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Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi: बुधवार प्रदोष व्रत की पावन कथा यहां पढ़ें

Budh Pradosh Vrat Katha: आज बुधवार प्रदोष व्रत है। ये व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है। बुध प्रदोष व्रत की कथा (Budhwar Pradosh Vrat Ki Katha) एक व्यक्ति और उसकी पत्नी से जुड़ी है। जानिए प्रदोष व्रत कथा यहां।

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Budhwar Pradosh Vrat Katha In Hindi: बुध प्रदोष कथा यहां देखें

Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi: बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को 'बुध प्रदोष व्रत' या 'सौम्यवारा प्रदोष' के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग अनुसार प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और हर वार पर पड़ने वाले प्रदोष का अपना अलग महत्व होता है। बुध प्रदोष व्रत की बात करें तो इससे व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है साथ ही मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। 17 मई को यानि आज बुध प्रदोष व्रत है। बुध प्रदोष व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। शिव जी की विधि विधान विधान अराधना करने के बाद बुध प्रदोष व्रत की कथा जरूर पढ़ें।

बुध प्रदोष व्रत की कथा (Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi)

कथा के अनुसार एक पुरुष की नई-नई शादी हुई थी। विवाह के दो दिन बाद उसकी पत्‍नी मायके चली गई। कुछ दिनों में पुरुष पत्‍नी को लेने उसके मायके पहुंचा और बुधवार के दिन अपनी पत्नी को उसके ससुराल ले जाने लगा। जब वह पत्‍नी के साथ लौटने लगा तो लड़के के ससुराल पक्ष ने उसे रोकने की भरपूर कोशिश की। लड़के के सास-ससुर ने उसे समझाया कि विदाई के लिए बुधवार शुभ नहीं होता। लेकिन लड़के ने किसी की बात नहीं मानी और वो पत्‍नी के साथ बैल गाड़ी में चल पड़ा।

नगर के बाहर पहुंचते ही उसकी पत्‍नी को प्यास लगी। पुरुष पानी की तलाश में निकल पड़ा। पत्‍नी एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई। पुरुष पानी लेकर जैसे ही लौटा वो ये देखकर दंग रह गया कि उसकी पत्‍नी किसी के साथ हंस-हंसकर बातें कर रही थी और उसके लोटे से पानी भी पी रही थी। ये देखकर उसे क्रोध आ गया।

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