Chanakya Niti: अगर झूठ बोलना है मजबूरी तो चाणक्य के ये 4 तरीके सिखाएंगे झूठ को भी सच बनाना
Chanakya Niti in Hindi: व्यक्ति को कब सच बोलना चाहिए और कब झूठ बोलना चाहिए। इस बारे में चाणक्य ने विस्तार से बताया है। अगर झूठ भी कहे तो वह किस तरीके से कहें। ये बात पता होना एक कला है। आज के समय में जिस किसी को भी यह कला आती है वह अपने काम को आसानी से करवा सकता है।
चाणक्य नीति
- झूठ बोलने का फायदेमंद कारण होना जरूरी है
- झूठ बोलने से पहले सामने वाली की पूरी जानकारी ले लें
- झूठ बोलते समय तथ्यों को आधार बनाएं, बात सच लगेगी
झूठ बोलने का कारण: चाणक्य कहते हैं कि झूठ बोलने के कई कारण हो सकते हैं। हालांकि चार मुख्य कारण होते हैं। व्यक्ति झूठ तभी बोलता है जब वह अपने हित की रक्षा कर रहा हो, दोस्तों से अच्छे संबंध बनाना हो, अपने प्रतिद्वंदी को तटस्थ करना या फिर अपने दुश्मनों का नाश करना हो। अगर व्यक्ति इन कारणों से झूठ बोल रहा है तो बेहतर है। नहीं तो झूठ बोलने से पहले उससे होने वाले नुकसान और फायदे का आकलन कर लेना चाहिए।
झूठ का नियम: आचार्य कहते हैं कि झूठ बोलने का भी नियम होता है। झूठ तभी बोलना चाहिए, जब अपना फायदा हो रहा हो। झूठ बोलते हुए ध्यान रखें कि सिर्फ उतनी ही जानकारी दें, जितनी जरूरी हो। अपने शब्दों को बोलने से पहले उसको अच्छे से समझ लें। अगर झूठ बोलने से आपको कोई फायदा नहीं हो रहा है तो आप बेकार में ही होशियारी दिखा रहे हैं।
सामने वाले के बारे में रखें जानकारी: आचार्य चाणक्य झूठ बोलने के तरीकों के बारे में बताते हुए कहते हैं किजिस व्यक्ति के सामने हम झूठ बोलने वाले हैं उसके बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। इससे झूठ को व्यवस्थित किया जा सकता है। ध्यान रखें कि झूठ बोल रहे हैं तो उसको आसानी से पकड़ा भी जा सकता है, इसलिए पहले ही अपनी बात पर गहराई से विचार कर लें कि जो कुछ भी कहें उसे किसी आधार पर झूठलाया न जा सके।
तथ्यों के आधार पर बोलें झूठ: आचार्य कहते हैं झूठ को हमेशा तथ्यों के आधार पर बोलना चाहिए। क्योंकि तथ्यात्मक रूप से कही गई बात को काटा नहीं जा सकता है। अगर इसके बाद भी सामने वाला शक कर रहा है तो उसे जिस विषय में भी बात हो रही है उसकी अच्छाई और बुराई एक साथ बता दो। इससे वह व्यक्ति भ्रमित हो जाए। साथ ही झूठ बोलते हुए हम जानकारी सिर्फ उतनी ही देनी चाहिए, जितने से हम जो बात सिद्ध करना चाहते हैं वह सिद्ध हो जाए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
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