Mata Ke Mantra: नवरात्रि के संस्कृत मंत्र पढ़ने में लगते हैं कठिन, तो ऐसे करें माता की उपासना

Navratri Mantra In Sanskrit: कई भक्त माता रानी को प्रसन्न करने के लिए उनके विशेष मंत्रों का जाप करते हैं लेकिन कुछ लोगों को संस्कृत मंत्र पढ़ने में समस्या आती है। ऐसे में हम आपको बताएंगे माता रानी की उपासना के सरल मंत्र और विधि।

navratri mantra

Navratri Puja Mantra

Chaitra Navratri Maa Durga Mantra: 'निर्मल मन जन सो मोहि पावा ,मोहिं कपट छल छिद्र न भावा।' ये चौपाई श्री रासमचरितमानस के सुन्दरकाण्ड से है। भगवान की प्राप्ति की सबसे अनिवार्य शर्त है मन की निर्मलता और उसके प्रति सम्पूर्ण समर्पण। यही बात गीता में भगवान श्री कृष्ण ने 18 वें अध्याय के अंत में शरणागति पे ही लाकर सभी बातें समाहित कर दी हैं। माता दुर्गा तो जगत जननी हैं। वह आदि शक्ति जगदंबा हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करना बहुत आसान है बशर्ते निर्मल मन और निश्छल भक्ति भाव से माता के चरणों में संसार से अनासक्त तथा पूर्ण भक्ति भाव हो। कलयुग केवल नाम अधारा तात्पर्य यह है कि कलयुग में भगवान की प्राप्ति का मात्र एक ही आधार है औऱ वह हैं नाम का जप।

Navratri Puja Mantra (नवरात्रि पूजा मंत्र)

माता के 32 नाम दुर्गाशप्तशती में वर्णित है। पठेत सर्वभायांनमुक्तो भविष्यति न संशयः अर्थात माता के 32 नाम का जो जप करता है उसके भविष्य के बारे में कोई संशय रहता ही नहीं है। 'ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' यह माता दुर्गा का मुख्य बीज मंत्र है। केवल आप इसी मंत्र को पढ़ें तो ही माता का आशीर्वाद पूर्णतया प्राप्त होती है।माता का 108 नाम भी दुर्गाशप्तशती में वर्णित है। यह बहुत अचूक मंत्र है। महा शक्तिशाली मंत्र है। आसान है। यदि आपकी संस्कृत कमजोर है तो इन नामों को हिंदी में ही पढ़िए। वही फल प्राप्त होगा। जय माँ दुर्गा यह भी महा नाम है।
एक बात बहुत महत्वपूर्ण है, वह यह है कि माता की आरती। यदि हम पूजा में कोई त्रुटि कर देते हैं या मन्त्र के उच्चारण में कोई गलती हो जाय तो आरती इन सब भूलों को माफ करती है। आरती भव्य होनी चाहिए। आरती के थाल सनातन धर्म के अनुसार सभी आवश्यक द्रव्यों जे सुसज्जित हों। धूप बत्ती जल रही हो। कपूर की ही आरती हो। अंत में माता से छमा याचना करना चाहिए।

एक मंत्र सभी मनोकामनाएं पूर्ति हेतु अवश्य पढ़ें (Mata Rani Mantra)

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहीमें परमम सुखम
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
इस मंत्र में सभी मनोकामनाएं समाहित हैं। सौभाग्य, आरोग्य, जय, विजय और अंतः दोषों का शमन। इस मंत्र से अपनी सभी कामनाएं माता से आप कह कर अभीष्ट वरदान प्राप्त कर सकते हैं। इससे आसान पूजा विधि और क्या हो सकती है? इस प्रकार हम निर्मल भक्ति भाव से अपने जन्म जन्मांतर की माता को प्रसन्न करते हैं।
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सुजीत जी महाराज author

सुजीत जी महाराज ज्योतिष और वास्तु विज्ञान एक्सपर्ट हैं जिन्हें 20 वर्षों का ज्योतिष, तंत्र विज्ञान का अनुभव हासिल हैं। 25000 से ऊपर लेख देश के कई बड़...और देखें

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