Chandra Chalisa in Hindi Lyrics: मानसिक विकारों से मुक्ति पाने के लिए करें चंद्र देव चालिसा का पाठ, जानिए हिंदी लिरिक्स
Chandra Chalisa Lyrics in Hindi: धार्मिक शास्त्रों में चंद्र देव की पूजा पुण्य फल देने वाली मानी गई है। अगर कुंडली में चंद्र शुभ न हों तो मन और मस्तिष्क के विकार आते हैं। ऐसे में चंद्र देव चालीसा का पाठ विकार दूर करने वाला माना जाता है। यहां पढ़ें चंद्र देव चालीसा के हिंदी लिरिक्स।
Chandra Chalisa Lyrics in Hindi: Sharad Purnima 2022 Chandra Dev Chalisa: पूर्णिमा तिथि पर चंद्र देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। कहते हैं चंद्रोदय के समय चांद को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करने से आप सारे कष्ट दूर होते हैं। चंद्र देव की पूजा, मंत्र, आरती के साथ उनकी चालीसा का पाठ करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। अगर चंद्र शुभ न हों या विकारी हों तो मन व मस्तिष्क के विकार परेशान करते हैं। इनको दूर करने के लिए चंद्र देव की चालीसा के जाप की सलाह दी जाती है।
Chandra Dev Chalisa In Hindi
दोहा-
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूं प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, ले सुखकारी नाम।।
सर्व साधु और सरस्वती, जिन मंदिर सुखकर।
चन्द्रपुरी के चन्द्र को, मन मंदिर में धार।।
।। चौपाई ।।
जय-जय स्वामी श्री जिन चन्दा, तुमको निरख भये आनन्दा। तुम ही प्रभु देवन के देवा, करूँ तुम्हारे पद की सेवा।।
वेष दिगम्बर कहलाता है, सब जग के मन भाता है। नासा पर है द्रष्टि तुम्हारी, मोहनि मूरति कितनी प्यारी।।
तीन लोक की बातें जानो, तीन काल क्षण में पहचानो। नाम तुम्हारा कितना प्यारा , भूत प्रेत सब करें निवारा।।
तुम जग में सर्वज्ञ कहाओ, अष्टम तीर्थंकर कहलाओ।। महासेन जो पिता तुम्हारे, लक्ष्मणा के दिल के प्यारे।।
तज वैजंत विमान सिधाये , लक्ष्मणा के उर में आये। पोष वदी एकादश नामी , जन्म लिया चन्दा प्रभु स्वामी।।
मुनि समन्तभद्र थे स्वामी, उन्हें भस्म व्याधि बीमारी। वैष्णव धर्म जभी अपनाया, अपने को पण्डित कहाया।।
कहा राव से बात बताऊं , महादेव को भोग खिलाऊं। प्रतिदिन उत्तम भोजन आवे , उनको मुनि छिपाकर खावे।।
इसी तरह निज रोग भगाया , बन गई कंचन जैसी काया। इक लड़के ने पता चलाया , फौरन राजा को बतलाया।।
तब राजा फरमाया मुनि जी को , नमस्कार करो शिवपिंडी को। राजा से तब मुनि जी बोले, नमस्कार पिंडी नहिं झेले।।
राजा ने जंजीर मंगाई , उस शिवपिंडी में बंधवाई। मुनि ने स्वयंभू पाठ बनाया , पिंडी फटी अचम्भा छाया।।
चन्द्रप्रभ की मूर्ति दिखाई, सब ने जय-जयकार मनाई। नगर फिरोजाबाद कहाये , पास नगर चन्दवार बताये।।
चन्द्रसैन राजा कहलाया , उस पर दुश्मन चढ़कर आया। राव तुम्हारी स्तुति गई , सब फौजो को मार भगाई।।
दुश्मन को मालूम हो जावे , नगर घेरने फिर आ जावे। प्रतिमा जमना में पधराई , नगर छोड़कर परजा धाई।।
बहुत समय ही बीता है कि , एक यती को सपना दीखा। बड़े जतन से प्रतिमा पाई , मन्दिर में लाकर पधराई।।
वैष्णवों ने चाल चलाई , प्रतिमा लक्ष्मण की बतलाई। अब तो जैनी जन घबरावें , चन्द्र प्रभु की मूर्ति बतावें।।
चिन्ह चन्द्रमा का बतलाया , तब स्वामी तुमको था पाया। सोनागिरि में सौ मन्दिर हैं , इक बढ़कर इक सुन्दर हैं।।
समवशरण था यहां पर आया , चन्द्र प्रभु उपदेश सुनाया। न्द्र प्रभु का मंदिर भारी , जिसको पूजे सब नर - नारी।।
सात हाथ की मूर्ति बताई , लाल रंग प्रतिमा बतलाई। मंदिर और बहुत बतलाये , शोभा वरणत पार न पाये।।
पार करो मेरी यह नैया , तुम बिन कोई नहीं खिवैया। प्रभु मैं तुमसे कुछ नहीं चाहूं , भव - भव में दर्शन पाऊँ।।
मैं हूं स्वामी दास तिहारा , करो नाथ अब तो निस्तारा। स्वामी आप दया दिखलाओ , चन्द्रदास को चन्द्र बनाओ।।
।।सोरठ।।
नित चालीसहिं बार , पाठ करे चालीस दिन। खेय सुगन्ध अपार , सोनागिर में आय के।।
होय कुबेर सामान , जन्म दरिद्री होय जो। जिसके नहिं संतान , नाम वंश जग में चले।।
चंद्र चालीसा का महत्व
चन्द्र प्रभु चालीसा का पाठ करने से इंसान धनी बनता है और खूब तरक्की करता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में आए सारे दुखों विनाश होता है। सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। माना जाता है कि चन्द्र देव की कृपा से ज्ञान-विवेक,धन-बल और सिद्धि-बुद्धि आदि की प्राप्ति होती है। भगवान की कृपा से इंसान हर तरह के सुख का भागीदार बनता है। व्यक्ति के चेहरे पर हमेशा खुशी और संतोष नजर आता है। चंद्र देव के आशीर्वाद से ही व्यक्ति सफलता के पथ पर निरंतर आगे बढ़ता है।
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