चाहती हूं कि मेरे जल में स्नान करने वाले नर-नारी यमपुरी न जाएं? प्रश्न बड़ा कठिन था यम के ऐसा वर देने से यमपुरी का अस्तित्व ही समाप्त जाता अतः भाई को असमंजस में देखकर यमुना बोली- आप चिन्ता न करें मुझे यह वरदान दें कि जो लोग आज के दिन बहन के यहां भोजन करके, इस मथुरा नगरी स्थित विश्राम घाट पर स्नान करें वह तुम्हारे लोक न जाएं।' इसे यमराज ने स्वीकार कर लिया इस तिथि को जो सज्जन बहन के घर भोजन नहीं करेंगे उन्हें मैं बांधकर यमपुरी को ले जाऊंगा और तुम्हारे जल में स्नान करने वालों को स्वर्ग प्राप्त होगा। तभी से भाई-बहन के रिश्ते का यह त्योहार मनाया जाने लगा।भाई दूज 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 36 मिनट से शुरू होकर 15 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जा रहा है, लेकिन कई जगहों पर यह पर्व 14 नवंबर को भी मनाया गया था।भाई दूज के दिन भूलकर भी भाई-बहन न करें ये काम
भाई दूज के दिन किसी भी समय तिलक न करें। इस दिन शुभ मुहूर्त का ध्यान अवश्य रखें। इस दिन भाई और बहन दोनों ही काले रंग के वस्त्र न पहनें। भाई को तिलक करने तक बहनों को कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए।भाई दूज के दिन भाई-बहन को एक-दूसरे से झूठ नहीं बोलना चाहिए।इस दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से यम के क्रोध का सामना करना पड़ सकता है।टीका लगाने का शुभ मुहूर्त
15 नवंबर को भाई को तिलक करने का मुहूर्त 10 बजकर 40 मिनट से दोपहर 12 बजे तक है।तिलक करने की विधि ( Tilak Lagane Ke Vidhi)
कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे। ऐसे में भाईयों को अपनी बहन के ससुराल जाना चाहिए। वहीं कुंवारी लड़कियां घर पर ही भाई का तिलक करें। भाई दूज के दिन सबसे पहले भगवान गणेश का ध्यान करते हुए पूजा करें। वहीं भाई का तिलक करने के लिए पहले थाली तैयार करें उसमें रोली, अक्षत और गोला रखें। तत्पश्चात भाई का तिलक करें और नारियल का गोला भाई को दें। फिर प्रेमपूर्वक भाई को मनपसंद का भोजन करवाएं। उसके बाद भाई अपनी बहन से आशीर्वाद लें और उन्हें भेंट स्वरूप कुछ उपहार जरूर दें।भाई दूज का महत्व (Bhai Dooj Importance)
भाई दूज के पर्व को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। कहा जाता है कि यह पर्व भाइयों और बहनों के बीच के प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर हल्दी और रोली का तिलक लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि भाई बहन यमुना नदी के किनारे बैठकर भोजन करते हैं तो जीवन में समृद्धि आती है। इस दिन भाई को तिलक करने से उंहें अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता है।भाईदूज पर करें उपाय (Bhaidooj Upay)
चौंमुखी दीप जलाएंइस दिन किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाने से यमराज भी आप पर कृपा करेंगे। तिलक करते समय बहनों को कहना चाहिए- गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बड़े’ ऐसा कहें. ' यमराज शाम के समय एक चौमुखी दीपल जलाएं। यमुना में स्नान करेंधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दोज या यम दवित्य के दिन भाई-बहन को एक साथ यमुना नदी में स्नान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है और इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे का हाथ पकड़कर यमुना नदी में स्नान करते हैं। इस दिन शाम को शिव मंदिर में, पीपल के पेड़ के नीचे, घर के बाहर या किसी सुनसान स्थान पर तुलसी के नीचे चार दीपक जलाएं।तिलक लगाएंभाईदूज के दिन भाई के माथे पर तिलक लगाएं और इस दिन भाई को गोला भी दिया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन तिलक लगाने से भाई की उम्र बहुत लंबी होती है।भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई दूज पर भाई के माथे पर तिलक करने के दो शुभ मुहूर्त हैं. पहला शुभ मुहूर्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 9 बजकर 24 मिनट तक है. जबकि दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 40 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजे तक है।भाई दूज इसलिए 15 नवंबर को मनाना होगा शास्त्र सम्मत
इस वर्ष 14 नवंबर मंगलवार को कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 बजकर 37 मिनट से लग रही है यानी दोपहर के बाद शुरू हो रही है। जबकि 15 नवंबर को कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि दोपहर में 1 बजकर 48 मिनट तक है। ऐसे में 15 नवंबर बुधवार को ही भाईदूज यानी भातृ द्वितीया का त्योहार मनाया जाना सभी तरह से शास्त्र सम्मत होगा। आपको बता दें कि, भाई दूज पर दोपहर के समय चित्रगुप्त और यमदूतों सहित यमराज का पूजन और यम के लिए अर्घ्यदान करना शुभ फलदायी और अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाला होता है।भाई दूज मान्यता और महत्व
स्कंद पुराण में भातृ द्वितीया यानी भाई दूज के बारे में बताया गया है कि, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमुना ने अपने घर में पूजन करके भाई यम यानी यमराज का सत्कार किया था और अपने हाथों से भोजन बनाकर भाई जो टीका दिया या और भोजन करवाया था। उस समय से ही कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि का नाम भाई दूज और यम द्वितीया हो गया। भाई दूज के अवसर पर यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया था कि जो भी भाई यम द्वितीया के दिन अपनी बहन से टीका लगवाएगा और बहन के हाथों से बना भोजन करेगा उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।भाई दूज का शुभ मुहूर्त
4 नवंबर 2023 को भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:10 से 03:19 तक रहेगा।15 नवंबर को भाई दूज का शुभ मुहूर्त सुबह 10:45 से दोपहर 12:05 तक रहेगा।Bhai Dooj Par Kya Karte Hain, भाई दूज पर क्या करते हैं
भाई दूज के दिन बहनें शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक लगाती हैं।तिलक लगाने से पहले पूजा की थाल सजाती हैं। इस थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि चीजें रखी जाती हैं।तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक तैयार किया जाता है।चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाता है और फिर शुभ मुहूर्त में बहनें भाई का तिलक करती हैं।तिलक के बाद बहन अपने भाई को फूल, पान, सुपारी, बताशे, गोला और काले चने देती हैं और फिर उनकी आरती उतारती हैं।तिलक के बाद भाई बहन को उपहार देते हैं।भाई दूज तिलक का समय
13:09:56 से 13:49:20 तकभगवान श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।भाई दूज क्यों मनाते हैं
कहते हैं भाई दूज के दिन जो भी भाई बहन साथ में पूजा करते हैं उनके जीवन में हमेशा खुशहाली आती है। साथ ही भाई बहन का जीवन सुख, समृद्धि, संपन्नता से भरा पूरा रहता है। कहते हैं जो बहन भाई दूज के दिन अपने भाई को तिलक लगाती हैं उस भाई के ऊपर अकाल मृत्यु का खतरा नहीं रहता।Bhai Dooj Shubh Muhurat 2023 (भाई दूज शुभ मुहूर्त 2023)
14 नवंबर 2023 को भाई दूज का शुभ मुहूर्त दोपहर 01:10 से 03:19 तक रहेगा।15 नवंबर को भाई दूज का शुभ मुहूर्त सुबह 10:45 से दोपहर 12:05 तक रहेगा।Bhai Dooj Rangoli
भाई दूज मनाने की तिथि और नियम
1. भाई दूज के मौके पर बहनें, भाई के तिलक और आरती के लिए थाल सजाती है। इसमें कुमकुम, सिंदूर, चंदन,फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि सामग्री होनी चाहिए।2. तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनायें।3. चावल के इस चौक पर भाई को बिठाया जाए और शुभ मुहूर्त में बहनें उनका तिलक करें।4. तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें।5. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें।उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर्व
यूपी में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे देती हैं। उत्तर प्रदेश में भाई दूज पर आब और सूखा नरियल देने की परंपरा है। आब देने की परंपरा हर घर में प्रचलित है।Happy Bhai Dooj 2023
दिल की यह कामना है,आपकी ज़िंदगी खुशियों से भरी हो,कामयाबी आपके कदम चूमे,हमारा ये बंधन सदा ही प्यार से भरा रहे.Happy Bhai Dooj 2023यमराज से है भाई दूज का खास जुड़ाव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यमुना के अनेकों बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की।भाई दूज थाल सामग्री
तिलक लगाने से पहले पूजा की थाल सजाती हैं। इस थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई और सुपारी आदि चीजें रखी जाती हैं।भाई दूज की पौराणिक कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।भाई दूज कैसे बनाई जाती है?
बहनें अपने भाइयों को साफ़ जगह पर बिठा कर उनका तिलक करती हैं, इसके बाद उनकी आरती उतारती हैं। इसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और दोनों एक दूसरे के मंगल जीवन और सुरक्षा की कामना करते हैं।Happy Bhai Dooj Wishes in hindi
यम और यमि की कथा
पुरातन मान्यताओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई। सूर्य पुत्र यम और यमी भाई-बहन थे। यमुना के अनेकों बार बुलाने पर एक दिन यमराज यमुना के घर पहुंचे। इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की। इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर वर्ष इस दिन में मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती हैBhai Dooj Puja Samagri (भाई दूज पूजा सामग्री)
आरती की थालीटीकासाबुत चावलगोला (सूखा नारियल)मिठाईज्योत और धूपसिर ढंकने के लिये रुमाल या छोटा तोलियाभाई को बैठाने के लिए चौकीसुपारी, पान, बताशेआटे का दीपकदेसी घीBhai Dooj 2023 Date And Time In Hindi (भाई दूज 2023 कब है)
इस साल भाई दूज तिथि 14 नवंबर की दोपहर 02:36 से 15 नवंबर की दोपहर 01:47 तक रहेगी। चूंकि भाई दूज की द्वितीया तिथि 14 और 15 नवंबर दोनों दिन रहने वाली है। इसलिए इस बार भाई दूज का त्योहार दोनों ही दिन मनाया जा सकेगा। कुछ लोग 14 नवंबर को भाई दूज मनाएंगे तो कुछ 15 नवंबर को ये त्योहार मनाएंगे।Bhai Dooj Puja Mantra (भाई दूज पूजा मंत्र)
बहन इस दिन भाई का तिलक करते समय ये मंत्र बोले- ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े।’Happy Bhai Dooj
Bhai Dooj Shubh Muhurat 2023 (भाई दूज मुहूर्त 2023)
15 नवंबर को भाई दूज का शुभ मुहूर्त सुबह 10:45 से दोपहर 12:05 तक रहेगा। वहीं इस दिन भाई दूज की द्वितीया तिथि 15 नवंबर की दोपहर 01:47 पर खत्म होगी।24 November 2024 Panchang: मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के शुभ मुहूर्त, राहुकाल समेत पूरा पंचांग यहां देखें
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