Chaitra Navratri Ashtami Date 2024: 16 या 17 अप्रैल कब रखा जाएगा अष्टमी का व्रत? जानिए सही तिथि और महत्व

Chaitra Navratri Ashtami Date 2024: इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो गई है। इसी के साथ ही इसका समपान इस बार 17 अप्रैल को होगा। ऐसे में आइए जानते हैं इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा।

Navratri Ashtami Date 2024

Chaitra Navratri Ashtami Date 2024: हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का बहुत महत्व है। इस दौरान पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही पवित्र और खास माने गए हैं। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि का बहुत ही महत्व है। नवरात्रि के अष्टमी के दिन मां के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन का भी विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि की अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा।

Chaitra Navratri Ashtami Date 2024 (चैत्र नवरात्रि अष्टमी डेट 2024)चैत्र नवरात्रि की अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 16 अप्रैल को होगी। ऐसे में 16 अप्रैल को अष्टमी का व्रत रखा जाएगा।

Chaitra Navratri Ashtami Kanya Pujan Muhurat (अष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त 2024)इस साल चैत्र नवरात्रि 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन कन्या पूजन का विधान है। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 47 मिनट तक कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त रहेगा। इस समय में कन्या पूजन करना शुभ होगा।

Chaitra Navratri Ashtami Pujan Vidhi (चैत्र नवरात्रि अष्टमी पूजन विधि)
  • चैत्र नवरात्रि की अष्टमी के दिन सुबह उठकर स्नना करें।
  • उसके बाद मां महागौरी की पूजा करें।
  • इस दिन मां को फूल अक्षत और सिंदूर अर्पित करें।
  • इस दिन हवन करने का भी विधान है।
  • इस दिन की पूजा में मां नारियल का भोग लगाएं।
  • माता रानी की पूजा के बाद कन्या पूजन करें।

चैत्र नवरात्रि अष्टमी महत्व ( Navratri Ashtami Importance)चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि का शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। ये दिन मां महागौरी की पूजा को समर्पित होता है। अष्टमी की रात को ही मां दुर्गा ने चंड मुंड का संहार किया था और देवताओं को राक्षसों के भय से मुक्ति किया था, इस कारण ये तिथि बहुत ही खास मानी जाती है। इस दिन कुलदेवी की पूजा करने की भी परंपरा है। इस दिन बहुत से लोग मां को सिंगार का सामान और चुनरी अर्पित करते हैं।

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