Chanakya Niti: कम समय में समझना है जीवन का सार तो अभी स्‍मरण कर लें चाणक्‍य के ये पांच मंत्र

Chanakya Niti in Hindi: चाणक्‍य नीति में व्यवहारिक ज्ञान के अलावा राजनीति संबंधी विषयों पर भी विस्‍तार से जानकारी दी गई है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्‍त्र में कई ऐसी बातों का उल्‍लेख किया है, जो जीवन में आने वाली मुश्किलों से बाहर निकाल लाती हैं। आचार्य के इन उपायों को अपनाकर आसानी से सफलता हासिल की जा सकती है।

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चाणक्‍य के इन पांच मंत्रों में जीवन का सार, कर लें स्‍मरण

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • चाणक्‍य नीति बनाती है जीवन को सुखमय एवं ध्येय पूर्ण
  • इसमें व्यवहारिक ज्ञान के साथ राजनीति की भी गहरी जानकारी
  • मनुष्य का जन्म बहुत ही सौभाग्य के बाद मिलता है, सार्थक उपयोग करें

Chanakya Niti in Hindi: जीवन को सुखमय एवं ध्येय पूर्ण बनाने के लिए चाणक्‍य नीति को ज्ञान का भंडार माना जाता है। इसमें व्यवहार संबंधी सूत्रों के साथ राजनीति संबंधी विषयों पर भी विस्‍तार से जानकारी दी गई है। आचार्य चाणक्य को राजनीति कुशल, आचार और व्यवहार में मर्मज्ञ, कूटनीति के सूक्ष्मदर्शी प्रणेता और अर्थशास्त्र के विद्वान के तौर पर जाना जाता है। इन्‍होंने अपने संपूर्ण ज्ञान और जीवन भर के अनुभव को चाणक्‍य नीति में समाहित कर दिया है। आचार्य ने अपने नीति शास्‍त्र में कई ऐसी बातों का उल्‍लेख किया है, जो जीवन में आने वाली मुश्किलों से बाहर निकाल लाती हैं। आचार्य के इन उपायों को अपनाकर आसानी से सफलता हासिल की जा सकती है। यहां पर हम आचार्य चाणक्‍य के 5 ऐसे कथनों का जिक्र कर रहे हैं, जिनमें जीवन का मर्म छिपा है।

1. आचार्य चाणक्‍य कहते हैं कि जिस प्रकार सभी पर्वतों पर मणि नहीं मिलती, सभी हाथियों के मस्तक में मोती उत्पन्न नहीं होता, सभी वनों में चंदन का वृक्ष नहीं उगता, उसी तरह हर जगह सज्जन पुरुष भी नहीं मिलते।

2. आचार्य कहते हैं कि जो मित्र आपके सामने मीठी-मीठी बातें करता हो और पीठ पीछे आपकी बुराइयां, उसे त्याग देने में ही भलाई है। ऐसे लोग उस बर्तन के समान हैं, जिसके ऊपर के हिस्से में दूध लगा होता है परंतु अंदर विष भरा हुआ होता है।

3. चाणक्य के अनुसार, बचपन में बच्‍चों को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास भी उसी प्रकार होता है। इसलिए सभी माता-पिता का कर्तव्य है कि वे अपने बच्‍चों को ऐसे मार्ग पर चलाएं, जिससे उनमें उत्तम चरित्र का विकास हो, ताकि वह गुणी व्यक्तिय बन सके।

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4. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य का जन्म बहुत ही सौभाग्य के बाद मिलता है। इसलिए हमें अपने ज्‍यादातर समय को शास्त्रों के अध्ययन और जरूरतमंद लोगों की मदद में सदुपयोग करना चाहिए।

कुसंगति से बच कर रहना चाहिए

बुरे चरित्र वाले, अकारण दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले तथा गंदगी से भरे स्थान पर रहने वाले लोगों से जो भी व्‍यक्ति मित्रता करता है, वह शीघ्र ही खुद को नष्ट कर लेता है। मनुष्य को कुसंगति से बच कर रहना चाहिए। मनुष्य की भलाई इसी में है कि वह जितनी जल्दी हो सके, दुष्ट व्यक्ति का साथ छोड़ दे।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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