Chaitra Navratri 2023: चमत्कारी है माता का यह मंदिर, पूजा से पहले चढ़ाए जाते हैं फूल; जानिए इसके रहस्य
Maihar mata satna: मध्य प्रदेश के सतना जिले में त्रिकूट पर्वत पर स्थित शारदा माता मंदिर, मैहर एक ऐसा मंदिर है जो जिसके कई रहस्य हैं। जानिए क्या है इस मंदिर का रहस्य ?
माँ शारदा मंदिर मैहर माता मध्य प्रदेश (Image: Social Media)
Sharda Devi Temple-Maihar Temple: भारत में कई मंदिर चमत्कारों से भरे पड़े हैं। इन मंदिरों में होने वाली घटनाओं के पीछे का रहस्य आज भी सभी के लिए अनसुलझा है। इन्हीं मंदिरों में से एक है मैहर स्थित मां शारदा का शक्तिपीठ। 51 शक्तिपीठों में से एक माता सती का हार मैहर के शारदा मंदिर में गिरा था। 'माई के हार' से इसका नाम मैहर (Maihar Devi Shaktipeeth) पड़ा। यह मंदिर त्रिकुटा पर्वत की चोटी पर स्थित है। कहा जाता है कि पहाड़ की चोटी पर बने इस मंदिर के दर्शन करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है।
स्थानीय किंवदंती के अनुसार, जब माता सती ने दक्ष यज्ञ के दौरान आत्मदाह किया, तो इस घटना से क्रोधित महादेव ने सती के शरीर को अपने कंधों पर लेकर तांडव नृत्य करना शुरू कर दिया। उस समय उत्पन्न गर्मी के कारण सती का शरीर पिघलने लगा और उनके अंग एक-एक करके गिरने लगे। इसमें माता सती के आभूषण भी शामिल थे। तब भगवान विष्णु ने सती के शेष शरीर को बावन भागों में काट दिया। वही बावन मूल पीठ माने जाते हैं।
एक अन्य किंवदंती यह है कि बुंदेलखंड के प्रसिद्ध योद्धाओं आल्हा और उदल ने शारदा देवी की पूजा की थी। देवी के मंदिर के पीछे उनका स्नान कुंड है और युद्ध अभ्यास के लिए उनका अखाड़ा भी है। कहते हैं कि नाथ पंथी गुरु गोरक्षनाथ की आज्ञा से आल्हा ने देवी मंदिर में बारह वर्षों तक तपस्या की। आल्हा देवी मां को शारदा मां (Maa Sharda Temple) बुलाते थे। इसलिए मैहर माता को शारदा मां के नाम से जाना जाने लगा। माता मंदिर के क्षेत्र में आज भी कई ऐतिहासिक भग्नावशेष देखे जा सकते हैं।
प्रत्येक दिन होता है चमत्कार
भारत का यह एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है, जहां प्रतिदिन कोई न कोई चमत्कारी घटना देखने को मिलती है। वर्षों से चली आ रही मान्यता के अनुसार रात्रि काल में मंदिर का कपाट बंदकर पुजारी पहाड़ से नीचे उतर आते हैं। रात्रिकाल में मंदिर में कोई भी नहीं रहता है। अगली सुबह जह पुजारी पहुंचते हैं तो मंदिर के सामने पहले से ही ताजे फूलों की वर्षा हुई रहती है। मान्यता अनुसार वीर योद्धाओं आल्हा और उदल मां शारदा देवी के पास जाकर प्रतिदिन पुष्प अर्पित करते हैं। अदृश्यमान होकर प्रतिदिन मंदिर में देवी की पूजा करने आते हैं। इन दोनों योद्धाओं ने इस घने जंगल में एक पहाड़ पर स्थित मां शारदा के पवित्र निवास की खोज की और 12 वर्षों तक तपस्या की। तब देवी शारदा ने प्रसन्न होकर उन्हें अमरता का वरदान दिया।
जीभ काट कर देवी को किया था अर्पित
यह भी कहा जाता है कि आल्हा और उदल ने अपनी जीभ काट कर देवी को प्रसन्न करने के लिए अर्पित की थी। तब देवी ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर जीभ को फिर से जोड़ दिया। मैहर माता मंदिर (What is special in Maihar?) शाक्त संप्रदायों यानी तंत्रविद्या उपासकों की साधना का महत्वपूर्ण स्थान है। कई सिद्धियों की पूजा करने के लिए शारदा मां की पूजा की जाती है। पहले देवी को अजबली चढ़ाने की प्रथा थी लेकिन बारहवीं शताब्दी में सतना के राजा ब्रजनाथ जुडेन ने पशु बलि की इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।
नृपाल देव राजा ने की थी सामवेदी की स्थापना
मैहर और शारदा माता मंदिर (Why is Maihar Temple famous?) और मैहर पर्वत का पहला उल्लेख प्राचीन ग्रंथ 'महेंद्र' में है। उसके बाद इतिहास में उल्लेख मिलता है कि आदि शंकराचार्य ने 9वीं/10वीं शताब्दी में देवी की पूजा की थी। विंध्य श्रृंखला या कौलगिरी पर्वत श्रृंखला के पिरामिड के आकार के त्रिकुटा पर्वत जमीन से 600 फीट ऊपर शिखर पर हैं। यह शारदा माता का स्थान है और उल्लेख है कि नृपाल देव राजा ने चैत्र कृष्ण चतुर्दशी के दिन विक्रमसंवत 559 (522 ईसा पूर्व) में इस देवी की सामवेदी की स्थापना की थी।
मैहर मंदिर का रहस्य क्या है?
बात यह है कि रात आठ बजे पुजारी मंदिर के कपाट बंद कर देते हैं तब भी मंदिर से घंटियों और आरती की आवाज सुनाई देती है। इतना ही नहीं, जब ब्रह्म मुहूर्त में सुबह-सुबह मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तो पता चलता है कि सामूहिक रूप से मां की पूजा की जाती है। कई लोगों ने इस रहस्य (Maihar temple story) को जानने की कोशिश की लेकिन असफल रहे। कई इतिहासकारों और वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की है, लेकिन अभी तक इस रहस्य को सुलझाया नहीं जा सका है। घंटी कौन बजा रहा होगा ? पूजा कौन कर रहा होगा ? मंदिर के पुजारी और स्थानीय किंवदंती के अनुसार, यह भक्त आल्हा और उदल हैं जो हर दिन देवी की आरती और पूजा करते हैं। मंदिर का पट खोलकर प्रतिदिन प्रात: दर्शन करने वाली देवी की पूजा इसका मानक माना जाता है।
कैसे पहुंचें मैहर मंदिर ?
मंदिर तक पहुंचने के लिए चट्टान में लगभग 1001 सीढ़ियां (How many stairs in maihar devi temple) बनी हुई हैं और अब हाल के दिनों में 'रोप वे' की सुविधा प्रदान की गई है और श्रद्धालु करीब 150 रुपये (Maihar temple ropeway ticket price) में इस सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं। शारदा माता के मंदिर के अलावा, शाक्त पंथ के अन्य देवताओं जैसे काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, कालभैरवी, फूलमती, भगवान नरसिंह, शेषनाग, ब्रह्मा और जलपा देवी के मंदिर हैं।
मैहर के निकटतम खजुराहो हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 150 किलोमीटर (Maihar devi temple distance) दूर है। इसके अलावा, मैहर जबलपुर-सतना रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है, जिसमें मैहर रेलवे स्टेशन भी है, और यहां से शारदा माता मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।हालांकि,मैहर पहुंचने के लिए सतना प्रमुख स्टेशन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सतना रेलवे स्टेशन पर मैहर जाने वाली सभी ट्रेनों का स्टॉपेज होता है। सड़क मार्ग की बात करें तो सतना रेलवे स्टेशन से मैहर मंदिर की दूरी 44 किलोमीटर है। यहां से सड़क के माध्यम से भी यात्रा की जा सकती है। इसके अलावा मैहर सड़क मार्ग से प्रयागराज, जबलपुर, खजुराहो से भी जुड़ा है।
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