Budh Pradosh Vrat Katha: बुधवार प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा यहां देखें

Budhwar Pradosh Vrat Katha In Hindi (बुधवार प्रदोष व्रत कथा): आज बुध प्रदोष व्रत है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार बुध प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन विधि विधान शिव जी की पूजा करें और उन्हें बेल पत्र चढ़ाएं। साथ ही बुध प्रदोष व्रत कथा जरूर पढ़ें (Wednesday Pradosh Katha)।

Budhwar pradosh vrat katha

Budhwar Pradosh Vrat Katha In Hindi

Budhwar Pradosh Vrat Katha In Hindi (बुधवार प्रदोष व्रत कथा): आज बुधवार प्रदोष व्रत है। दरअसल जब त्रयोदशी व्रत (Trayodashi Vrat Katha) बुधवार को पड़ता है तो उसे बुधवार प्रदोष व्रत (Budhwar Padosh Vrat Katha) कहते हैं। बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत करने से मनुष्य की सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं। बुध प्रदोष व्रत (Budh Pradosh Vrat Katha) में हरी वस्तुओं का ज्यादा प्रयोग करना चाहिए। साथ ही इस दिन शिव जी की पूजा-अर्चना विधि विधान करनी चाहिए और शिवलिंग का जलाभिषेक करके उस पर बेल पत्र चढ़ाने चाहिए। यहां जानिए बुध प्रदोष व्रत कथा संपूर्ण (Wednesday Pradosh Vrat Katha)।

Budhwar Pradosh Vrat Katha In Hindi

बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के बाद उसकी पत्‍नी कुछ दिनों के लिए मायके चली गई थी। पुरुष पत्‍नी को लेने उसके यहां गया और बुधवार को ही अपनी पत्नी को लेकर वापस लौटने लगा। जिस पर ससुराल पक्ष ने उसे रोकते हुए कहा कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन वह किसी की नहीं माना और पत्‍नी के साथ बैल गाड़ी में चल पड़ा।

नगर के बाहर पहुंचने पर पत्‍नी को प्यास लगने लगी। पुरुष पानी की तलाश में चल पड़ा। पत्‍नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। थोड़ी देर बाद जब पुरुष पानी लेकर आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी पानी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही है और उसके ही लोटे से पानी पी रही है। यह देखकर उसको क्रोध आ गया।

वह जैसे ही पत्नी के निकट पहुंचा तो उसके आश्‍चर्य का कोई ठिकाना न रहा, क्योंकि उसकी पत्नी जिस आदमी से बात कर रही थी वो देखने में बिल्कुल उसी की तरह था। पत्‍नी भी सोच में पड़ गई। दोनों पुरुष झगड़ने लगे। धीरे धीरे वहां भीड़ एकत्रित हो गई और राजा के सिपाही भी आ गए। हमशक्ल आदमियों को देख हर कोई आश्‍चर्य में पड़ गया।

उन्होंने स्त्री से पूछा- उसका पति कौन है? स्त्री किंकर्तव्यविमूढ़ हो गई। तब पुरुष शंकर भगवान से प्रार्थना करने लगा- हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मैंने बहुत बड़ी भूल कर दी कि मैं सास-ससुर की बात नहीं मानकर बुधवार को ही अपनी पत्‍नी को विदा करा ले आया। मैं भविष्य में ऐसी गलती कदापि नहीं करूंगा।

जैसे ही उसकी प्रार्थना पूरी हुई, दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया और पति-पत्‍नी सकुशल घर पहुंच गए। उस दिन के बाद से पति-पत्‍नी नियमपूर्वक बुध प्रदोष का व्रत रखने लगे। अत: बुध त्रयोदशी व्रत हर मनुष्य को करना चाहिए।

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