Chaiti Chhath Vrat Katha: यहां पढ़ें चैती छठ की पौराणिक व्रत कथा

Chaiti Chhath 2023 Vrat Katha: चैती छठ व्रत का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व माना जाता है। इस व्रत में भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा की जाती है। जानिए चैती छठ की पावन कथा।

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Chhath Vrat Katha: छठ व्रत की कथा

Chaiti Chatth 2023 Vrat Katha: चैती छठ पर्व चैत्र महीने में नवरात्रि के दौरान आता है। इस पर्व में सर्य भगवान और छठी मैया की उपासना की जाती है। हिंदू पंचांग अनुसार ये पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है और इसका समापन सप्तमी तिथि को होता है। हर साल ये पर्व मार्य या अप्रैल के महीने में पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार जो व्यक्ति सच्चे मन से और पूरी श्रद्धा के साथ छठ व्रत करता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। छठ पर्व वाले दिन छठी मैया की ये कथा पढ़ना बेहद जरूरी माना जाता है।

Chaiti Chhath 2023 Puja Vidhi, Muhurat

चैती छठ पूजा व्रत कथा (Chaiti Chhath Puja Vrat Katha)

चैती छठ व्रत के दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ छठ माता मैया की पूजा का भी विधान है। कहते हैं इस व्रत को करने से संतान को सुखी जीवन की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम और अंगराज कर्ण ने सूर्यषष्ठी पूजा की शुरुआत की थी। इसके अलावा पौराणिक कथा के अनुसार जब पांडव जुएं में अपना राजपाट हार गए थे तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। द्रौपदी के व्रत के फल से पांडवों को उनका राजपाट वापस मिल गया। कहते हैं इसके बाद से छठ व्रत को समृद्धि पाने के लिए भी रखा जाने लगा।

चैती छठ व्रत की दूसरा कथा (Chaiti Chhath Vrat Katha In Hindi)

एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद की कोई संतान नहीं थी जिस वजह से वो दुखी रहते थे। तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर खिला दी। इस खीर को खाने से उन्हें पुत्र हुआ लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद अपने पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। कहते हैं उसी वक्त भगवान की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुईं जो देवी षष्ठी थीं। देवी ने राजा से कहा कि है राजन तुम मेरा पूजन करो और लोगों को भी इस पूजा के लिए प्रेरित करो। इस व्रत को करने से तुम्हारी इच्छा जरूर पूरी होगी। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें फिर से पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

छठ पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ के नाम से जाना जाता है और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहते हैं। ये व्रत मुख्यत: पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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