Chaitra Purnima 2023 Vrat Katha: चैत्र पूर्णिमा पर पढ़े सभी दुखों का निवारण करने वाली ये सिद्ध कथा, बना रहेगा बजरंगबलि का आशीर्वाद
Chaitra Purnima 2023 Vrat Katha: चैत्र पूर्णिमा और हनुमान जयंती के पावन पर्व पर भगवान नारायण और बजरंगबलि की पूजा का विशेष महत्व होता है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा का विधिपूर्वक पूजन अर्चन, व्रत, कथा और स्नान आदि करने से बजरंगबलि का आशीर्वाद बना रहता है। यहां देखें चैत्र पूर्णिमा की व्रत कथा, जिसका पाठ कर सभी समस्याओं और दुखों का हल हो जाता है।
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Chaitra Purnima 2023 Vrat Katha: चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आने वाली चैत्र पूर्णिमा का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है। इसी दिन हनुमान जंयती का पर्व भी मनाया जाता है, हनुमान जी के जन्म की मधुर बेला पर विधि विधान से पूजा करने का, नदी-पवित्र कुंड में स्नान करने का, व्रत और कथा करने से भगवान बजरंगबलि का आशीष प्राप्त होता है। यहां देखें चैत्र पूर्णिमा की व्रत कथा, जिसका सच्चे मन से पाठ करने पर जीवन में आई सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है - संबंधित खबरें
किसी नगर में एक सेठ और सेठानी रहते थे। सेठानी प्रतिदिन श्री हरी भगवान विष्णु की पूरी श्रद्धा से पूजा अर्चना किया करती थी। लेकिन उसका पूजा करना उसके पति यानी सेठ को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इसी कारण सेठ ने एक दिन अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया। घर से निकाले जाने के बाद सेठानी जंगल की तरफ निकल पड़ी। रास्ते में जाते समय सेठानी ने जंगल में चार आदमी को देखा, जो मिट्टी खोद रहे थे। तब सेठानी उस आदमी के पास गई और उन लोगों से कहा, कृपया आप मुझे किसी काम पर रख लें। संबंधित खबरें
इसके बाद चारों आदमी ने सेठानी को नौकरी पर रख लिया। सेठानी के हाथ पांव बहुत ही कोमल थे, इस वजह से काम करते करते उसके हाथ पर छाले पड़ गए। सेठानी के हाथों को देख चारों आदमी ने कहा कि तुम यह काम छोड़ दो। तुम किसी अच्छे घर खानदान की लगती हो। इसकी जगह तुम हमारे घर के कामों में हाथ बंटा दो। संबंधित खबरें
सेठानी इस काम केलिए राजी हो गईं। फिर वह चारों आदमी सेठानी को अपने घर ले गए। वहां चारों आदमी हर दिन चार मुट्ठी चावल लाते थे और आपस में बांट कर उसे खा लेते थे। यह देखकर सेठानी को बहुत बुरा लगा। अगले दिन सेठानी ने चारों से कहा, सुनो भाई! तुमलोग कल से चार मुट्ठी की जगह 8 मुट्ठी चावल लेकर आना।संबंधित खबरें
सेठानी के कहे अनुसार, चारों आदमी अगले दिन 8 मुट्ठी चावल लेकर आए। उस चावल को सेठानी ने पका कर सबसे पहले भगवान विष्णु को भोग लगाया और फिर चारों आदमी को परोस दिया। जब चारों आदमी ने उस भोग लगाए भोजन को खाया, तो उन लोगों को बहुत स्वादिष्ट लगा। उन्होंने सेठानी से कहा, बहन आज जो तुमने खाना बनाया वह बेहद स्वादिष्ट है। इसपर सेठानी ने कहा, यह भोजन भगवान विष्णु का जूठन है। इसी वजह से आप लोगों को यह बहुत स्वादिष्ट लग रहा है।संबंधित खबरें
उधर, सेठानी के जाने के बाद से सेठ भूखा रहने लगा। आस पड़ोस के लोग उसे देखकर ताने भी मारते थे कि यह आदमी सिर्फ अपनी पत्नी(सेठानी) की वजह से ही भोजन किया करता था। ऐसा बार बार सुनने के बाद सेठ एक दिन अपनी पत्नी की तलाश में जंगल की तरफ निकल पड़ा। रास्ते में सेठ को मिट्टी खोदते हुए वही चार आदमीदिखाई दिए। उसे देख सेठ ने कहा, सुनों भाई क्या तुम मुझे काम पर रख सकते हो। संबंधित खबरें
तब चारों आदमी ने उसे काम पर रख लिया। किंतु मिट्टी खोदने से सेठ के हाथों में भी छाले पड़ने लगे। यहां तक कि उनके बाल भी उड़ गए। यह देखकर चारों आदमी को सेठ पर दया आई और उसने कहा, सुनों भाई तुम इस काम को छोड़ दो। तुम किसी अच्छे घर के लगते हो, तुम हमारे घर चलो वहां कुछ काम में हाथ बंटा लेना।सेठ ने उन चारों की बात मन ली और वह उनके साथ उनके घर चले गए।संबंधित खबरें
घर पहुंचने के बाद सेठ ने जैसे ही सेठानी को देखा वह पहचान गए। लेकिन सेठानी घूंघट में थी और सेठ के चेहरे नहीं देख पाई। इस वजह से वह अपने पति को नहीं पहचान पाई। हर दिन की भांति इस दिन भी सेठानी ने भोजन बनाकर विष्णु भगवान को भोग लगाया और सभी को खाना परोसने लगी। जैसे ही सेठानी सेठ को भोजन देने लगी तब स्वयं भगवान विष्णु ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और कहा ये तुम क्या कर रही हो। यह सुनकर सेठानी ने कहा, मैं कुछ नहीं कर रही हूं, मैं तो बस भोजन दे रही हूं। भगवान विष्णु ने मेरा हाथ पकड़ लिया है। संबंधित खबरें
तब सेठानी से चारों आदमी ने कहा हमें भी भगवान विष्णु के दर्शन कराओ। इसके बाद सेठानी हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से अनुरोध करने लगी- हे प्रभु! आप मेरी तरह इन्हें भी दर्शन दें। तब भगवान विष्णु वहां प्रकट हो गए। यह दृश्य देखते ही सेठ ने सेठानी से क्षमा मांगी और उसे अपने घर साथ चलने को कहा। फिर चारों भाइयों ने बहुत सारा धन देकर अपनी बहन को विदा किया। इसघटना के बाद से सेठ भी भगवान विष्णु के भक्त बन गए और उनकी श्रद्धा पूर्वक पूजा करने लगे। ऐसा करने से सेठ-सेठानी के घर फिर से धन की बरसात हो गई। तभी से ऐसी मान्यता प्रचलित है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से हनुमान जी के साथ भगवान राम और माता सीता की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।संबंधित खबरें
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अवनि बागरोला author
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