Chaturmas 2024: चातुर्मास क्या होता है, कब से कब तक रहेगा, इस दौरान क्या नहीं खाना चाहिए

Chaturmas Kya Hota Hai: चातुर्मास 2024 का प्रारंभ 17 जुलाई से हो गया है और इसका समापन 12 नवंबर को होगा। इन चार महीनों में किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किए जाएंगे। यहां हम आपको बताएंगे चातुर्मास क्या होता है, इस दौरान क्या नहीं खाना चाहिए।

Chaturmas 2024

Chaturmas Kya Hota, Chaturmas Me Kya Nahi Khana Chahiye

What Is Chaturmas (चातुर्मास क्या होता है): देवशयनी एकादशी दिनांक 17 जुलाई 2024 को है। इस दिन भगवान विष्णु की निद्राकाल शुरू हो जाती है। चतुर्मास शुरू होते ही सभी शुभ व मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। फिर देवोत्थानी एकादशी 12 नवम्बर को है अर्थात भगवान विष्णु 12 नवम्बर को उठ जाएंगे। अतः 17 जुलाई से 12 नवम्बर तक कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 12 नवम्बर के बाद शुभ मुहूर्त में शुभ कार्य व मांगलिक कार्य होंगे।

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चातुर्मास क्या होता है (What Is Chaturmas)

सनातन धर्म में सावन, भाद्रपद, आश्विन, और कार्तिक महीने को मिलाकर चातुर्मास कहा जाता है। धार्मिक मान्यातओं अनुसार चातुर्मास में भगवान विष्णु धरती का संचालन भोलेनाथ को सौंपकर क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। इन चार महीनों की अवधि में किसी भी तरह का शुभ काम नहीं किया जाता है।

चातुर्मास में क्या नहीं खाना चाहिए (Chaturmas Me Kya Nahi Khana Chahiye)

चातुर्मास में पत्तेदार सब्जियां के अलावा बैंगन, मूली, करेला और कंद भी नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा शहद, दूध, दही, मांस-मछली आदि का सेवन भी इस महीने में नहीं करना चाहिए।

चतुर्मास में क्या न करें (Chaturmas Me Kya Na Kare)

चातुर्मास में विवाह नहीं होते। किसी भी प्रकार का गृह प्रवेश नहीं होता। मुंडन इत्यादि मांगलिक संस्कार नहीं होते। यदि आप कोई जमीन लिए हैं तो उसका भूमि पूजन नहीं हो सकता। चतुर्मास में उपनयन नहीं होते व किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य की मनाही रहती है।

चतुर्मास में क्या करें (Chaturmas Me Kya Kare)

इस समय भगवान विष्णु की उपासना व श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। उत्तम तिथि व शिववास का ध्यान रखते हुए रुद्राभिषेक करें। यह समय तांत्रिक पूजाओं का भी है। बंगलामुखी उपासना व अनुष्ठान का बहुत ही उचित समय है। इन माहों में महामृत्युंजय जप भी होते हैं। चतुर्मास में भागवत का सम्पूर्ण मूल पाठ करने से भगवान कृष्ण की असीम भक्ति प्राप्त होती है।

चतुर्मास में है दान का महत्व (Chaturmas Daan)

अन्न दान करें।प्रत्येक बुधवार को उड़द व शनिवार को तिल का दान करें। मंदिरों में भंडारा कराएं। वृक्षारोपण करें।किसी शिव मंदिर में बेल का पेड़ लगाने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन माता पिता का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त करें।

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लवीना शर्मा author

धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर की रहने वाली हूं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट हूं। 10 साल से मीडिया में काम कर रही हूं। पत्रकारिता में करि...और देखें

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