Chaitra Purnima Vrat Katha 2024: चैत्र पूर्णिमा के दिन करें इस व्रत कथा का पाठ, श्री हरि का मिलेगा आशीर्वाद
Chaitra Purnima Vrat Katha 2024 In Hindi: चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन चैत्र पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है। इस दिन पूजा में इस व्रत कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है। यहां पढ़ें चैत्र पूर्णिमा व्रत की कथा हिंदी में।
Chaitra Purnima 2024
Chaitra Purnima 2024 Katha In Hindi(चैत्र पूर्णिमा की कथा हिंदी में): हिंदू पंचांग के अनुसार किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि उस महीने का आखिरी दिन होता है। उसके बाद नये महीने की शुरुआत होती है। चैत्र पूर्णिमा का व्रत हर साल चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल चैत्र मास की पूर्णिमा का व्रत 23 अप्रैल यानि आज रखा जा रहा है। इसी दिन हनुमान जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का बहुत ही महत्व होता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु जी की पूरे विधि- विधान से पूजा की जाती है। पूर्णिमा की तिथि चंद्र देव की पूजा को भी समर्पित होती है। इस दिन का व्रत रखने से और कथा का पाठ करने से साधक को उत्तम फल की प्राप्ति होती है। यहां पढ़ें चैत्र पूर्णिमा व्रत की कथा।
Chaitra Purnima 2024 Katha In Hindi(चैत्र पूर्णिमा की कथा हिंदी में)
प्राचीन कथा के अनुसार सेठ और सेठानी शहर में रहते थे। सेठानी प्रतिदिन भक्तिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करती थी, लेकिन उसके पति (सेठ) को उसकी पूजा करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। इस कारण एक दिन सेठ ने उसे घर से निकाल दिया। सेठानी घर छोड़कर जंगल की ओर चल दी। यात्रा के दौरान सेठानी ने जंगल में चार लोगों को खुदाई करते देखा। यह देखकर सेठानी उस आदमी के पास पहुंची और उनसे नौकरी पर रखने को कहा। सेठानी की बात सुनकर आदनियों ने उसे नौकरी पर रख लिया। सेठानी बहुत ही कोमल थी, इस कारण काम करते- करते उसके हाथों पर छाले पड़ गए। तब उन लोगों ने कहा आप ये काम छोड़ दो इसकी जगह आप हमारे घर का काम कर दो।
सेठानी ने कहा ठीक है। फिर चारो आदमी सेठानी को अपने घर ले आए। वहां पर चारों लोग चार मुट्ठी चावल लाकर वापस में बांटकर खा लेते थे। ये सब सेठानी को अच्छा नहीं लगा। उसने उन लोगों से कहा की आप लोग चार की जगह आठ मुट्ठी चावल लेकर आया करो। सोठानी के अनुरोध पर अगले दिन चारों अपने साथ आठ मुट्ठी चावल लेकर आये। सेठानी ने आठ मुट्ठी चावल पकाया, भोजन तैयार किया, इसे भगवान विष्णु को अर्पित किया और इसे चार पुरुषों के बीच वितरित किया। जब चारों लोगों ने खाना खाया तो उन्हें खाना बहुत स्वादिष्ट लगा और उन्होंने सेठानी से कहा सुनो बहन, तुमने आज जो खाना बनाया है, वह बहुत स्वादिष्ट है। यह सुनकर सेठानी ने कहा कि यह भोजन भगवान विष्णु का प्रसाद है, इसलिए यह हर किसी को इतना स्वादिष्ट लगता है।
सेठानी के जाने के बाद सेठ को भूखा रहना पड़ा। उसके आस-पास के लोग हमेशा उस पर हंसते थे और कहते थे कि यह आदमी सिर्फ अपनी पत्नी सेठानी की वजह से खाता था। यह सुनकर सेठ एक दिन अपनी पत्नी सेठानी को ढूंढने जंगल में गया। रास्ते में उसने वही चार आदमियों को जमीन खोदते देखा। जब सेठ ने उसे देखा तो बोला, “सुनो भाई, क्या तुम मुझे नौकरी पर रख सकते हो?”
फिर चारों लोगों ने उसे भी काम पर रख लिया, लेकिन मिट्टी खोदने से सेठ के हाथों में छाले पड़ गए और उसके बाल झड़ गए। जब चारों आदमियों ने यह देखा तो बोले, “सुनो भाई, यह काम छोड़ दो।” आप किसी अच्छे परिवार से लगते हैं, हमारे घर चलो वहां काम कर लो । तब सेठ उन चारों की बात से सहमत हो गया और उनके साथ उनके घर चला गया।
घर जाकर सेठ ने सेठानी को देखते ही पहचान लिया, लेकिन सेठानी ने घूंघट किया हुआ था, इसलिए अपने पति को नहीं देख सकती थी। हर दिन की तरह इस दिन भी सेठानी ने भोजन बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाया और सभी को परोसा, जैसे ही सेठानी सेठ को खाना देने लगी तो भगवान विष्णु ने सेठानी का हाथ पकड़ लिया और बोले, "क्या कर रही हो?" उसने कहा मैं तो बस भोजन दे रही हूं।
तब चारों भाइयों ने सेठानी से कहा कि हमें भी भगवान विष्णु का दर्शन कराओ। इतना कहकर सेठानी हाथ जोड़कर भगवान विष्णु से कहने लगी, हे प्रभु, कृपया मेरी तरह इन्हें भी दर्शन दीजिए। तभी वहां भगवान विष्णु प्रकट हुए। यह देखकर सेठ ने सेठानी से माफी मांगी और उसे अपने साथ अपने घर चलने के लिए कहा। तब चारों भाइयों ने अपनी बहन को बहुत सा धन देकर विदा किया। तभी से सेठ भी भगवान विष्णु का भक्त बन गया और भक्तिपूर्वक उनकी पूजा करने लगा। इससे उसके घर में फिर से बरकत आ गई। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत करने से हनुमान जी के साथ भगवान श्री राम और माता सीता की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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TNN अध्यात्म डेस्क author
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