Budhwar Vrat Katha In Hindi: बुधवार की पौराणिक कथा, इसे पढ़ने से हर कष्ट से मिलेगा छुटकारा

Budhwar Vrat Katha In Hindi: बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए खास माना जाता है। इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, शांति और यश बना रहता है। यहां आप जानेंगे बुधवार की व्रत कथा।

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Budhwar Vrat Katha In Hindi

Budhwar Vrat Katha In Hindi (बुधवार की कहानी): बुधवार का दिन भगवान गणेश के साथ-साथ बुद्ध देव का भी दिन माना जाता है। कहते हैं इस दिन व्रत रखने से गणपति बप्पा की तो विशेष कृपा प्राप्त होती ही है साथ ही कुंडली में बुद्ध ग्रह की स्थिति भी मजबूत हो जाती है। जिनकी कुंडली में बुध नीच स्थिति में बैठा हो उन्हें बुधवार का व्रत जरूर रखना चाहिए। साथ ही व्रत रखने वाले लोगों को कथा भी जरूर सुननी चाहिए। यहां जानिए बुधवार की व्रत कथा।

बुधवार की व्रत कथा (Budhwar Vrat Katha In Hindi)

प्राचीनकाल में एक गांव में मधुसूदन नाम का धनी व्यक्ति रहता था जो अपनी पत्नी को लेने ससुराल गया था। वहां वह कुछ दिन रहा और फिर सास-ससुर से विदा करने को कहने लगा। किन्तु उसके ससुराल के सभी लोग बोले कि आज बुधवार का दिन है तो आज के दिन मत जाइए क्योंकि इस दिन लड़की की विदाई शुभ नहीं मानी जाती। लेकिन उस व्यक्ति ने किसी की नहीं सुनी और बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा कराकर अपने नगर की ओर चल दिया। रास्‍ते में उसकी पत्नी को बहुत तेज प्यास लगी, तो वह व्यक्ति लोटा लेकर पानी लेने चला गया। जैसे ही वह पानी लेकर तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी से हंस-हंसकर बात कर रही है और उसके द्वारा दिया हुआ पानी भी पी रही है। जब उसने थोड़ा पास आकर देखा तो वह आश्चर्यचकित रह गया क्योंकि उसने देखा कि उसकी पत्नी जिससे बात कर रही थी उसकी सूरत और वेश-भूषा उस व्यक्ति की तरह ही थी।
उस व्यक्ति ने क्रोधित होकर बोला तू कौन है और मेरी पत्नी के साथ क्या कर रहा है। दूसरा व्यक्ति बोला, ‘यह मेरी पत्नी है। इसे मैं अभी-अभी ससुराल से विदा कराकर ले जा रहा हूं।’ इस तरह से दोनों आपस में झगड़ने लगे। पत्नी एक जैसी सूरत के दो पति को देखकर दुविधा में पड़ गई। तभी राज्य के सिपाही भी वहां आ गए और उन्होंने स्त्री से पूछा, तुम्हारा असली पति कौन है? तब पत्नी शांत रही, क्योंकि दोनों ही एक जैसे थे। पत्नी के लिए असली पति पहचानना मुश्किल हो रहा था। तब वह व्यक्ति ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला, ‘हे परमेश्वर! यह क्या लीला है कि मेरी पत्नी मुझे पहचान नहीं पा रही। तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे यात्रा नहीं करनी चाहिए थी, पर तूने अपने सास ससुर की बात नहीं मानी और चल पड़ा।
यह सब लीला बुधदेव भगवान की है। तब उस व्यक्ति ने बुधदेव से प्रार्थना की और सच्चे मन से अपनी गलती की क्षमा मांगी और फिर बुधदेव जी अन्तर्ध्यान हो गए। इसके बाद वह व्‍यक्ति अपनी स्त्री को लेकर घर वापस आ गया। कहते हैं इसके बाद से ही वे दोनों पति-पत्नी बुधवार का व्रत नियमपूर्वक करने लगे।
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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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