Bhishma Niti In Hindi: जीवन में अपनाएं भीष्म पितामह की ये नीतियां, सफलता का खुलेगा रास्ता
Bhishma Niti In Hindi: महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक भीष्म पितामह थे। वो देवी गंगा के पुत्र थे, इसलिए उन्हें गंगा पुत्र भीष्म के नाम से भी जाना जाता है। भीष्म पितामह की नीतियों को अपनाकर जीवन में सफलता पाई जा सकती है। यहां पढ़ें भीष्म पितामह की नीतियां हिंदी में।
Bhishma Niti In Hindi
Bhishma Niti In Hindi: भीष्म पितामह ने महाभारत के युद्ध से पहले और बाद में बहुत सारी महत्वपूर्ण बाते कही हैं। जो आज भी जीवन में बहुत ही प्रांसगिक है। भीष्म पितामह महाभारत के युद्ध के महान योद्धओं में से एक थे। इसके साथ ही वो एक महान दर्शनिक थे। भीष्म पितामह ने हस्तिनापुर की रक्षा के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने प्रतिज्ञा ली थी। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान था। कुल में सबसे श्रेष्ठ होने के कारण कौरव और पांडव दोनों ही उनका बहुत सम्मान करते थे। भीष्म ने कौरवो की तरफ से युद्ध में भाग लिया, लेकिन जीवन को जीने का तरीका उन्होंने कौरवो और पांडव दोनों को ही सिखाया। उनकी नीतियों को धृतराष्ट्र, दुर्योधन, कृष्ण, अर्जुन सभी मानते थे। आज के समय में भी इन नीतियों को अपनाकर सफलता हासिल की जा सकती है। यहां पढ़ें भीष्म नीति।
Bhishma Niti In Hindi (भीष्म नीति हिंदी में)
1. मधुर वचनो का प्रयोग करें
भीष्म पितामह का कहना था कि व्यक्ति को हमेशा मीठे वचनो का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे वचन जो सुनने में किसी को अच्छे लगे। ऐसी भाषा का प्रयोग ना करें, जिससे किसी को ठेस पहुंच सकती हो। दूसरों की बुराई ना करें। किसी को कुवचन ना कहें। इसके साथ ही अहंकार में आकर कभी भी किसी को अवहेलना ना करें।
2. त्याग की भावना
व्यक्ति में केवल पाने की चाह नहीं होनी चाहिए, अपितु उसमे त्याग की भावना भी होनी चाहिए। बिना कुछ त्याग के किसी भी सफलता की प्राप्ति नहीं होती है। त्याग के बिना व्यक्ति किसी भी प्रकार के भय से भी छुटकारा नहीं पा सकता है। जीवन में बहुत सारी चीजों का त्याग करके ही आंतरिक सुख की प्राप्ति की जा सकती है।
3. सुख की प्राप्ति
भीष्म पितामह कहते हैं कि सुख केवल उन लोगों को ही मिल सकता है, जो मूर्ख हैं या सिर्फ उन्हीं को जिन्होंने परम ज्ञान की प्राप्ति कर ली हो। जो लोग बीच में लटके हुए हैं वो हमेशा दुखी रहते हैं।
4. लक्ष्य निर्धारित
भीष्म पितामह का कहना है कि मनुष्य को अपना पथ, लक्ष्य खुद ही निर्धारित करना चाहिए। दूसरों के हाथों की कठपुतली बनकर वो सिर्फ नाच सकता है, कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है। जो व्यक्ति समय के अनुसार खुद को ढ़ाल लेते है। वो परम सुख को प्राप्त करता है।
5. स्त्रि का सम्मान
किसी भी समय में जब- जब किसी स्त्रि का अपमान हुआ है, तब- तब संसार का विनाश हुआ है। भीष्म के अनुसार किसी भी स्त्रि का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। स्त्रि का सुख उसका सम्मान ही होता है। लक्ष्मी का वास भी उसी आंगन में होता है, जहां पर स्त्रि का सम्मान किया जाता है।
6. परिवर्तन
भीष्म पितामह ने महाभारत में कहा कि परिवर्तन ही इस संसार का अटल नियम है। कोई समय काल या व्यक्ति हमेशा के लिए नहीं रहते हैं। हर चीज का परिवर्तन होता है। आत्मा भी एक शरीर का त्याग करके दूसरे शरीर में प्रवेश करती है। परिवर्तन को स्वीकराना ही चाहिए उसी में भलाई है।
7. सत्ता की प्राप्ति
भीष्म पितामह के अनुसार सत्ता केवल सुख भोगने के लिए नहीं प्राप्त करनी चाहिए, बल्कि सत्ता पाकर कठिन परिश्रम करके समाज का कल्याण करना चाहिए। समाज का कल्याण सत्ताधारियों के हाथ में होता है, इस कारण सत्ता प्राप्त करते जन कल्याण का भाव रखें।
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