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Sankashti Chaturthi Vrat Katha: भालचन्द्र संकष्टी के दिन जरूर पढ़ें ये कथा, हर परेशानी से मिल जाएगी मुक्ति

Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Katha: नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन पूरे दिन उपवास रखना चाहिए और शाम के समय संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुनना चाहिए।

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Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Katha

Bhalachandra Sankashti Chaturthi 2025 Vrat Katha: कहते हैं संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों की सभी मनोकानाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन गणेश भगवान के अलावा चंद्र देव की भी पूजा होती है। व्रती रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलते हैं। चलिए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा।

Bhalachandra Sankashti Chaturthi Vrat Katha

एक बुढ़िया माई थी। जो रोजाना मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। लेकिन पूजा के लिए वो रोजाना मिट्टी के गणपति बनाए लेकिन वो रोज ही गल जाए। एक दिन उसके घर के पास एक सेठ का मकान बन रहा था। वो बुढ़िया मकान बनाने वाले कारीगरों के पास जाकर बोली मेरे लिए पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले- जितने में हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार न बना लेंगे। जिसके बाद बुढ़िया बोली राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए और इसके बाद दीवार टेढ़ी हो गई। अब मिस्त्री जब भी दीवार चिनें वो टेढ़ी हो जाए। शाम को सेठ आए तो उन्होंने देखा कि आज तो कुछ भी काम नहीं हुआ। तब वहां खड़े मिस्त्री कहने लगे कि सेठ जी एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, लेकिन हमनें उसकी नहीं सुनी तब उसने कहा कि तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से ही हमारी दीवार सीधी ही नहीं बन रही है।

सेठ ने बुढ़िया को बुलवाया और कहा हम तेरा सोने का गणेश गढ़ देंगे। बस हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को जैसे ही सोने का गणेश गढ़ा दिया वैसे की दीवार सीधी हो गई। हे गणेश भगवान जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसे ही सबकी करना।

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