Buddha Purnima 2023 Wishes, Puja Vidhi: वैशाख पूर्णिमा पूजा विधि, मुहूर्त, कथा, आरती, मंत्र संपूर्ण जानकारी यहां देखें
Chandra Grahan 2023 Date and Time in India LIVE
इन शुभ संयोगों के कारण बुद्ध पूर्णिमा 2023 के दिन व्रत रखना बेहद फलदायी साबित होगा। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का खास महत्व माना गया है। मान्यता है ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। अगर नदी स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। बुद्ध पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिम और पीपल पूर्णिमा आदि नामों से भी जाना जाता है। यहां आप जानेंगे बुद्ध पूर्णिमा की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व।
Buddha Purnima 2023 Date And Muhurat (बुद्ध पूर्णिमा 2023 तिथि व मुहूर्त)
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 04 मई, गुरुवार की रात 11 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और इसकी समाप्ति 05 मई, शुक्रवार की रात 11 बजकर 05 मिनट पर होगी। उदय तिथि के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा 05 मई शुक्रवार को मनाई जाएगी।Happy Buddha Purnima 2023: बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं
ज्ञान में है असीम शांतिसदा रहे प्रभु का ध्यान
यही कहती है बुद्ध की पाती
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं।।
Buddha Purnima Wishes In Sanskrit: बुद्ध पूर्णिमा के संदेश संस्कृत में
न चैष धर्मो वनए एव सिद्धः पुरेऽपि सिद्धिर्नियता यतीनां ।बुद्धिश्च यत्नश्च निमित्तं अत्र वनं च लिङ्गं च हि भीरुचिह्नं ॥Buddha Purnima 2023 Wishes: बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामना
सुख, शांति और समाधान श्रद्धा और अहिंसा के दूत को आज तहे दिल से प्रणाम। बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामना।Chandra Grahan 2023: बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण
साल का पहला चंद्र ग्रहण बुद्ध पूर्णिमा पर लग रहा है। ज्योतिष अनुसार चंद्र ग्रहण और बुद्ध पूर्णिमा का ऐसा अद्भुत संयोग पूरे 130 साल बाद बन रहा है।Buddha Purnima Katha: बुध पूर्णिमा व्रत कथा
द्वापर युग में एक बार भगवान श्री कृष्ण से यशोदा माता पूछती हैं कि आप संसार के पालनकर्ता हो, मुझे कोई ऐसा उपाय बताओ जिससे मृत्यु लोक में किसी भी स्त्री को विधवा होने का डर न हो और न ही उसे निसंतानता का दुख रहे। इसपर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी मां से कहा, हे माते! मैं आपको एक ऐसे ही एक व्रत के बारे में बताता हूं। सौभाग्य और संतान प्राप्ति के लिए हर महिला को 32 पूर्णमासी व्रत को रखना चाहिए। यह संतान और सौभाग्य की रक्षा के लिए बेहद फलदाई है। मैं तुम्हें विस्तार से बताता हूं।कांतिका नामक एक नगर में चंद्रहास्य नाम का राजा राज करता था। उसी नगर में एक धनेश्वर नामक ब्राह्मण भी अपनी पत्नी सुशीला के साथ सकुशल रहता था। इनके घर में धन संपत्ति की कोई कमी नहीं थी। लेकिन, ब्राह्मण का कोई संतान न था, जिसके कारण दोनों दंपत्ति बहुत दुखी रहते थे। एक बार उस नगर में एक साधु आया, जो आसपास के सभी घरों से भिक्षा मांगने के बाद गंगा नदी किनारे बैठकर भोजन करके जीवन यापन करता था। लेकिन, वह साधु धनेश्वर ब्राह्मण के घर भिक्षा मांगने कभी नहीं जाता था।
साधु के ऐसे बर्ताव देख सुशीला और धनेश्वर बहुत दुखी हुए। फिर, उस साधु से पूछे कि आप अभी के घरों से भिक्षा लेते हो लेकिन हमारे घर से नहीं, ऐसा क्यों साधु महाराज? तब साधु ने जवाब दिया कि तुम निःसंतान हो। ऐसे घर से भिक्षा लेना पतितो के अन्न के समान होता है और मैं कभी भी पाप का भागीदार नहीं बनना चाहता। बस यही कारण है कि में तुम्हारे घर से भिक्षा नहीं लेता हूं। यह सुनकर धनेश्वर बहुत दुखी हो गया और साधु से पूछने लगा हे महाराज! ऐसा कोई उपाय बताएं जिससे मुझे संतान सुख प्राप्त हो। तब साधु ने ब्राह्मण दंपत्ति को सोलह दिन तक मां चंडी की पूजा का सलाह दिया। इसके बाद धनेश्वर और उसकी पत्नी दोनो इस व्रत का पालन करने लगे।
दंपत्ति के इस आराधना से मां काली प्रसन्न हुई। उनके सामने मां काली प्रकट हो गईं और सुशीला को गर्भवती होने का वरदान दिया। साथ ही उस ब्राह्मण दंपत्ति को पूर्णिमा के दिन पूजा की विधि बताया है। माता ने कहा प्रत्येक पूर्णिमा के दिन दीपक जलाना, सभी पूर्णिमा को दीपक की संख्या बढ़ाती जाना, ऐसा तब तक करना जब तक 32 दीपक न हो जाए। इस तरह माता की कृपा से सुशीला गर्भवती हुई। काली माता के कहे अनुसार वह पूर्णिमा पर दीपक जलाती रही। फलस्वरूप, दंपति के घर एक पुत्र ने जन्म लिया। जिसका नाम धनेश्वर और सुशीला ने देवदास रखा।
देवदास के बड़े होने के पश्चात धनेश्वर ने उसे विद्या ग्रहण के लिए काशी भेजा। काशी में देवदास के साथ एक अजीब दुर्घटना घटी, जिसमें धोखे से देवदास का विवाह हो गया। जब देवदास ने बताया कि वह अल्पायु है, फिर भी उसका जबरदस्ती विवाह करवा दिया गया। उसके कुछ समय बाद जब काल देवदास का प्राण लेने आया, तब वो विफल हो गया। इसके बाद काल ने यमराज तक संदेश दिया कि वह देवदास के प्राण लेने में असमर्थ है। इसके बाद यमराज ने इसकी वजह जानने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती के पास गया। तब पार्वती माता ने काली मां से मिले वरदान के वृतांत को सुनाया और कहा कि ब्राह्मण दंपत्ति (देवदास के माता-पिता) ने पूर्णिमा का व्रत रखा था। इसलिए देवदास का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
पूर्णिमा व्रत के महत्व को जानने के बाद से कहा जाने लगा कि इस व्रत को करने से जातक को काल से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान सभी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं।
Buddha Purnima 2023: बुद्ध पूर्णिमा मेष राशि वालों के लिए रहेगी खास
मेष राशि वालों के लिए बुद्ध पूर्णिमा के दिन बनने वाला संयोग बेहद फलदायी साबित होगा। व्यापार करने वाले जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। आप अपने व्यापार में नित नई प्रगति करते नजर आएंगे। कुछ नए संपर्कों का आपको लाभ मिलेगा जिससे आपके बिज़नेस में खूब उन्नति होगी। नौकरीपेशा लोगों को इस अवधि में नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं।बुद्ध पूर्णिमा 2023 का महत्व
वैशाख मास की पूर्णिमा को अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे- वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा आदि। शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में सबसे श्रेष्ठ मानी गई है। यह त्यौहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन कई हज़ार श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान करते हैं और दान भी करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।Buddha Purnima 2023 Live - धूमधाम से मनाते हैं बौद्ध धर्म के लोग
बौद्ध अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म तो हुआ ही था। बौद्ध धर्म के अनुयाई इसे बड़े धूमधाम से मनाते हैं।Buddha Purnima 2023 Live - बुद्ध पूर्णिमा पर करें ये कार्य
सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करना चाहिए। पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए। रात के समय फूल,धूप, दीप, अन्न, गुड़ चंद्रदेव को अर्पित करना चाहिए। मंदिर जाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।बुद्ध पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय
बुद्ध पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का विशेष महत्व होता है, इस दिन पीले वस्त्र पहनना चाहिए। साथ ही फूलों के साथ तुलसी का पत्ता भी अर्पण करना चाहिए।बुद्ध पूर्णिमा 2023 मनाने के कारण
बुद्ध पूर्णिमा मनाने के पीछे कई सारी धार्मिक मान्यताएं हैं। इनमें से भगवान गौतम बुद्ध का जन्म, उनके द्वारा ज्ञान प्राप्ति करना, भगवान विष्णु के 9वें अवतार का जन्म अथवा सत्यव्रत पूर्णिमा की पूजा करने से सुदामा का धनवान होना शामिल है।बुद्ध पूर्णिमा 2023: इन देशों में मनाया जाता है बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार
बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया आदि जैसे देशों में मनाया जाता है।बुद्ध पूर्णिमा 2023: कैसे मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा
देश ही नहीं दुनिया भर में बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। भारत के कई हिस्सों में मेला लगता है, तो कई जगहों पर झाकियां सजाई जाती हैं। साथ ही इस दिन भौद्ध भगवान के भक्त घर में साज सज्जा भी करते हैं।बुद्ध पूर्णिमा 2023: श्री विष्णु की पूजा का है गहरा महत्व
बुद्ध पूर्णिमा 2023 के पावन अवसर पर श्री विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ मिलते हैं। भगवान गौतम बुद्ध को विष्णु जी का 9वां अवतार माना जाता है।Buddha Purnima 2023 Puja Timings: बुद्ध पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 4 मई 2023 की सुबह 11 बजकर 45 मिनट से अगले दिन 5 मई की रात 11 बजकर 4 मिनट तक है।आखिर क्यों मनाते हैं बुद्ध पूर्णिमा?
वैशाख पूर्णिमा की तिथि पर ही गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था। तथा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी हुई थी। इसलिए वैशाख पूर्णिमा पर बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे।Buddha Purnima 2023 Puja Vidhi in Hindi (बुद्ध पूर्णिमा 2023 पर ऐसे करें भगवान बुद्ध की अराधना)
- बुद्ध पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद भगवान बुद्ध का ध्यान करें।
- इस दिन भगवान बुद्ध के मंत्रों का जाप करें।
- साथ ही भगवान बुद्ध को शहद अर्पित करें।
- इस पावन दिन पर भगवान बुद्ध की सीख का अनुसरण करें।
बुद्ध पूर्णिमा 2023 के दिन क्या करें और क्या नहीं
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- इस दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें।
- संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और रात के समय चंद्र देव की पूजा करें। उन्हें फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़ आदि अर्पित करें।
- इस दिन गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। मान्यता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
- इस दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए इस दिन जरूरतमंदों को दान जरूर करें।
बुद्ध पूर्णिमा पर बन रहा महासंयोग
5 मई को वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। इसी के साथ इस दिन सूर्योदय के बाद सिद्धि योग भी बन रहा है जिसे बेहद शुभ योग माना जाता है। यही नहीं इस दिन स्वाति नक्षत्र भी रहेगा। ये भी शुभ फलदायी माना जाता है। वहीं भद्राकाल सुबह 05 बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष जानकारों अनुसार इस दिन भद्रा का वास पाताल है इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।बुद्ध पूर्णिमा पर मिथुन राशि वाले करें ये काम
इस राशि के जातकों को इस दिन सूर्योदय के समय पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति पाता है।बुद्ध पूर्णिमा पर वृषभ राशि वाले करें ये काम
वृषभ राशि के जातकों इस दिन गरीबों व असमर्थ लोगों को जरूरत की वस्तुएं दान करना चाहिए। ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।बुद्ध पूर्णिमा 2023 पर मेष राशि वाले करें ये काम
बुद्ध पूर्णिमा के दिन मेष राशि के जातकों को चावल व मेवे से बनी खीर का वितरण करना चाहिए। ऐसा करने से मन को शांति व बल प्राप्त होता है।Buddha Purnima 2023: 5 मई को है बुद्ध पूर्णिमा
वैशाख मास की पूर्णिमा को अलग-अलग जगहों पर भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे- वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा आदि। शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में सबसे श्रेष्ठ मानी गई है।बुद्ध पूर्णिमा 2023 के दिन क्या करें, क्या नहीं
- सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ-सफाई करना चाहिए।
- पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए।
- रात के समय फूल,धूप, दीप, अन्न, गुड़ चंद्रदेव को अर्पित करना चाहिए।
- मंदिर जाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
- संभव हो तो इस दिन गंगा स्नान ज़रूर करना चाहिए।
- इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
Buddha Purnima 2023 significance (बुद्ध पूर्णिमा के महत्व)
यह दिन बौद्ध अनुयायियों के लिए विशेष होता है। इस दिन गौतम बुद्ध के स्मरण से जीवन में सुख, वैभव और खुशहाली आती है।क्यों मनाई जाती है बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023 History)
बौद्ध अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन गौतम बुद्ध का जन्म तो हुआ ही था। इसके अलावा इसी तिथि को वर्षों वन में भटकने और कठोर तप करने के बाद बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे बुद्ध को सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था।Buddha Purnima Time In India (बुद्ध पूर्णिमा 2023 की मुहूर्त)
बुद्ध पूर्णिमा की शुरुआत: 04 मई 2023, गुरुवार, रात 11:59 बजे।बुद्ध पूर्णिमा का समापन: 05 मई 2023, शुक्रवार, रात 11:18 बजे।
बुद्ध पूर्णिमा 2023 कब है? (Buddha Purnima 2023 Date)
वैशाख माह में आने वाली पूर्णिमा को गौतम बुद्ध का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। इस बार बुद्ध पूर्णिमा 5 मई 2023, शुक्रवार को पड़ी है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited