अलग-अलग मालाओं से जप का है महत्व
तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
- साधना में मंत्र जाप हैं महत्वपूर्ण
- 108 मनकों की माला पर होता जाप
- रुद्राक्ष की माला होती है सबसे उपयुक्त
Jap Mala: सनातन धर्म में मंत्र जप को साधना के पथ का सबसे महत्वपूर्ण अंग बताया गया है। पुराणाें में कहा गया है कि कलयुग में बस नाम आधारा। यानी कलयुग में हवन, तप आदि से अधिक श्रेष्ठकर है नाम जप या मंत्र जप का। अक्सर आपने देखा होगा कि मंदिर में या घर में साधक जपमाला लेकर मंत्र जाप करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जप का जितना महत्व है उतना ही महत्व जप माला के चयन का भी है।
मंत्र और आराध्य के अनुसार जप माला का विधान बताया गया है। जप माला का चयन सावधानी से करना चाहिए। क्योंकि जप माला से मन का आपके हृदय से सीधे संपर्क है और हृदय पर जैसा असर होगा आपके मन में भी वैसे ही विचार उठेंगे। इसलिए जप माला चयन यदि आप सावधानी से करेंगे तो आपकी समस्या का समाधान भी उसी रूप में मिलेगा।
अलग-अलग प्रकार की मालाएं और उनके भेद
1. कमल गट्टा की माला
प्रयोग भेद में यह माला शत्रु नाश व लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए प्रयुक्त होती है।
2. चांदी की माला
पुष्टि कर्म के अन्तर्गत सात्विक अभीष्ट की पूर्ति हेतु इस माला का प्रयोग बहुत प्रभावी माना जाता है।
3. चंदन की माला
यह माला दो प्रकार की होती है। सफेद चंदन और लाल चंदन। सफेद चंदन की माला का प्रयोग शांति पुष्टि कर्मों राम विष्णु व अन्य देवता उपासना में होता है। और लाल चंदन की माला का प्रयोग गणेश उपासना एवं देवी साधना के लिए उपयुक्त होता है।
4. मूंगे की माला
यह गणेश व लक्ष्मी जी की साधना में प्रयुक्त होती है।
5. तुलसी की माला
वैष्णव भक्तों के लिए राम कृष्ण की उपासना हेतु यह माला उत्तम मानी गयी है। इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है, यह शरीर की शुद्धता के लिए भी धारण की जाती है।
6. स्फटिक की माला
यह माला लक्ष्मी जाप के लिए उत्तम मानी गयी है। इसके धारक को चंद्रमा और शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
7. शंख माला
यह माला कुछ विशेष तांत्रिक प्रयोगों में प्रभावशाली रहती है।
8. वैजन्ती माला
यह माला वैष्णव भक्तों के लिए व लक्ष्मी जी के जप में प्रयोग की जाती है।
9. हल्दी की माला
गणेश पूजा, बृहस्पति, ग्रह, देवी, बगुलामुखी की साधना में यह माला प्रयोग में लायी जाती है। अगर किसी को पीलिया हो गया हो तो उसके गले में आठ− दस दाने पहना देने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
10. रुद्राक्ष की माला
यह इतनी प्रभावशाली है कि किसी भी प्रकार की साधना में इसका प्रयोग किया जाता है। देवी, देवताओं व नवग्रहों की साधना में यदि उपयुक्त माला न हो, तो रुद्राक्ष की माला का प्रयोग निश्चित मन से करना चाहिए। यह परम लाभदायक है।
इस प्रकार नवरत्न की माला, अंबर की माला, कहरवा की माला आदि आती हैं जो व विभिन्न बीमारियों में तंत्र, साधना में पूजा में प्रयुक्त होती हैं। चाहे कोइ भी माला हो उसका शुद्ध व पूर्ण होना बहुत आवश्यक होता है। माला के मनके समान होने चाहिए। माला में सुमेरु अवश्य ही होना चाहिए।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)