Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi: बुध प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा यहां पढ़ें
Budhwar Pradosh Vrat Katha In Hindi: 3 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन बुधवार है इसलिए ये बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा। यहां हम आपको बताएंगे बुध प्रदोष व्रत की पौराणिक व्रत कथा।

Budhwar Pradosh Vrat Katha
Budh Pradosh Vrat Katha In Hindi (बुध प्रदोष व्रत कथा): वार के अनुसार हर प्रदोष व्रत का महत्व अलग-अलग होता है। जो प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ता है उसे बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। मान्यताओं अनुसार बुधवार प्रदोष व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस प्रदोष व्रत में भगवान शिव की सुबह-शाम विधि विधान पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा शिवलिंग पर जल जरूर अर्पित करें। साथ में बुध प्रदोष व्रत की कथा भी जरूर पढ़ें।
अगले 10 साल तक शनि की टेढ़ी नजर से सावधान रहें ये राशियां, साढ़ेसाती जीवन में मचा सकती है कोहराम
बुध प्रदोष व्रत कथा (Budh Pradosh Vrat Katha)
एस समय की बात है एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के कुछ दिनों बाद ही उसकी पत्नी अपने घर चली गई थी। कुछ दिनों के बाद वह पुरुष अपनी पत्नी को लेने उसके घर पहुंचा। जब वह अपने पत्नी को लेकर लौटने लगा तो लड़के के ससुराल वालों ने उसे जाने से मना कर दिया क्योंकि उस दिन बुधवार था। लेकिन पुरुष ने अपने ससुराल वालों की बात नहीं सुनीं और वो अपनी पत्नी की उसी दिन घर से ले गया।
रोहिणी नक्षत्र में गुरु की मौजूदगी इन तीन राशियों को दिलाएगी अपार सफलता
जब दोनों पति -पत्नी नगर के बाहर पहुंचे तो पत्नी को प्यास लगने लगी। तब पुरुष लोटा लेकर पानी की तलाश में चल दिया। जब कुछ देर बाद वह पानी लेकर लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी से हंस-हंसकर कर बात कर रही है और उसके अलावा उसके लोटे से पानी भी पी रही है। ये देखकर उसे क्रोध आ गया।
वह जब अपनी पत्नी के निकट पहुंचा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी जिस व्यक्ति से बातें कर रही थी वो देखने में बिल्कुल उसी की तरह था। पत्नी भी ये देखकर आश्चर्य में पड़ गई। दोनों पुरुष आपस में झगड़ने लगे। वहां मौजूद हर व्यक्ति हमशक्ल आदमियों को देखकर आश्चर्यचकित था। वहां मौजूद लोगों ने स्त्री से पूछा कि उसका पति कौन है? लेकिन उस स्त्री को कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब पुरुष ने शंकर भगवान से प्रार्थना की और कहा हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई कि मैंने अपने सास-ससुर की बात नहीं मानी और अपनी पत्नी को बुधवार के दिन विदा करा लाया। भविष्य में मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा।
पुरुष के प्रार्थना करते ही दूसरा पुरुष अंतर्ध्यान हो गया। तब पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। कहते हैं उस दिन के बाद से दोनों पति-पत्नी नियमपूर्वक बुध प्रदोष का व्रत रखने लगे।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

आज 14-06-2025 के पंचांग, देखें ग्रह-नक्षत्रों का प्रभाव, चंद्र राशि और योग का सटीक ज्योतिषीय विश्लेषण

प्रणम्य शिरसा देवं...'संकष्टी चतुर्थी' पर गजानन की ऐसे करें पूजा, प्रसन्न होंगे गौरीपुत्र

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025: जानिए कब से शुरू है 25 या 26 जून? क्या है इसका धार्मिक महत्व

Pitru Paksha 2025 Date: कब से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध, जानिए पूरी तिथि और दिनवार सूची

मिथुन संक्रांति से खुलेंगे इन 4 राशियों के भाग्य के द्वार, धन-प्रेम-सफलता तीनों में मिलेंगे शुभ संकेत
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited