Bhishma Niti In Hindi: भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को दिया था अद्भुत ज्ञान, जान लिया तो बदल जाएगी जिदंगी
Bhishma Niti In Hindi: भीष्म पितामह एक महान योद्धा थे। एक योद्धा होने के साथ- साथ उन्हें जीवन के हर पहलू का गूढ़ ज्ञान भी था। मृत्यु शोय्या पर लेटकर उन्होंने पांडवों को बहुत सारी ज्ञान की बात बताई। जो आज के समय में भी बहुत महत्वपूर्ण है। आइए यहां जानते हैं भीष्म पितामह की नीतियों के बारे में।
Bhishma Niti In Hindi
Bhishma Niti In Hindi: गंगा पुत्र भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, इसलिए बाण लगने के कारण भी उनकी मृत्यु नहीं हुई। महाभारत के समाप्त होने तक वो जीवित रहे।उन्होंने पूरा महाभारत युद्ध बाणों की शैय्या पर लेटेकर देखा। बाणो की शैय्या पर लेटकर उन्होंने युधिष्ठिर को बहुत सारी नीति संबंधी ज्ञान की बाते बताई। जिसको भीष्म नीति के नाम से जाना जाता है। भीष्म ने शौय्या पर लेटकर राजधर्म, मोक्षधर्म और आपद्धर्म जैसे कई उपदेश दिए। आइए जानते हैं भीष्म के प्रमुख उपदेश।
Bhishma Niti In Hindi (भीष्म नीति हिंदी में)
मन को वश में रखें
भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ज्ञान बताते हुए कहते हैं कि मनुष्य को अपना मन वश में रखना चाहिए। मन बहुत ही चंचल होता है, वो पल में यहां तो पल में वहां होता है। इस कारण जीवन को सही तरीके से जीने के लिए मन को वश में रखना चाहिए।
त्याग करना चाहिए
भीष्म पितामह कहते हैं कि मनुष्य को त्याग के बिना कुछ प्राप्त नहीं होता है। त्याग के बिना किसी भी सिद्धि की प्राप्ति नहीं हो सकती है। त्याग करने से मनुष्य को हर तरह की खुशी मिलती है।
क्रोध पर काबू करना
भीष्म पितामह कहते हैं कि मनुष्य को अपने क्रोध पर काबू रखना चाहिए। कभी भी क्रोध में आकर अपना आपा नहीं खोना चाहिए। व्यक्ति को अपने क्रोध के वशीभूत नहीं होना चाहिए।
स्त्री का अपमान ना करें
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार स्त्री का अपमान कभी किसी को नहीं करना चाहिए। भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ज्ञान देते हुए कहते हैं कि स्त्रि का सम्मान ही उसका पहला सुख होता है। जिस घर में स्त्री का सम्मान नहीं होता वहां पर लक्ष्मी का वास नहीं होता है।
सत्य का महत्व
सत्य वचन तप है। सत्य मनुष्य को स्वर्ग की ओर ले जाता है। झूठ मनुष्य को अंधकार की तरफ ले जाता है। अंधकार में रहने से मनुष्य निराश की ओर जाता है। वो हमेशा गिरता ही जाता है और नरक में जाता है। सत्य मनुष्य को उठाता है।
मधुर वचन बोलें
भीष्म पितामह कहते हैं कि मनुष्य को मधुर वचनों का प्रयोग करना चाहिए। हमेशा ऐसे वचन बोलें जो दूसरों को प्यारे लगे। कभी भी किसी की निन्दा नहीं करनी चाहिए। गलत बोलना कुवचन बोलना सब त्यागने के योग्य होता है। दूसरों का अपमान नहीं करना चाहिए । ये अवगुण होता है।
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