Sankashti Chaturthi Vrat Katha In Hindi: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में यहां देखें
Bhalachandra Sankashti Chaturthi Vrat Katha: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत की हिंदू धर्म में खास मान्यता है। कहते हैं इस व्रत को करने से भगवान गणेश अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण कर देते हैं। जानिए इस संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा।
Bhalachandra Sankashti Chaturthi Vrat Katha: भालचन्द्र चतुर्थी व्रत कथा
Bhalachandra Sankashti Chaturthi Vrat Katha: भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी को संकटहरा चतुर्थी (Sankatahara Chaturthi 2023) भी कहा जाता है। इस बार ये चतुर्थी 11 मार्च दिन शनिवार को पड़ी है। भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए ये व्रत किया जाता है। ये संकष्टी चतुर्थी चैत्र कृष्ण पक्ष में आती है। चैत्र नवरात्रि से पहले ये चतुर्थी पड़ती है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार जो भी व्यक्ति इस संकष्टी पर भगवान गणेश की विधि विधान पूजा-अर्चना करता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
लेकिन कोई भी व्रत उस व्रत की कथा य कहानी के बिना अधूरा माना जाता है। इस व्रत की कथा भगवान गणेश से जुड़ी है। जानिए कैसे भगवान शिव ने गणेश जी को चतुर्थी के दिन पूजे जाने का दिया वरदान।
Bhalachandra Sankashti Chaturthi Vrat Katha (भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा)
एक बार की बात है राक्षसों के प्रकोप के कारण देवता काफी परेशान हो गए। सभी राक्षसों ने मिलकर देवताओं को परेशान कर रखा था ।उनसे परेशान होकर सभी देवता भगवान शिव के पास मदद मांगने पहुंचे और मदद की गुहार लगाने लगे। देवताओं ने शिवजी को सारी परेशानी बताई और उनसे समस्या का हल मांगा।
वहीं उस समय शिवाजी पार्वती के साथ भगवान कार्तिकेय और गणेश जी भी बैठे थे। भगवान शिव ने देवताओं को कहा कि आपकी परेशानी का हल कार्तिकेय और गणेश जी में से एक अवश्य करेंगे तभी भगवान शिव ने अपने पुत्रों से पूछा कि- "तुम में से कौन देवताओं की मदद कर सकता है और राक्षसों का संहार कर सकता है" ? तभी भगवान कार्तिकेय और गणेश जी ने कहा कि पिताजी हम दोनों ही देवताओं की मदद कर सकते हैं। शिवजी भगवान ने फैसला किया कि तुम दोनों में से जो भी मेरी परीक्षा पर खरा उतरेगा उसे ही देवताओं की मदद के योग्य माना जाएगा वहीं उनकी मदद करेगा।
भगवान शिव ने शर्त रखी कि तुम दोनों में से जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके वापस आएगा वही देवताओं की मदद करने के लिए जाएगा शिव जी भगवान की यह शब्द सुनकर दोनों ने हामी भर दी और यह सुनते ही भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए चल पड़े लेकिन, गणेश भगवान वहीं पर खड़े रहे वह मन ही मन सोचने लगे कि मैं अपने वाहन मूषक पर पृथ्वी की परिक्रमा कैसे कर सकता हूं तभी उन्होंने एक उपाय सूझा। अपनी जगह से उठकर भगवान गणेश माता पार्वती और शिवजी भगवान की परिक्रमा करने लगे गणेश जी ने सात बार परिक्रमा की और कहा पिताजी मेरी परीक्षा पहले पूरी हुई यह देखकर सभी हैरान हो गए कि गणेश भगवान ने ये क्या किया तभी वहां कार्तिकेय भी आ गए उन्होंने कहा की परीक्षा मैंने पहले पूरी की।
उन दोनों की बहस सुनकर भगवान शिव ने पूछा की गणेश तुम तो यहां से कहीं गए भी नहीं तुम्हारी परिक्रमा कैसे पूरी हुई ?
गणेश जी ने कहा पिताजी "आप मेरे माता पिता है और माता पिता के चरणों में सारी दुनिया है यहीं सारा जगत है आपकी परिक्रमा करने से मेरी पृथ्वी की परिक्रमा पूर्ण हुई" उनकी ऐसी बात सुनकर सभी देवता गणेश जी की जय जयकार करने लगे।
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धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें
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