Navratri 2024 Kalash Sthapana Muhurat, Puja Vidhi: अभिजित मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जान लें विधि, मंत्र, कथा और पहले दिन का भोग
Chaitra Navratri 2024 Kalash Sthapana Muhurat, Time, Vidhi, Samagri List, Mantra, Tithi in Hindi: मां दुर्गा की उपासना का पावन पर्व चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो गया है। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। यहां जानिए नवरात्रि के पहले दिन क्या-क्या करते हैं।
चैत्र नवरात्रि 2024 घट स्थापना मुहूर्त (Chaitra Navratri 2024 Ghat Sthapna Muhurat)
चैत्र नवरात्रि घट स्थापना का पहला शुभ मुहूर्त 9 अप्रैल की सुबह 06 बजकर 02 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। तो वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11:57 से दोपहर 12:48 तक रहेगा।
Chiatra Navratri Puja Samagri List In Hindi
चैत्र नवरात्रि की पूजा में क्या-क्या सामग्री लगेगी, इसकी पूजा विधि, मंत्र, कथा, आरती क्या है सबकुछ जानने के लिए बने रहिए इस लाइव ब्लॉग पर...
माता शैलपुत्री की पूजा का महत्व
माता शैलपुत्री की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है। जिन लोगों का विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह में परेशानियां आ रही हैं उन्हें शैलपुत्री माता की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। माता की पूजा से ग्रह-कलेश भी दूर होता है। इसके साथ ही आरोग्य का वरदान भी माता देती हैं। धन, यश की कामना रखने वालों को भी माता की पूजा करनी चाहिए।शैलपुत्री माता मंत्र (Shailputri Mata Mantra)
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुंग कुचाम् । कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम् ॥ या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:नवरात्रि पहले दिन का भोग (Navratri First Day Bhog)
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इस दिन मां को घी से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।कलश स्थापना विधि और मंत्र
कलश स्थापना के लिए पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान करें. इसके बाद कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालकर कलश स्थापित करें. कलश में 5 आम के पत्ते रखकर उसे ढक दें. ऊपर से नारियल में कलावा बांधकर रख दें। ओम देवी शैलपुत्र्यै नम ह्रीं शिवायै नम:इन मंत्रों का जाप करें।नवरात्रि व्रत कथा (Navratri Vrat Katha)
ऐसे में ब्रह्मा ,विष्णु और महेश ने आदि शक्ति का आवाह्न किया जिसके बाद मां आदिशक्ति देवी दुर्गा का रूप में प्रकट हुई। नौ दिनों तक देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। 10वें दिन मां दुर्गा ने दुष्ट राक्षस महिषासुर का वध कर दिया। जिसके उपलक्ष्य में हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।Mata Rani Ki Aarti: माता रानी की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वालीतेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
तेरे भक्तजनो पर माता, भीड़ पड़ी है भारी, भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो, माँ करके सिंह सवारी, करके सिंह सवारी
तेरे भक्तजनो पर माता, भीड़ पड़ी है भारी, भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो, माँ करके सिंह सवारी, करके सिंह सवारी
सौ-सौ सिहों से भी बलशाली, हे दस भुजाओं वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
माँ-बेटे का है इस जग मे, बड़ा हीनिर्मल नाता, बड़ा हीनिर्मल नाता
पूत-कपूत सुने है, पर ना माता सुनी कुमाता, माता सुनी कुमाता
माँ-बेटे का है इस जग मे बड़ा ही निर्मल नाता, बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने है, पर ना माता सुनी कुमाता, माता सुनी कुमाता
सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखडे निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना, न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ तेरे चरणों में, छोटा सा कोना, इक छोटा सा कोना
नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना, न चांदी न सोना
हम तो मांगें माँ मन में, इक छोटा सा कोना, इक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली, सतियों के सत को सवांरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गावें भारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
आज कौन सी माता का दिन है
आज मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। ये मां दुर्गा का पहला स्वरूप है। मां शैलपुत्री के बारे में जानने के लिए यहां क्लिक करेंMaa Shailputri Vrat Katha In Hindi (मां शैलपुत्री व्रत कथा)
नवरात्रि के पहले दिन की पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष प्रजापति के आगमन पर वहां मौजूद सभी लोग उनके स्वागत में खड़े हुए, लेकिन भगवान शंकर अपने स्थान से नहीं उठे। राजा दक्ष को भगवान शिव की ये बात अच्छी नहीं लगी और उन्होंने इसे अपना अपमान के रूप में लिया। कुछ समय बाद दक्ष ने अपने निवास पर एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर सभी देवी-देवताओं को बुलाया, ऐसा उन्होंने अपना अपमान का बदला लेने के लिए किया।सती ने अपने पति यानी भगवान शिव से पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की इच्छा ज़ाहिर की। सती के आग्रह पर भगवान शंकर ने उन्हें जाने दिया। जब सती यज्ञ में पहुंचीं, तो केवल उनकी मां से ही उन्हें स्नेह मिला। उनकी अपनी बहनों की बातें व्यंग्य और उपहास से भरी प्रतीत हुईं। सती के पिता दक्ष ने भरे यज्ञ में भगवान शंकर के बारे में अपमानजनकर बातें कहीं।
सती ने जब अपने पिता के मुख से अपने पति के लिए बुरी बातें सुनीं तो वे ये अपमान सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ वेदी मे कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। कहते हैं इसके बाज सती का अगला जन्म शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ और वे शैलपुत्री कहलाईं। कहते हैं शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शिव से हुआ था।
Navratri Ghat Sthapana Vidhi: माता का कलश कैसे रखें
- घटस्थापना से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- फिर मंदिर की साफ सफाई करें और भगवान गणेश का नाम लेकर पूजन शुरू करें।
- मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति जलाएं।
- ध्यान रखें कि अगर अखंड ज्योति जला रहे हैं तो वो पूरे 9 दिनों तक जलती रहनी चाहिए।
- इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें मिट्टी डालें। फिर जौ डालें।
- इसके बाद तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। उसके ऊपर मौली बांध दें।
- फिर लोटे में पानी भर लें साथ में थोड़ा गंगाजल मिला लें।
- इसके बाद लोटे में सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र, और अक्षत यानी साबुत चावल भी डालें।
- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पत्ते सजा लें।
- फिर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर उस पर मौली बांध दें और इसे कलश के ऊपर रख दें।
- अब कलश को उस मिट्टी के बर्तन के बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोया है।
- इस तरह से कलश स्थापना की विधि पूरी हो जाएगी।
नवरात्रि घटस्थापना पूजा सामग्री (Navratri Ghat Sthapana Puja Samagri)
लाल रंग का साफ वस्त्र, मिट्टी का बर्तन, जौ, मिट्टी, रोली, सुपारी, चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, जल का कलश, इलायची, लौंग, कपूर, मौली और माता के श्रृंगार का समान, सिंदूर, फल, फूलों की माला।Navratri Wishes In Hindi
मां की आरती गाओ, मंगल गीत सुनाओइस नवरात्रि मां की भक्ति में खो जाओआनंदित होगा आपका मन आंगनमिलकर गाओ माता के भजनचैत्र नवरात्रि श्लोक (Chaitra Navratri Shlok)
सर्वमंगलमंगलये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्रयम्बके गौरि नारायणि नमोऽतु ते।। शरणांगतदीन आर्त परित्राण परायणे सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणि नमोऽस्तु ते।।चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना
09 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। क्योंकि यह अभिजीत मुहूर्त है। कलश स्थापना, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है।देवी स्तोत्र
वंदे वांच्छितलाभायाचंद्रार्धकृतशेखराम्।वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्॥पूणेंदुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।पटांबरपरिधानांरत्नकिरीटांनानालंकारभूषिता॥प्रफुल्ल वदनांपल्लवाधरांकांतकपोलांतुंग कुचाम्।कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितंबनीम्॥मां शैलपुत्री मंत्र (Maa Shailpurtri Mantra)
-ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ -वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ -या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।Chaitra Navratri hd images
Chaitra Navratri msg (चैत्र नवरात्रि मैसेज)
आया नवरात्रि का सवेरा, दूर हुआ जग का अंधेराचिड़ियों की आवाज से गूंज उठा जग सारामां का रूप खिलकर आया है प्याराचैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएंChaitra Navratri Shyari In Hindi (चैत्र नवरात्रि शायरी हिंदी में)
नवरात्रि का आगमन खुशियों से भर देगा आपका आंगनात्योहार पर खत्म होगा बैर और बजेगा माता का कंगनाChaitra Shukla Pratipada 2024 (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2024)
इस चैत्र महीने की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है।Chaitra Navratri Good Morning Images
Navratri 9 Days Colors: नवरात्रि नौ दिन के रंग
नवरात्रि के पहले दिन का रंगनारंगीनवरात्रि के दूसरे दिन का रंगसफेद
नवरात्रि के तीसरे दिन का रंगलाल
नवरात्रि के चौथे दिन का रंगनीला
नवरात्रि के पांचवे दिन का रंगपीला
नवरात्रि के छठे दिन का रंगहरा
नवरात्रि के सातवें दिन का रंगग्रे
नवरात्रि के आठवें दिन का रंगबैंगनी
नवरात्रि के नौवें का रंगपीकॉक ग्रीन
माता रानी की पूजा विधि (Mata Rani Ki Puja Vidhi)
- नवरात्रि के प्रत्येक दिन सुबह जल्दी उठें और सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- नवरात्रि के पहले दिन व्रत का संकल्प लें और साथ में घटस्थापना करें।
- इसके बाद माता के लिए आसन तैयार करें और माता रानी की मूर्ति या तस्वीर उस पर स्थापित कर दें।
- माता को श्रृंगार सामग्री चढ़ाएं।
- टीका लगाकर फूल चढ़ाएं।
- माता के समक्ष देसी घी का दीपक जलाएं।
- फिर माता रानी के मंत्रों का जाप करें।
- संभव हो तो जिस दिन जिस देवी की पूजा होती है उनके मंत्रों का भी जाप करें।
- माता रानी को उनका पसंदीदा भोग लगाएं।
- नवरात्रि की व्रत कथा सुनें।
- अंत में माता रानी की आरती उतारें और भोग सभी में बांट दें।
Chaitra Navratri 2024 Wishes (चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं)
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुतेचैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं ।Chaitra Navratri kalash sthapana muhurat (चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त)
चैत्र नवरात्रि पर पूरे 30 साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने वाला है। इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग 9 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होंगे और यह अगले दिन सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक रहेंगे।चैत्र नवरात्रि 2024 तिथियां (Chaitra Navratri 2024 Tithi)
पहला दिन - 9 अप्रैल 2024 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना): मां शैलपुत्री पूजादूसरा दिन - 10 अप्रैल 2024 (द्वितीया तिथि): मां ब्रह्मचारिणी पूजातीसरा दिन - 11 अप्रैल 2024 (तृतीया तिथि): मां चंद्रघण्टा पूजाचौथा दिन - 12 अप्रैल 2024 (चतुर्थी तिथि): मां कुष्माण्डा पूजापांचवां दिन - 13 अप्रैल 2024 (पंचमी तिथि): मां स्कंदमाता पूजाछठा दिन - 14 अप्रैल 2024 (षष्ठी तिथि): मां कात्यायनी पूजासांतवां दिन - 15 अप्रैल 2024 (सप्तमी तिथि): मां कालरात्रि पूजाआठवां दिन - 16 अप्रैल 2024 (अष्टमी तिथि): मां महागौरी पूजानौवां दिन - 17 अप्रैल 2024 (नवमी तिथि): मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमीचैत्र नवरात्रि क्यों मनाई जाती हैं (Why We Celebrate Chaitra Navratri)
चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि वहां महिषासुर नाम का एक राक्षस रहता था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने अमरता का वरदान दिया था। इस आशीर्वाद के कारण वह पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक सभी को परेशान करने लगा।चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2024 (Chaitra Shukla Pratipada 2024)
इस साल चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि 9 अप्रैल को पड़ रही है। ऐसे में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी इसी दिन से होगी।कलश स्थापना विधि (Kalashthapan Vidhi)
कलश की स्थापना मंदिर के उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए और मां की चौकी लगा कर कलश को स्थापित करना चाहिए. सबसे पहले जिस जगह पर कलश रखना है वहां गंगाजल छिड़क कर पवित्र कर लें. फिर लकड़ी की चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश को स्थापित करें. कलश में आम का पत्ता रखें और इसे जल या गंगाजल भर दें. साथ में एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ कलश में डालें. कलश के मुख पर एक नारियल लाल वस्त्र से लपेट कर रखें. चावल यानी अक्षत से अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की प्रतिमा रखें. इन्हें लाल या गुलाबी चुनरी ओढ़ा दें. कई लोग कलश स्थापना के साथ अखंड दीपक की स्थापना भी करते हैंचैत्र नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त (Chaitra Navratri Ghatsthapna Muhurat)
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से होगी और इसका समापन 09 अप्रैल को रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होगी। इस दिन घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 02 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक है।चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं: Chaitra Navratri 2024 Wishes
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी,दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुतेचैत्र नवरात्रि की शुभकामनाएं ।चैत्र नवरात्रि महत्व : Chaitra Navratri Significance
चैत्र नवरात्रि का महत्व बहुत उत्कृष्ट है। यह हिंदू धर्म में एक प्रमुख उत्सव है जो नौ दिनों तक चलता है। यह पर्व नौ रातों और दस दिनों तक मां दुर्गा की पूजा का महत्वपूर्ण समय है। इस अवसर पर हिंदू धर्म के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जैसे कि दुर्गा, लक्ष्मी, और सरस्वती।चैत्र नवरात्रि महत्व (Chaitra Navratri Importance)
चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे एक पौराणिक कहानी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। ऐसा माना जाता है कि वहां महिषासुर नाम का एक राक्षस रहता था, जिसे भगवान ब्रह्मा ने अमरता का वरदान दिया था। इस आशीर्वाद के कारण वह पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक सभी को परेशान करने लगा।नवरात्रि पूजा सामग्री लिस्ट
इन सामग्रियों में मेहंदी, बिंदी, लाल चूड़ी, सिंदूर, लाल चुनरी, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, आलता, बिछिया, दर्पण, कंघी, महावर, काजल, चोटी, पायल, इत्र, लाल चुनरी, पायल, कान की बाली, नाक की नथ, मेहंदी आदि सामान शामिल करेंचैत्र नवरात्रि घटस्थापना शुभ मुहूर्त (Chaitra Ghatsthapna Shubh Muhurat)
चैत्र नवरात्रि पर पूरे 30 साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने वाला है। इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग 9 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होंगे और यह अगले दिन सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक रहेंगे।नवरात्रि पूजन विधि - Navratri Pujan Vidhi
नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अब एक चौकी बिछाकर वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। फिर रोली और अक्षत से टीका करें और फिर वहां माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद विधि विधान से माता की पूजा करें।Chaitra Navratri kyun manaya jata hai
मां दुर्गा स्वयं शक्ति स्वरूपा हैं और नवरात्रि में सभी भक्त आध्यात्मिक शक्ति, सुख-समृद्धि की कामना करने के लिए इनकी उपासना करते हैं और व्रत रखते हैं. जिस राजा के द्वारा नवरात्रि की शुरुआत हुई थी उन्होंने भी देवी दुर्गा से आध्यात्मिक बल और विजय की कामना की थीनवरात्रि में क्या-क्या नहीं करना चाहिए
नवरात्रि के नौ शुभ दिनों के दौरान गेहूं और चावल जैसे नियमित अनाज से परहेज करना चाहिए. प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाने से परहेज करना चाहिए. ये शरीर और दिमाग के लिए हानिकारक माने जाते हैं. इन नौ दिनों के दौरान सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिएNavratri 2024 In April Month
चैत्र नवरात्रि में अप्रैल में 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन 17 अप्रैल को होगा।Chaitra Navratri 2024 Asthami Date- चैत्र नवरात्रि अष्टमी कब है
नवरात्रि के आठवें दिन महा अष्टमी मनाई जाती है और मां महागौरी की पूजा होती है। इस बार चैत्र शुक्ल की अष्टमी तिथि 15 अप्रैल 2024 को दोपहर 12.11 मिनट से शुरू होगी और 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01.23 पर समाप्त होगी। ऐसे में चैत्र नवरात्रि में महाष्टमी 16 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी।चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2024 Chaitra Navratri 2024 kalash sthapana muhurat
चैत्र नवरात्रि पर पूरे 30 साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का अद्भुत संयोग बनने वाला है। इस दिन अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग 9 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होंगे और यह अगले दिन सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक रहेंगे।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited