Chaitra Amavasya Vrat Katha: चैत्र अमावस्या व्रत कथा हिंदी में यहां देखें

Chaitra Amavasya 2023 Katha: चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मान्यता है इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। जानिए चैत्र नवरात्रि की व्रत कथा।

चैत्र अमावस्या व्रत कथा

Chaitra Amavasya Vrat Katha: हिंदू पंचांग अनुसार चैत्र अमावस्या चैत्र माह की अमावस्या को कहते हैं। ये दिन स्नान, दान और अन्य धार्मिक कार्य करने के लिए शुभ होता है। इस दिन पूर्वजों की पूजा का विधान है। मान्यता है चैत्र अमावस्या का व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। इतना ही नहीं इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन के कई कष्ट दूर हो जाते हैं। अब जानिए चैत्र अमावस्या की पावन कथा।

Chaitra Amavasya Vrat Katha In Hindi:

पौराणिक कथा के अनुसार, किसी नगर में एक राजा रहता था। राजा की रानी बहुत ही धार्मिक विचारों की थी। राजमहल के ठीक सामने साहूकार की एक हवेली थी। रानी और उस साहूकार की पत्नी की घनिष्ट मित्रता थी। तभी एक दिन हवेली से साहूकार की पत्नी की रोने की आवाज आई। इसपर रानी ने उससे कारण पूछा। तब राजा ने बताया कि साहूकार का पुत्र मर गया है। रानी ऐसे दुख से वंचित थी। इसलिए वो राजा से एकबार फिर पूछी कि ये दुख क्या होता है। इसपर राजा ने बोला कि जब तुम्हारा कोई बेटा मरेगा तब तुम्हे समझ आएगा। ऐसा सुनकर तुरंत रानी ने अपने बेटे को नीचे फेंक दिया। पर, भगवान की कृपा से उसे कुछ नहीं हुआ। रानी ने फिर पूछा कि ये दुख क्या होता है।

तब राजा ने रानी को जवाब देते हुए कहा कि जब पड़ोसी राज में युद्ध होगा और मैं उस युद्ध में अकेला जाऊंगा। इसके बाद जब तुम मेरे मरने का समाचार सुनोगी तब तुम्हे पता चलेगा। हालांकि रानी अमावस्या व्रत करती थी जिस वजह से राजा युद्ध जीतकर वापस आ जाते हैं। रानी फिर से सवाल करती है। तब इसके बाद राजा ने कहा कि जब हम गंगा मां के दर्शन को जाएंगे। तब मैं वहां गंगा नदी में कूद जाऊंगा फिर तुम्हे पता चलेगा कि दुख क्या होता है। उधर, भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर बैठकर सबकुछ देख रहे थे और माता पार्वती से कहते हैं कि आओ मैं तुम्हें सुखी आत्मा के दर्शन करवाता हूं। इसके बाद भगवान शिव बकरे और माता पार्वती ने बकरी का रूप धारण करके एक बावली के पास घास चरने लगे।

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