Char Dham Yatra 2025: चार धाम यात्रा 2025 कब से शुरू होगी, किस तारीख से शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन
Char Dham Yatra 2025 Date, Char Dham Yatra 2025 Registration (चार धाम यात्रा 2025 डेट): सनातन हिंदू धर्म में यात्रा का विशेष महत्व है। धार्मिक स्थलों और धामों की यात्रा करने से व्यक्ति को तन-मन की शुद्धि के साथ-साथ उसके भीतर आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार भी बढ़ता है। चार धाम की यात्रा इनमें से एक है। 2025 में अगर आप चार धाम यात्रा करना चाहते हैं तो यहां जानें चार धाम यात्रा 2025 ओपनिंग डेट, चार धाम यात्रा 2025 रजिस्ट्रेशन डेट और चार धाम यात्रा 2025 कब से शुरू होगी।

Char Dham Yatra 2025 Date, Char Dham Yatra 2025 Registration (चार धाम यात्रा 2025 डेट): प्राचीन महा पुराणों में से एक स्कंद पुराण के अनुसार चार धाम यात्रा को अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इस यात्रा से हर तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। चार धाम चार दिशाओं में मौजूद हैं जो कि उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका है। प्राचीन काल से ही इन स्थानों की विशेष मान्यता रही है। इन धामों का प्रचार जगत गुरु शंकराचार्य जी ने किया था। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक प्राचीन इन स्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान बढ़ता है और देवी-देवताओं से जुड़ी मान्यताओं का पता चलता है। यहां जानें चार धाम यात्रा 2025 की रजिस्ट्रेशन डेट, चार धाम यात्रा 2025 कब से शुरू होगी और चार धाम यात्रा 2025 ओपनिंग डेट की जानकारी।
चार धाम यात्रा 2025 डेट
साल 2025 में चार धाम यात्रा 29 अप्रैल से शुरू होगी। चार धाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है और बद्रीनाथ में खत्म होती है।
Char Dham Yatra Registration 2025 Opening Date
2025 में चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया 3 फरवरी से शुरू होगी। तीर्थयात्रियों के पास ऑनलाइन और ऑफलाइन विकल्प होंगे। राज्य पर्यटन विभाग ने पंजीकरण के लिए एक मोबाइल एप्लीकेशन भी शुरू किया है। सामान्य दर्शन के लिए टोकन सिस्टम का इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन रुद्राभिषेक जैसी विशेष सेवा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य है।
चार धाम यात्रा में कौन कौन से तीर्थ आते हैं
बद्रीनाथ धाम
उत्तर का बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है। ये अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है। मान्यता है कि इसकी स्थापना भगवान राम ने की थी। इस प्राचीन धाम में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप प्रज्वलित रहती है, जो कि ज्ञान का प्रतीक है।
रामेश्वर धाम
रामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे मौजूद है। ये भगवान शिव को समर्पित पावन स्थल है। यहां शिवजी की पूजा लिंग रूप में की जाती है जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। माना जाता है कि भगवान राम ने ही इस शिवलिंग की स्थापना लंका युद्ध से पहली की थी।
जगन्नाथ पुरी
ये वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की पूजा होती है। पुराणों के अनुसार ये जगह 7 पवित्र पुरियों में से एक है। इस जगह पर हर साल रथ यात्रा का भव्य आयोजन किया जाता है।
द्वारिका
गुजरात के पश्चिमी समुद्र के किनारे बसी द्वारिका पुरी को चार धामों में से एक माना जाता है। प्राचीन काल में भगवान श्रीकृष्ण यहां राज्य किया करते थें। ये तीर्थ पुराणों में बताई गई मोक्ष देने वाली सात पुरियों में से एक मानी जाती है। लोक मान्यताओं के अनुसार प्राचीन द्वारका नगरी समुद्र में समा गई थी, लेकिन ये भूमि आज भी पूज्य मानी जाती है।
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हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दों की लय इतनी पसंद आई कि फिर पत्रकारिता से जुड़ गई।...और देखें

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