Chaurchan Puja vidhi : आज रखा जाएगा चरचौन का व्रत, जान लें इसकी पूजा विधि

Chaurchan Puja vidhi : बिहार के मिथिला क्षेत्र में चरचौन का व्रत रखा जाता है। वहां इस व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन पूरे विधि- विधान के साथ चांद की पूजा की जाती है। इस दिन शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य चढ़ाया जाता है। आइए जानते हैं कब है चरचौन और इस व्रत की पूजा विधि के बारे में। यहां जानें सारी जानकारी।

Chaurchan Puja vidhi

Chaurchan Puja vidhi : मिथिला पंचांग के अनुसार चौरचन का व्रत इस बार 18 सितंबर 2023 को सोमवार के दिन रखा जाएगा। देशभर में 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन चंद्र देव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्र देव की पूजा करने से साधक को शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। चरचौन पूजा के दिन महिलाएंल पूरे दिन व्रत रखकर पकवान बनाती हैं और शाम के समय चंद्रमा को अर्घ दिया जाता है। इस दिन पूजा के समय दही का भी प्रयोग किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद को खाली हाथ नहीं देखना चाहिए। आप अपने हाथ में कोई प्रसाद लेकर ही देखना चाहिए। आइए जानते हैं चौरचन की पूजा विधि के बारे में।

चरचौन पूजा विधि (Chaurchan Puja vidhi)

इस दिन व्रती महिला जल्दी से ब्रह्म बेला में जाग जाती हैं। इसके बाद दिन की शुरुआत भगवान शिव और चंद्र देव की पूजा से होती है। इस यमय से, निर्जल उपवासकरती है। इस दिन अलग- अलग तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं। इसके बाद अर्घ्य के लिए सभी पकवान और फल एक बांस की डलिया में रख दिए जाते हैं। दही को मिट्टी के बर्तन में रखा जाता है। घर में गंगा जल छिड़क कर शुद्ध किया जाता है। साथ ही आंगन को गाय के गोबर से लीपकर रंगोली बनाई जाती है। शाम को स्नान-ध्यान करने के बाद भक्त विधि-विधान से पूजा करते हैं और चंद्रोदय के समय अर्घ्य देते हैं और चंद्र देव को अर्घ्य भी दिया जाता है। घर के पुरुष पूजा स्थल पर प्रसाद ग्रहण करते हैं। चांद के दर्शन के बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है।

चौरचन पूजा शुभ मुहूर्त (Chaurchan Puja Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की चतुर्थी शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे शुरू हो रही है और अगले दिन19 सितंबर दोपहर 1:43बजे इस तिथि का समापन होगा। चरचौन के दिन शाम के समय में पूजा की जाती है । इस कारण ये व्रत 18 सितंबर 2023 को रखा जाएगा।

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