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Navratri 1st Day Puja Vidhi, Vrat Katha, Mantra, Bhog Live Update: जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ यहां

Chaitra Navratri 2024 First Day Puja Vidhi, Vrat Katha, Aarti, Samagri, Mantra, Procedure: नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की होती है पूजा। यहां जानिए पहला नवरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती, भोग संपूर्ण जानकारी।

Navratri 1st Day Puja Vidhi, Vrat Katha, Mantra, Bhog Live Update: जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ यहां

Navratri 1st Day Puja Vidhi, Vrat Katha, Mantra, Bhog Live Update: जानें मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ यहां

Navratri 1st Day Puja Vidhi, Vrat Katha, Aarti, Samagri, Mantra Live Updates: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना की जाती है। मां शैलपुत्री के माथे पर अर्धचंद्र है, दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल है। माता नंदी बैल की सवारी करती हैं। (Maa Shailputri Mantra) मां शैलपुत्री का मंत्र 'ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः' है। (Maa Shailputri Bhog) माता शैलपुत्री का प्रिय भोग सफेद मिठाई है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना (Navratri Ghat Sthapana Muhurat 2024) भी की जाती है। जिसे कलश स्थापना (Kalash Sthapana Muhruat) के नाम से भी जाना जाता है। यहां जानिए मां शैलपुत्री की पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती सबकुछ।

नवरात्रि के पहले दिन कैसे करें घट स्थापना? यहां जानिए शुभ मुहूर्त और विधि

मां शैलपुत्री पूजा विधि (Maa Shailputri Puja Vidhi)
नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है। इसके बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है। कलश स्थापना और व्रत संकल्प के बाद माता की विधि विधान पूजा शुरू करें। पूजा स्थल पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर माता की प्रतिमा रखें। मां को धूप दीप दिखाएं, फूल अर्पित करें। प्रसाद के रूप में देवी मां को फल और मिठाई अर्पित करें।

मां शैलपुत्री मंत्र (Maa Shailputri Mantra)
-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

Navratri Day 1 Katha

मां शैलपुत्री भोग (Maa Shailputri Bhog)
मां शैलपुत्री को सफेद वस्‍तु बहुत प्रिय है, इसलिए नवरात्रि के पहले दिन माता को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता को सफेद फूल अर्पित करने चाहिए।

Apr 9, 2024 | 11:39 AM IST

नवरात्रि में चाय पीना चाहिए

हां नवरात्रि के व्रत में चाय पिया जा सकता है।
Apr 9, 2024 | 11:20 AM IST

शैलपुत्री माता मंत्र (Shailputri Mata Mantra)

प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् । कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥ या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:
Apr 9, 2024 | 10:56 AM IST

शैलपुत्री माता आरती (Shailputri Mata Aarti)

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानीपार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे। ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू। सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी। उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो। घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के। श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं। जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे। मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
Apr 9, 2024 | 10:25 AM IST

Navratri First Day Puja Vidhi (नवरात्रि प्रथम दिन पूजा विधि)

नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से पहले विधि-विधान से कलश स्थापना करें और अखंड ज्योति जलाएं और भगवान गणेश का आवाहन करें. देवी शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय है, हालांकि नारंगी और लाल कलर की रंग भी देवी को सबसे प्रिय है. कलश स्थापना के बाद षोडोपचार विधि से मां शैलुपत्री की विधि-विधान से पूजा करें. मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें. देवी को सफेद रंग की पुष्प, सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं. मां शैलपुत्री के बीज मंत्रों का जाप करें और फिर आरती करें. शाम के समय भी मां की आरती करें और लोगों को प्रसाद वितरित करें
Apr 9, 2024 | 10:13 AM IST

Navratri 1st Day Katha (नवरात्रि पहले दिन की कथा)

पौराणिक कथा के अनुसार मां सती का ही एक स्वरूप मां शैलपुत्री हैं. एक बार देवी सती के पिता प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और इस यज्ञ में सभी देवी देवताओं को निमंत्रण भेजा गया. लेकिन भगवान शिव को यज्ञ का निमंत्रण नहीं भेजा गया. जिससे मां सती बहुत दुखी हुईं और भगवान शिव के मना करने के बाद भी पिता के यज्ञ में पहुंच गई
Apr 9, 2024 | 09:55 AM IST

Navratri First Day Mantra: नवरात्रि के पहले दिन की पूजा का मंत्र

1- ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥

2- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
Apr 9, 2024 | 09:24 AM IST

Navaratri 2024 Kalash Sthapana (Ghat sthapana) Shubh Muhurat City Wise Time: कलश स्थापना मुहूर्त

  • नई दिल्ली06:02 AM से 10:16 AM11:57 AM से 12:48 PM
  • मुंबई06:26 AM से 10:35 AM12:15 PM से 01:05 PM
  • नोएडा06:01 AM से 10:15 AM11:56 AM से 12:47 PM
  • बेंगलुरु01:11 AM से 10:18 AM11:56 AM से 12:46 PM
  • चेन्नई06:00 AM से 10:07 AM11:46 AM से 12:35 PM
  • अहमदाबाद06:24 AM से 10:34 AM12:16 PM से 01:06 PM
  • हैदराबाद06:00 AM से 10:07 AM11:45 AM से 12:36 PM
  • कोलकाता05:22 AM से 09:33 AM11:13 AM से 12:03 PM
  • जयपुर06:09 AM से 10:22 AM12:03 PM से 12:54 PM
  • पुणे06:22 AM से 10:31 AM12:11 PM से 01:01 PM
  • सूरत06:22 AM से 10:35 AM12:15 PM से 01:05 PM
  • कानपुर05:51 AM से 10:04 AM11:45 AM से 12:36 PM
Apr 9, 2024 | 09:18 AM IST

गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदंत दयावंत चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥ जय गणेश जय गणेश...

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजै सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
Apr 9, 2024 | 09:07 AM IST

कलश स्थापना के नियम (Kalash Sthapana Ke Niyam)

सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखें कि नवरात्रि में घट स्थापना शुभ मुहूर्त देखकर ही की जानी चाहिए। रात में और अमावस्या के दिन घट स्थापना बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। गलत समय पर घटस्थापना करने से अशुभ फल प्राप्त हो सकते हैं।
Apr 9, 2024 | 08:37 AM IST

Navratri Day Color: नवरात्रि के पहले दिन का रंग

नवरात्रि के पहले दिन माता रानी की पूजा लाल रंग के कपड़े पहनकर करें।
Apr 9, 2024 | 08:37 AM IST

मां शैलपुत्री का स्वरूप

मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है। देवी के माथे पर अर्ध चंद्र है। माता नंदी बैल यानि वृषभ की सवारी करती हैं। मां शैलपुत्री का एक नाम सती भी है। मां शैलपुत्री को करुणा और स्नेह की देवी माना जाता है।
Apr 9, 2024 | 08:36 AM IST

शैलपुत्री पूजा मंत्र (Maa Shailputri Mantra)

-या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

-शिवरूपा वृष वहिनी हिमकन्या शुभंगिनी
पद्म त्रिशूल हस्त धारिणी
रत्नयुक्त कल्याणकारिणी

-ओम् ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:

-बीज मंत्र- ह्रीं शिवायै नम:

-वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्
Apr 9, 2024 | 08:36 AM IST

मां शैलपुत्री आरती (Maa Shailputi Aarti)

शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
Apr 9, 2024 | 08:36 AM IST

Chaitra Navratri 2024 Day 1 Katha: मां शैलपुत्री व्रत कथा

नवरात्रि के पहले दिन की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष प्रजापति के आगमन पर वहां मौजूद सभी लोग उनके स्वागत में खड़े हुए, लेकिन भगवान शंकर अपने स्थान से नहीं उठे। राजा दक्ष को भगवान शिव की ये बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इसे अपना अपमान के रूप में लिया। कुछ समय बाद दक्ष ने अपने निवास पर एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को बुलाया, ऐसा उन्होंने अपना अपमान का बदला लेने के लिए किया।

सती ने अपने पति यानी भगवान शिव से पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की इच्छा ज़ाहिर की। सती के आग्रह पर भगवान शंकर ने उन्हें जाने दिया। जब सती यज्ञ में पहुंचीं, तो केवल उनकी मां से ही उन्हें स्नेह मिला। उनकी अपनी बहनों की बातें व्यंग्य और उपहास से भरी प्रतीत हुईं। सती के पिता दक्ष ने भरे यज्ञ में भगवान शंकर के बारे में अपमानजनकर बातें कहीं।

सती ने जब अपने पिता के मुख से अपने पति के लिए बुरी बातें सुनीं तो वे ये अपमान सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ वेदी मे कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। कहते हैं इसके बाज सती का अगला जन्म शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ और वे शैलपुत्री कहलाईं। कहते हैं शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शिव से हुआ था।

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