Char Dham Yatra 2023: यमुनोत्री धाम से क्यों शुरू होती है चारधाम यात्रा, जानिए यमुना नदी से जुड़े रोचक तथ्य व इतिहास
Char Dham Yatra 2023, Yamunotri Dham History: यमुनोत्री धाम का मंदिर यमुना देवी को समर्पित है, जो उत्तराखण्ड राज्य में स्थित है। चार धाम की यात्रा की शुरुआत यहीं से होती है। यहां जानें यमुनोत्री धाम का इतिहास, पौराणिक कथा और महत्व।
Char Dham Yatra 2023: कहां से शुरू होती है चारधाम यात्रा और क्यों
Char Dham Yatra 2023, Yamunotri Dham History: यमुनोत्री मंदिर, देवी यमुना को समर्पित चार धाम तीर्थस्थलों में से एक है। यह भारत के उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित है। यमुनोत्री धाम की यात्रा अप्रैल से नवंबर महीने के बीच की जाती है। यमुनोत्री मंदिर चारो ओर से गर्म झरनों से घिरा हुआ है। कहते हैं यहां स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, यमुनोत्री को यमुना नदी का स्रोत माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि देवी यमुना, सूर्यदेव की बेटी और मृत्यु के देव यम की बहन हैं। जानिए इस धाम और यमुना नदी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य और यहां के इतिहास के बारे में।
छह महीने की होती है यमुनोत्री यात्रा
यमुनोत्री धाम की यात्रा केवल छह महीने के लिए उपलब्ध रहता है। यह दिवाली के दूसरे दिन बंद हो जाता है और इसी दिन एक पालकी में यमुना को खरसाली गांव ले जाया जाता है जहां वह पूरी सर्दी बिताती है। फिर, अक्षय तृतीया पर उन्हें वापस उनके मंदिर ले जाया जाता है।
हनुमान जी से जुड़ा है यमुनोत्री का इतिहास
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान हनुमान ने अपनी पूंछ को शांत करने और ठीक करने के लिए यमुना नदी में डुबोया था। यही कारण है कि इस जगह को बंदर पूंछ के नाम से भी जाना जाता है। अन्य किंवदंती के अनुसार, ऋषि असित यमुना और गंगा दोनों में स्नान करते थे लेकिन जब वे वृद्ध और असमर्थ हो गए, तो गंगा की एक सहायक नदी ने महर्षि की सुविधा के अनुरूप अपना मार्ग बदल लिया और यमुना के साथ बहने लगी।
यमुनोत्री मंदिर कब बना था
यमुना नदी के बाएं किनारे पर स्थित यमुनोत्री मंदिर, कालिंद और बंदरपूंछ पर्वत श्रृंखलाओं के पास स्थित है। यह पहली बार 19वीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था। फिर भूकंप के दौरान मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया और उसे 19वीं शताब्दी के अंत में गढ़वाल के शासक द्वारा फिर से बनाया गया था। यहां देवी यमुना और देवी गंगा की काले और सफेद संगमरमर की मूर्तियां विराजमान हैं।
यमुना नदी की उत्पत्ति
यमुना नदी, चंपासार ग्लेशियर से उत्पन्न हुई है। यह कालिंद चोटी से सप्तऋषि कुंड तक नीचे की ओर बहती है और कई सहायक नदियों में विभाजित हो जाती है। बंदर पुंछ पर्वत गंगा नदी से यमुना के पानी को अलग करता है। कालिंदा पर्वत से निकलने के कारण यमुना नदी को कालिंदी भी कहा जाता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | अध्यात्म (spirituality News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
End of Article
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited